फसलों में नुकसान चेंपा के कारण फसलों में नुकसान की गुंजाइश से पैदावार प्रभावित होने से किसान चिंतित हो रहे हैं। गेहूं की बजाए सरसों की फसल में चेंपा कीट का प्रकोप ज्यादा है। जिले में करीब चार हेक्टैयर क्षेत्र में सरसों की बालियों व पौधों के ऊपरी पत्तों पर चेंपा कीट का प्रकोप है। कृषि अधिकारियों ने बताया कि किसानों को चेंपा के प्रकोप से बचाने के लिए मिथाईल डिमेटीन सहित कई दवाओ के छिड़काव की सलाह दी जा रही है।
बादल और नमी से बढ़ी समस्या चेंपा फसलों का रस चूसने वाली श्रेणी का एक कीट है, जिसका साइज बेहद महीन होता है। यह कीट बिना पंखों वाला होता है। फरवरी के अंतिम सप्ताह में तापमान बढ़ोतरी होने पर हल्के पंख उग आने से यह सरसों की फसल से उडऩे लगता है। सरसों के शिशु एवं प्रौढ़ पौधों के बढने वाले वाले भाग, फलियां एवं फूलों के बीच में चेंपा के कीट चिपके रहकर पौधों के रस को चूसते रहते हैं। इससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है और पैदावार में कमी हो जाती है। जिससे पौधा छोटा रह जाता है और तना छोटा एवं पतला होकर सुख जाता है।
इनका कहना है फसलों में आई चेंपा नामक बीमारी खुद ही खत्म हो जाएगी। फसलों में इन दिनों आने वाली चेपा बीमारी की जांच को लेकर किसानों को फसल का प्रतिदिन निरीक्षण करना चाहिए। बीमारी के लक्षण दिखाई देते ही फसल में दवा का छिड़काव करें। – हरदेव सिंह बाजिया, कृषि अनुसंधान अधिकारी