
आष्टा सीट
आष्टा सीट पर बीजेपी के गोपालसिंह ने कांग्रेस के कमलसिंह चौहान को 7903 वोटों से हराया। गोपालसिंह को 118750 वोट मिले जबकि चौहान को 110847 वोट ही प्राप्त हुए।
सीहोर जिले की आष्टा विधानसभा से भाजपा के गोपाल सिंह और कांग्रेस के कमल सिंह चौहान के बीच मुकाबला । गोपाल और कमल सिंह में एक समानता है कि यह दोनों 3-3 बार विधानसभा का चुनाव हार चुके । पिछले चुनावों में इनके मुकाबले में परिणाम एक जैसा ही रहा और गोपाल सिंह दूसरे तो कमल सिंह तीसरे स्थान पर रहे।
नौकरी के लिए बड़े शहरों पर निर्भर युवा
आष्टा विधानसभा क्षेत्र के कोठरी, मेहतवाड़ा, जावर क्षेत्र के गांव में युवा रोजगार के लिए तो किसान संसाधनों के लिए परेशान हैं। पत्रिका से चर्चा करते हुए बमूलिया के राजेन्द्र सेन ने कहा कि यहां के बेरोजगारी प्रमुख समस्या रही है। क्षेत्र के युवा 10 से 15 हजार रुपए की नौकरी के लिए भी भोपाल और इंदौर जाते हैं।
हकीमाबाद के राजकुमार परमार ने पेयजल और सिंचाई व्यवस्था के अभाव की बात कही। इंदर मेवाड़ा कहते हैं कि तकनीकी शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण भी क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए कम अवसर हैं। विशाल वैरागी कहते हैं कि आष्टा के कई गांव में अभी भी सडक़ों की हालत इतनी खराब है कि बारिश के सीजन में पैदल चलना तक मुश्किल हो जाता है।
आष्टा के गजेन्द्र सोनी ने बताया कि शहर का ड्रेनेज सिस्टम तक सही नहीं हैं। हर साल बारिश के सीजन में दुकानदार पानी भरने से परेशान होते हैं। यह भी पढ़ें: सतना में बोले राहुल- छोटे व्यापारियों को जीएसटी में उलझाया, चहेते उद्योगपति कर रहे मौज, Video
सीहोर जिले की आष्टा विधानसभा सीट इस बार उस समय चर्चा में आ गई जब टिकट कट जाने के बाद विधायक रघुनाथ मालवीय फूट-फूटकर रो उठे। भरी बैठक में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते वक्त उनका दर्द छलक उठा था। यहां भाजपा ने विधायक की बजाए गोपालसिंह इंजीनियर को उम्मीदवार बनाया ।
सीहोर जिले की चार विधानसभा सीट में से आष्टा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। भाजपा उम्मीदवार जिला पंचायत अध्यक्ष गोपाल सिंह पिछले साल ही कांग्रेस से भाजपा में आए थे। हालांकि रघुनाथ सिंह और गोपाल सिंह के बीच का टकराव खत्म करने खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने पहल की। उन्होंने गोपाल सिंह और रघुनाथ मालवीय को मंच पर ही सबके सामने गले मिलवाया था।
सीट का इतिहास
2018 में भारतीय जनता पार्टी के रघुनाथ मालवीय ने कांग्रेस के गोपाल सिंह को हराया था। आष्टा में बीजेपी का दबदबा रहा है। 1990 में बीजेपी के नंद किशोर खत्री ने जीत हासिल की तो 1993 में बीजेपी के रंजीत सिंह गुनवान जीते। 1998 में कांग्रेस के मंटुराम पवार जीते जबकि 2003 में बीजेपी के रघुनाथ सिंह मालवीय विजयी रहे। 2008 और 2013 में भी बीजेपी के ही रंजीत सिंह गुनवान जीते।
सामाजिक समीकरण
आष्टा में कुल 2,48,274 वोटर्स हैं। यहां करीब 40 हजार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोटर्स हैं। इनमें भी अनुसूचित जाति बलाई के करीब 22 हजार वोटर्स हैं। मेवाड़ा, परमाल और सेंधव के साथ ही यहां पर मुस्लिम वोटर्स की भी अच्छी संख्या है।
Updated on:
04 Dec 2023 09:03 pm
Published on:
06 Nov 2023 08:32 pm
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