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महानगरों में बढ़ी आदिवासी अंचल की इस खास औषधि की डिमांड

डायबिटीज में कारगर है ये दवा जड़ी-बूटी, बड़े-बड़े डॉक्टर दे रहे उपयोग की सलाह

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Demand for this specialty of tribal zones grown in metros

विख्यात मंडल
मंडला. आदिवासी अंचल में पाई जाने वाली इस खास औषधि की डिमांड महानगरों में भी बढ़ गई है। ये औषधि डायबिटीज में कारगर होने की वजह से इसके प्रयोग की सलाह बड़े-बड़े डॉक्टर भी दे रहे हैं।
वनजीरा और बादाम का मिश्रण खाने से शुगर दूर होता है। यही कारण है कि नगर में वनजीरा की मांग तेजी से बढ़ रही है। इसके चलते इन दिनों जिले के हाट-बाजारों में वनजीरा 200 से 300 रुपए प्रति किग्रा की दर से लोग खरीद रहे हैं। जानकारी के अनुसार, मंडला के मवई और डिंडोरी के समनापुर,गाढ़ासरई का वनजीरा महानगरों में भी भिजवाया जा रहा है।
इन दिनों जिले के मवई, बिछिया और ङ्क्षडडोरी के समनापुर, गाढ़ासरई के बाजारों में वनजीरा की काफी खरीदी हो रही है। जानकारों का कहना है कि, दिसंबर-जनवरी और फरवरी के महीने में इसकी आवक सबसे अधिक होती है। व्यापारी ग्रामीणों से इसे 2६0 रुपए प्रति किग्रा की दर से खरीद रहे हैं वहीं आम खरीददारों को 300 रुपए की दर से बेच रहे हैं।
वनजीरा का उपयोग करने वाले संदीप श्रीवास्तव, बंटी बरमैया, अरविंद ताम्रकार आदि का कहना है कि उन्हें सोशल मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से जानकारी मिली थी कि एक भाग वनजीरा, दो भाग बादाम और एक भाग तेजपत्ता मिलाकर तथा इसका पाउडर बनाकर प्रतिदिन खाने से शुगर कंट्रोल रहता हैए इसलिए वे वनजीरा का उपयोग कर रहे हैं। इसके अलावा वनजीरा उत्पादकों ने भी इसे शुगर कंट्रोल करने की जड़ी बताई है। यही कारण है कि इसकी कीमत बाजार में तेजी से बढ़ रही है।
इसे हिन्दी में काली जीरी और आयुर्वेद में अरण्य जीरक और अंग्रेजी में पर्पल क्लोबेन कहा जाता है। इसमें 10 प्रकार का रासायनिक तत्व पाया जाता है, इसलिए वनजीरा का उपयोग कृमिरोग, चर्मरोग, आंतविकारोंए, बिच्छू और मधुमक्खी के दंश से निजात पाने तथा विभिन्न प्रकार के बुखारों में होता है। यह आम जीरा की तरह ही दिखता है लेकिन काफी कड़वा होता है। आायुर्वेद चिकित्सा पद्घति में वनजीरा का काफी महत्व है।

वनजीरा का उपयोग पेट की कृमि नष्ट करने में होता रहा है। आमतौर लोग हर कड़वी वनोषधि को शुगर की दवा मान लेते हैं जबकि ऐसा नहीं है। आयुर्वेद में कही भी वनजीरा को शुगर उपचार की दवा नहीं बताया गया है परन्तु अन्य वनौषधियों को मिलाकर शुगर की दवा बनाई जा सकती है। लोगों से अपील है कि इसका उपयोग करने से पहले चिकित्सक की सलाह लें।
डॉ हर्ष कर्महे, आयुर्वेद चिकित्सक, मंडला।


मवई- डिंडोरी के जंगलों में वनजीरा पाया जाता है। अन्य जड़ी बूटियों की तरह इसके भाव भी इसके उत्पादन पर निर्भर करते हैं। दिसंबर से फरवरी के बीच यह बाजार में बिकने के लिए आता है। वर्तमान में इसके भाव २६० रुपए प्रति किलो चल रहा है।
अवनीश गोयल, संचालक, प्रेसीयस हर्बल्स, मंडला।