
20 करोड़ में बना डेम नदी में बहा (Photo Source- Patrika Input)
संजीव जाट की रिपोर्ट
MP News : सरकार के पास परियोजनाएं तो ऐसी ऐसी हैं, जिनसे हर क्षेत्र और वर्ग के लोगों का उद्धार हो जाए, लेकिन कई बार लापरवाही तो कई बार करप्शन उन परियोजनाओं को पलीता लगा देते हैं, जिसका नतीजा ये होता है कि, आमजन को उसका कोई फायदा तो मिल नहीं पाता, साथ ही साथ जनता के लाखों-करोड़ों नुकसान अलग। ऐसी ही एक सिचाई परियोजना का पलीता लगा है मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के अंतर्गत आने वाले बदरवास में, जहां सरकार ने किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए 20 करोड़ खर्च कर दिए, लेकिन नतीजा ये रहा कि, वो 20 करोड़ भी पानी में डूब गए और किसानों कोई लाभ भी नहीं मिला।
कोलारस विधानसभा में स्थित बदरवास तहसील की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत बिजरोनी समेत 3 गांवों की 470 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई की समस्या दूर करने के लिए जो सिंचाई परियोजना अमल में लाई गई जो बनकर तैयार भी हो चुकी थी और इसपर करोड़ों रुपए खर्च भी हो चुके थे, वो सभी अब जिम्मेदारों के लापरवाह रवैय्ये की भेंट चढ़ गया है। बता दें कि, क्षेत्र से गुजरने वाली सिंध नदी पर 20 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ डेम लोगों को फायदा पहुंचाने से पहले ही टूटकर नदी में समा चुका है। वहीं, वहीं बिजली निर्माण से लेकर सिंचाई के इस्तेमाल में आने वाली बेशकीमती मशीने भी गायब हैं। यही नहीं, करीब पांच किलोमीटर दूर तक के खेतों में सिचाई के इस्तेमाल में लाने वाले पानी के लिए बनी नहर तक गायब हो चुकी है।
तत्कालीन प्रदेश शासन के मंत्री और क्षेत्रीय विधायक समेत जिले के प्रभारी मंत्री पूरन सिंह बेड़िया ने साल 2002 में इस सिंचाई परियोजना की नींव रखी थी। अमलीजामा न पहनाए जाने के कारण आज की परिस्थितियों में ये परियोजना लगभग बर्बाद हो चुकी है। जलसंसाधन विभाग के अंतर्गत आने वाली परियोजना में बनाई गई नहरों की फर्सी तक चोरी हो चुकीं हैं। 20 करोड़ की ये सिंचाई परियोजना 25 साल में पूर्णता बर्बाद हो चुकी है। इसके अधूरे रहने से क्षेत्र के किसानों को सिंचाई का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वहीं, विभाग को भी हर महीने हजारों रुपए बिजली बिल भुगतान करना पड़ रहा है, जिससे ये परियोजना उल्टा घाटे का सौदा साबित हुई है।
प्रदेश के जिले के प्रभारी मंत्री क्षेत्रीय विधायक पूरन सिंह बेड़िया ने परियोजना शिलान्यास किया था। परियोजना उस समय 20 करोड़ 10 लाख रूपए की थी, लेकिन बाद में लागत लगातार बढ़ती चली गई।
जल संसाधन विभाग द्वारा बदरवास विकासखंड के 8 हजार आबादी वाले ग्राम में सैंकड़ों हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए 20 करोड़ की लागत से क्षोत नदी से सिंचाई के लिए नहर बनाई गई। नहर निर्माण के दौरान जो फर्सी गाढ़ी गई उसे लोग चुराकर ले गए जबकि कई स्थानों पर यह क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इस तरह शासन को लाखों का चूना लग रहा है वहीं किसान भी इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं।वर्तमान में नहर पूर्णता गायब हो चुकी है।
जलसंसाधन विभाग ने सिंचाई परियोजना के नाम पर करोड़ों खर्च इसे तैयार किया और इस परियोजना के लिए बेशकीमती मशीन के सेट भी मंगाए, लेकिन आज ये धूल खा रहे हैं। क्षेत्र की क्षोत नहीं में डेम भी पानी रोकने के लिए बनाया गया है। इस सबके बावजूद भी यह शुरू नहीं हो सकी है।
परियोजना भले ही शुरू नहीं हो सकी हो, लेकिन बिजली कनेक्शन लेने के बाद बिजली विभाग द्वारा हर माह बिल दिया जा रहा है और जल संसाधन विभाग भी बिजली बताया जाता है कि आठ साल पूर्व पूर्व यहां की डीपी भी बिजली का बिल भर रहा है। डीपी उठा ली, बावजूद इसके बिजली का बिल से तेल भी निकाल लिया गया और विभाग ने जारी करने को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। इस ओर जल संसाधन विभाग भी ध्यान नहीं दे रहा है।
बिजरोनी में 475 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई के लिए क्षोत नदी पर बनाया गया डैम पिछली बरसातों में पानी के तेज बहाव के साथ ढह गया। इस कारण डैम के निर्माण कार्य पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।
Updated on:
13 Sept 2025 04:14 pm
Published on:
13 Sept 2025 04:10 pm
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