scriptसुनिए सरकार….प्यास बुझाने को हजारों लोग तय कर रहे मीलों का सफर | the untold story of rural peoples who suffer for lack of drinkingwater | Patrika News

सुनिए सरकार….प्यास बुझाने को हजारों लोग तय कर रहे मीलों का सफर

locationसीहोरPublished: May 22, 2020 01:04:40 pm

Ground Zero
जीवनदायिनी के लिए गुहार, नहीं सुन रहे साहबान

सुनिए सरकार....प्यास बुझाने को हजारों लोग तय कर रहे मीलों का सफर

सुनिए सरकार….प्यास बुझाने को हजारों लोग तय कर रहे मीलों का सफर

सीहोर. आजादी के दशकों बाद सीहोर जिला के हजारों-लाखों लोग जलसंकट की समस्या से आजाद नहीं हो सके हैं। पानी के लिए इन बेचारों को आजाद भारत में मीलों का सफर तय करना पड़ रहा है। बावजूद इसके किसी भी जिम्मेदार पर जुंबिश तकनहीं हो रही। आलम यह कि गर्मी के सीजन में जिले के करीब सौ गांव, मजरा और टोला में भीषण जल संकट है। यह दीगर है कि अफसरों के रिकॉर्ड में महज 35 हैंडपंप और 18 नलजल योजना बंद बताए जा रहे लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है। वैसे पेयजल संकट की शिकायत सुनने के लिए बनाए कंट्रोल रूम पर रोज 40 से 45 शिकायत आ रही हैं। शिकायतों से रजिस्टर कम पड़ते जा रहे लेकिन निराकरण वाला काॅलम जस का तस ही है। उधर, जलस्तर नीचे चले जाने से हैंडपंप सूख रहे। पानी के लिए हाहाकार मचना शुरू हो चुका है। जीवनदायिनी पानी के लिए गांववालों को तीन-तीन किलोमीटर तक दूर जाना पड़ रहा है। बावजूद न कोर्इ नेता को चिंता है न किसी जिम्मेदार अफसर का इस समस्या की आेर ध्यान।
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प्यास बुझाने के लिए गंदा पानी पीने को मजबूर

श्यामपुर क्षेत्र में दोराहा ग्राम पंचायत में एक सपेरा बस्ती है। इस बस्ती की आबादी करीब 150 की है। यहां पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। पानी के लिए यहां के लोगों को करीब एक किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। ये लोग एक किलोमीटर दूर निकलने वाली नहर से पानी भरकर लाते हैं और दैनिक कार्य के लिए उसका उपयोग करते हैं।
यहां के अशोक कुमार सेन, लखन कुमार सेन आदि ने बताया कि एक अदद हैंडपंप के लिए जनप्रतिनिधियों व अफसरों से गुहार लगा चुके हैं लेकिन आश्वासन के अतिरिक्त कुछ हासिल नहीं हो सका। ये लोग बताते हैं कि चुनाव में तो राजनैतिक दलों के लोग लंबे चैड़े वादे करते हैं लेकिन चुनाव बीतते ही उनको कुछ भी याद नहीं रहता।
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आजाद भारत के इन गांवों में भी अभी तक पानी मयस्सर नहीं

आष्टा विकासखंड की सामरी बौंदी पंचायत की आबादी करीब छह हजार है। इस पंचायत में 15 गांव हैं। पंचायत मुख्यालय सामरी बौंदा को छोड़ कवटिया नाला, टीबूपुरा, उमरदड़, नयापुरा, बाटपुरा, सामरी कनीराम, सामरी पीपल, सामरी मउखेड़ा, सामरी गुलाब, सामरी मानसिंह, सामरी भड़कुल, सामरी झंडा, सामरी कनीराम, भगतपुरा में भीषण जल संकट है। पूर्व सरपंच बजे सिंह गरासिया ने बताते कि इन गांवों में नलजल योजना तक नहीं है, जल स्तर नीचे जाने के कारण अधिकांश हैंडपंप बंद हो गए हैं या फिर रुक-रुककर पानी दे रहे हैं। हैंडपंप से जल आपूर्ति नहीं होने पर ग्रामीण एक से डेढ़ किमी दूर खेत पर स्थित कुएं, ट्यूबवेल से पानी लाते हैं।
निजी ट्यूबवेल वाला पानी बंद कर दे तो बूंद-बूंद को तरस जाए लोग

आष्टा का ही गांव है टांडा। करीब 2500 की आबादी वाले इस गांव में भी जलसंकट गंभीर समस्या है। पंचायत मुख्यालय टांडा में तो ज्यादा दिक्कत नहीं है लेकिन मालीखेड़ी गांव की दुश्वारियां अधिक हैं। हालांकि, यहां के लोगों ने एक निजी ट्यूबेल से अपनी जरुरतें पूरा करने का निर्णय लिया। सरकार से गुहार लगाकर थक चुके लोग अब एक निजी बोर मालिक पर जलापूर्ति के लिए आश्रित हैं। अगर निजी पंप वाले ने पेयजल आपूर्ति ठप कर दी तो यह गांव पानी के लिए त्राहिमाम करेगा। वैसे कहने को यहां नलजल योजना के तहत बोर खनन, पानी टंकी, पाइप लाइन सब है, लेकिन यह सिर्फ शोपीस हैं। नलजल योजना जहां सफेद हाथी का दांत साबित हो रहा तो गांव के पांचों हैंडपंप बंद हैं। गांव के लखन मालवीय का कहना है कि नलजल योजना चालू करने कई बार स्थानीय स्तर पर पीएचई में शिकायत दर्ज कराई गई लेकिन सुनवाई नहीं हुई। टांडा गांव में भी पानी का संकट आसानी से देखा जा सकता है। पांच हजार की आबादी वाले मेहतवाड़ा के लोग भी पिछले चार महीने से इधर-उधर से पानी लाकर काम चला रहे हैं।
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तो क्या पानी के लिए आंदोलन-चक्काजाम ही एकमात्र विकल्प

पानी के संकट से जूझ रहे गांवों में लोगों का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है। इछावरी तहसील के छापरी ताल्लुका के लोग पेयजल संकट से परेशान थे। अधिकारियों से गुहार लगाकर थक चुके लोगों का गुस्सा सोमवार को सड़क पर उतार दिया। गांववालों के सड़क आकर विरोध प्रदर्शन की सूचना मिलते ही महकमा सक्रिय हो गया। जिला प्रशासन व पीएचई सक्रिय हो गया। आनन फानन में गांव में खराब हैंडपंप ठीक कराए जाने लगे। बोर के लिए जल स्तर की जांच कराई जा रही है। जांच के लिए एक टीम भी बनाई गई है।
…और साहबों की फाइलों में सबकुछ सामान्य, कार्य युद्धस्तर पर

सीहोर पीएचई के अधिकारी एससी अहिरवार कहते हैं कि गर्मी के सीजन में पेयजल संकट वाले सभी गांव चिन्हित कर लिए हैं। गांव से जैसे ही हैंडपंप खराब होने की शिकायत मिलती है, अमला तत्काल पहुंच जाता है। जल स्तर नीचे जाने के कारण कुछ जगह दिक्कत हो सकती है।
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