script10 साल से दफ्तरों के चक्कर काट रहा दिव्यांग, पेंशन के भरोसे चला रहा परिवार | Divyang has been circling the offices for 10 years in search of a job | Patrika News

10 साल से दफ्तरों के चक्कर काट रहा दिव्यांग, पेंशन के भरोसे चला रहा परिवार

locationशाहडोलPublished: Apr 06, 2021 05:01:34 pm

Submitted by:

Shailendra Sharma

2 साल तक प्राथमिक विद्यालय में अतिथि विद्वान के रूप में पढ़ाने के बाद कर दिया बाहर, रोजगार मेले में भी गया लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला..

111.png

,,,,

शहडोल. हाथ-पैर से दिव्यांग होने के बावजूद वो मेहनत कर अपने परिवार का पालन पोषण करना चाहता है। नौकरी कर अपने बच्चों का भविष्य संवारना चाहता है लेकिन इसे सिस्टम की मार कहें या फिर उसकी किस्मत की अनदेखी कि वो बीते 10 साल से नौकरी की तलाश में सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है। मामला शहडोल का है जहां जयसिंहनगर के ग्राम बसोहरा के रहने वाले दिव्यांग सियाशरण नौकरी की तलाश में लगातार 10 साल से हर सरकारी दफ्तर की चौखट पर जा रहे हैं। हाथ और पैर से दिव्यांग होने के बावजूद सियाशरण में शिक्षित होने के साथ ही काम करने का जज्बा आज भी कायम है।

देखें वीडियो-

https://www.dailymotion.com/embed/video/x80f6e0

हाथ और पैर से दिव्यांग लेकिन इरादे मजबूत
दिव्यांग सियाशरण का एक हाथ और एक पैर काम नहीं करता है। कठिन परिस्थितियों और शारीरिक कमजोरी के वाबजूद सियाशरण का जज्बा कभी कम नहीं हुआ। कई मुश्किलों का सामना करने के बावजूद सियाशरण ने शिक्षा हासिल की और अब नौकरी की तलाश में लगातार जुटे हुए हैं। लेकिन दुखद पहलू यह है कि अफसरों और जनप्रतिनिधियों से दिव्यांग सियाशरण को आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिल रहा है। सियाशरण का कहना है कि वो रोजगार की तलाश में रोजगार मेले में भी गए थे लेकिन वहां भी सिर्फ आश्वासन ही मिला।

ये भी पढ़ें- सुहागरात पर सामने आई पत्नी की असलियत, युवक ने एसपी से लगाई गुहार

 

333.png

2 साल तक अतिथि शिक्षक के तौर पर किया काम
सियाशरण गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में दो वर्ष तक अतिथि शिक्षक के रूप में पढ़ाने का काम कर चुके हैं। जहां वह कक्षा पांचवी तक के बच्चों को बखूबी पढ़ाते थे। उनकी सहजता और सरलता के चलते स्कूली छात्र भी काफी रुचि से पढ़ते थे। दु:खद पहलू यह है कि अप्रैल 2010 में उन्हे स्कूल से बाहर कर दिया। जिसके बाद से सियाशरण लगातार रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अभी तक उन्हे कहीं भी ऐसा रोजगार नहीं मिला जिसके दम पर वह अपना व अपने परिवार का पेट पाल सकें। लेकिन नसीब में सिवा आश्वासन के कुछ नहीं आ रहा है और पूरा परिवार सियाशरण की विकलांगता पेंशन के भरोसे चल रहा है। पेंशन भी इतनी ज्यादा नहीं है कि पूरे परिवार का भरण पोषण अच्छे से हो सके। सियाशरण के दो बच्चे हैं वो चाहते हैं कि बच्चों का अच्छी शिक्षा दिलाएं।

देखे वीडियो-

https://www.dailymotion.com/embed/video/x80f6e0
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो