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MP के इस 1000 साल पुराने किले का बड़ा हिस्सा किसके पास? प्रशासन को नहीं खबर, विभाग ने भी झाड़ा पल्ला

MP News: 90 साल की लीज पर गया किला, लेकिन बड़ा हिस्सा अब भी पुरातत्व के पास। कौन सा हिस्सा किसके पास है, इस सवाल पर प्रशासन ने मांगी साफ रिपोर्ट।

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sheopur fort ownership dispute lease confusion Archaeology mp news

sheopur fort ownership dispute lease confusion Archaeology (फोटो- श्योपुर जिला वेबसाइट)

sheopur fort ownership dispute:श्योपुर के एक हजार साल पुराने ऐतिहासिक किले के एक हिस्से को भले ही 90 साल के लिए निजी कंपनी को लीज पर दे दिया गया, लेकिन अभी भी एक बड़ा हिस्सा पुरातत्व के पास है। बावजूद इसके अभी तक ये तस्वीर साफ नहीं है कि कितना हिस्सा लीज पर दे दिया गया और कितना हिस्सा पुरातत्व के पास बचा है। (MP News)

प्रशासन ने पुरातत्व विभाग को लिखा पत्र

यही वजह है कि जिला प्रशासन ने पुरातत्व विभाग को पत्र लिखा है और पूछा है कि किले के कौन-कौन से भाग अभी आपके पास है और उसके संरक्षण के लिए क्या इंतजाम है। प्रशासन को ये जरुरत इसीलिए पड़ी है, क्योंकि श्योपुर की इस विरासत के पिछले हिस्से की एक बड़ी दीवार पिछले सप्ताह धराशायी हो गई, लेकिन उसकी मरम्मत को लेकर अब निजी कंपनी और पुरातत्व दोनों ही पल्ला झाड़ रहे हैं।

बाहरी भाग में घुड़साल और छतरियां अब भी राज्य संरक्षित

श्योपुर किले में पहले 3 राज्य संरक्षित स्मारक थे, जिनमें नरसिंह महल का डिनोटिफिकेशन हो चुका है, क्योंकि ये महल लीज पर दिए गए किले के हिस्से में शामिल है। वहीं घुड़साल और मनोहरदास की छतरियां अभी राज्य संरक्षित स्मारक हैं और ये अभी भी पुरातत्व के पास हैं। लेकिन इनके लिए रास्ता कहां से होगा, ये बड़ा सवाल है। विशेष बात यह है कि वर्तमान में भी यदि कोई राज्य संरक्षित स्मारक घुड़साल और छतरियां देखने जाए तो उसे प्रवेश नहीं मिलेगा, क्योंकि लीज पर दिए जाने के बाद से ही इस पूरे परिसर में आम आदमी की आवाजाही रोकी हुई है।

दो हिस्सों में बंटा है किला

लगभग 50 बीघा क्षेत्र में फैला श्योपुर का ऐतिहासिक किला 2 हिस्सों में बंटा है। एक हिस्सा नीचे का है, जबकि दूसरा हिस्सा ऊपर टीले पर मुख्य किला (इस फोटो में लाल घेरे में) है, जहां राजाओं के महल आदि हैं। 11वीं सदी में बना ये किला कई शासकों के अधीन रहा। बताया गया है कि 225 सालों तक श्योपुर के गौड़ राजाओं की राजधानी रही किला सिंधिया रियासत का भी हिस्सा रहा है। नीचे चारों ओर परकोटा है और 2 बड़े गेट हैं। परकोटे के भीतर आबादी बसी है। (MP News)

किले की ओनरशिप को लेकर बढ़ा असमंजस

वहीं टीले के ऊपर के मुख्य किले में से एक हिस्सा 90 साल की लीज पर दे दिया गया, जबकि एक बड़ा हिस्सा अभी पुरातत्व के पास है। लेकिन न तो श्योपुरवासियों को ये पता है कि किलना हिस्सा लीज पर है और कितना जिला प्रशासन के पास सही जानकारी है। यही वजह है कि अब जिला पुरातत्व एवं पर्यटन परिषद के नोडल अधिकारी और अपर कलेक्टर रुपेश उपाध्याय ने पुरातत्व विभाग को पत्र लिखा है, साथ ही लीज पर लेने वाली कंपनी से भी दस्तावेज मांगे हैं। (MP News)