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चमत्कार- यहां साल में एक बार ही होते हैं भोलेनाथ के दर्शन, बाकी दिन हो जाते हैं अदृश्य

अद्भुत है कुनकेश्वर नाथ की लीला, नीचे भोले का डेरा, ऊपर बह रही नदी की अविरल धारा

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kunkeshwar mahadev mandir shahdol

शहडोल- अद्भुत है कुनकेश्वर नाथ की लीला, आपको सुनकर हैरानी जरूर होगी, लेकिन ये सच है कि यहां साल में एक बार ही भगवान भोलेनाथ के दर्शन होते हैं। नदी के बीचो-बीच पत्थर की ओट में बना एक ऐसा कुण्ड जिसके लगभग 20 फिट गहराई में शिवलिंग व मां पार्वती की अद्भुत प्रतिमा स्थापित है।

यह सुनने में अवश्य आश्चर्य जनक है लेकिन सच है। जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर जैतपुर स्थित कुनुक नदी में यह अद्भुत स्थान है। जो कि कुनुकेश्वर नाथ धाम के नाम से जाना जाता है। जहां साल में एक बार ही भगवान औघड़दानी व मां पार्वती के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है। इसके अलावा शेष दिनो में वह रेत व पानी के बीच अदृश्य रहते हैं। यह कुण्ड कैसे बना, यहां शिवलिंग व मां पार्वती की प्रतिमा की स्थापना किसने कि यह कोई नही जानता है।

इस अद्भुगत स्थान पर मकर संक्राति के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। यही वो समय होता है जब भगवान शिव व मां पार्वती के इस अद्भुत स्थान के दर्शन का लाभ लोगों को मिलता है। जिस कुण्ड में भगवान शिव व मां पर्वती की स्थापना है उसकी गहराई लगभग 20 फिट होगी।

इस कुण्ड में हर वक्त नदी का पानी व रेत भरा रहता है। मकर संक्रांति के पूर्व इसकी सफाई की जाती है तब कहीं जाकर दर्शन मिलते हैं। इसकी सफाई में कम से कम चार से पांच दिन का समय लगता है। इस मेले के बाद फिर से यह कुण्ड पूर्व स्थिति में आ जाता है।

थानेदार को दिया था स्वप्न
ऐसी अवधारणा हैं कि अंग्रेजी हुकुमत में जैतपुर के थानेदार रहे नर्वदा प्रसाद श्रीवास्तव ने इस स्थान की खोज की थी। जिन्हे स्वप्न में इस स्थान में शिवलिंग होने की जानकारी हुई थी। जिसके बाद उन्होंने काफी प्रयास किया लेकिन शिवलिंग का कहीं कोई पता नहीं चला। जिसके बाद उनके द्वारा वहीं समीप ही भोलेनाथ की प्रतिमा रखकर उनकी पूजा अर्चना प्रारंभ कर दी गई।

जिसके कुछ दिन बाद फिर से स्वप्न में उक्त स्थान के विषय में जानकारी हुई। उन्होने फिर से वहां पर साफ-सफाई व खुदाई कि तो इस कुण्ड में शिवलिंग व मां पार्वती की लगभग ढ़ाई फिट लंबी प्रतिमा स्थापित मिली। इसके चारो तरफ चिकने पत्थर हैं, जिनमें कहीं कोई निशान नही हैं।

थाना प्रभारी करते हैं पहली पूजा
इस स्थान की सबसे खास बात यह भी है कि मकर संक्राति के दिन यहां सबसे पहली पूजा थाना प्रभारी के हाथों ही होती है। जानकारों की मानें तो यहां स्व. पं. सीताराम शर्मा राजगुरु थे। वही यहां पर पूजा पाठ कराते थे। जिनके स्वर्गवास के बाद अब उनके वंशज पूजा पाठ कराते हैं। फिलहाल इस रहस्यमयी स्थान में मकर संक्रांति के अवसर पर विजय प्रसाद शर्मा द्वारा पूजा पाठ कराई जाती है।