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शहडोल। कोरोना संकट काल (coronavirus) में जहां एक ओर लोग घरों में बैठे हुए हैं वहीं दूसरी ओर मेडिकल कॉलेज शहडोल के मेडिसिन विभाग की एचओडी डॉ. किरण टांडिया के समर्पण और सेवा भावना की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है।
कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करते हुए परिवार के दो सदस्य कोरोनो पॉजिटिव हो गए। भाई अभी भी संक्रमण से जूझ रह रहे हैं। पांच माह शादी को हुए थे, लेकिन सैकड़ों मरीजों की जान पर बात आई तो ससुराल की बजाय वे फर्ज निभाने निकल पड़ीं।
कई बार भर आती हैं आंखें
मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती कोरोना मरीजों के इलाज में पिछले 10 माह से जुटी हुई हैं। डॉक्टरों की टीम के साथ अब तक दो हजार से ज्यादा मरीजों को स्वस्थ कर घर भेज चुकी है डॉ. किरण बताती हैं, कई बार तो क्रिटिकल मरीजों के इलाज में पूरी रात बीत जाती है। परिजनों की पीड़ा देखकर कई बार आंखें भर आती हैं, लेकिन किसी की जिंदगी बचाना सुकून दे जाता है।
बदल दिया नौकरी छोड़ने का फैसला
डॉ. किरण कहती हैं, शादी के बाद परिवार के दबाव के चलते फरवरी में नौकरी छोड़ दिल्ली ससुराल जाने वाली थी, लेकिन अचानक कोरोना के मामले बढ़ने लगे। ये सोचकर कि ऐसे विकट हालात में फर्ज से हटकर जीवनभर चैन नहीं मिलेगा, मैंने फैसला बदल दिया। इसमें पति ने भी साथ दिया।
Published on:
02 May 2021 05:49 pm
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