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160 में से 45 केंद्र बंद, शेष पर भी जल्द जड़ सकता है ताला

115 केंद्र भी तीन दिन में हो जाएंगे बंद

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सीहोर। समर्थन केंद्रों पर खरीदी की रफ्तार सुस्त पड़ते ही सन्नाटा पसरने लगा है। करीब 45 केंद्र पर किसानों के नहीं आने से बंद का दर्जा दे दिया है। जितने केंद्र पर खरीदी चल रही है उनको भी तीन-चार दिन में बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऐसे में कुछ किसान रह गए हैं तो उनके पास आखरी मौका बचा है। इधर खरीदी का काम अंतिम चरण में भले ही पहुंच गया हो, लेकिन उपज परिवहन उतना तेजी से नहीं हो सका है।

किसानों को उनकी उपज का अच्छा भाव दिलाने शासन पिछले कुछ साल से समर्थन केंद्र खोलकर उनकी उपज खरीद रहा है। इस साल भी २० मार्च से जिले के १६० समर्थन केंद्रों पर खरीदी का काम चालू हुआ था। शुरूआत में नंबर आते ही काफी संख्या में किसान ट्रैक्टर-ट्राली सहित अन्य साधन से उपज लेकर पहुंचे। इससे हाल यह हो गए थे कि भीड़ के कारण दो-तीन दिन तक किसानों को केंद्र पर रात काटने मजबूर होना पड़ा। यह भीड़ अब सन्नाटे में बदल गई है। कुछ केंद्रों पर इक्का दुक्का किसान उपज लेकर पहुंच रहे हैं। ४५ केंद्र पर कई दिन से उपज नहीं आने से उनको बंद कर दिया है। ११५ केंद्र को भी सोमवार तक बंद करने की बात कहीं गई है। हालांकि खरीदी की तारीख २० मई निर्धारित की गई है, लेकिन उपज नहीं आने से खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को यह निर्णय लेना पड़ा है।

परिवहन नहीं पकड़ सका रफ्तार
जिस तरह से उपज खरीदी का काम चला, उतनी गति से परिवहन नहीं हो सका है। अब तक ४ लाख ५० हजार मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी हो चुकी है। यह उपज करीब ५० हजार २०० किसानों ने बेची है। इसमें सिर्फ ३ लाख ५० हजार मैट्रिक टन का ही परिवहन हो सका है। जबकि एक लाख मैट्रिक टन अब भी खुले में पड़ा है। इधर मौसम में लगातार बदलाव आ रहा है। मौसम विभाग ने भी हवा, आंधी के साथ बूंदाबांदी की अशंका जताई है। ऐसे में खुले में पड़े गेहूं पर संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं। तेज बारिश हुई तो गेहूं खराब हो सकता है। ढाई हजार किसानों के उपज बेचने के बाद भी उनको मिलने वाली १०० करोड़ से अधिक की राशि नहीं मिली है। इससे उनके सामने परेशानी खड़ी हो गई है। चक्कर काटने तक मजबूर होना पड़ रहा है।

मोबाइल पर संदेश का इंतजार
भावातंर योजना में जिले के करीब २० केंद्रों पर पंजीकृत किसानों से चना, मसूर की उपज खरीदी जा रही है। इसमें उपज बेचना किसानों को टेड़ी खीर साबित हो रहा है। एक महीने बाद भी मोबाइल पर संदेश नहीं आने से उनको कृषि उपज मंडियों में ही कम भाव में उपज बेचने मजबूर होना पड़ रहा है। कई किसान उपज बेच चुके हैं, जिससे उनको नुकसान उठाना पड़ा। किसानों ने बताया कि लेनदेन करने रुपए की आवश्यकता लग रही है। उपज नहीं बेचेंगे तो लेनदेन कहा से करें।

नहीं आ रही उपज
समर्थन केंद्रों पर नाममात्र की उपज आ रही है। इस कारण 45 केंद्रों को बंद करने का प्रापोजल तैयार किया है। शेष को भी सोमवार तक बंद किया जा सकता है। उपज परिवहन का काम चल रहा है।
शैलेष शर्मा, खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी सीहोर