
फोटो- राजस्थान पत्रिका
Rajasthan News: देशी नस्लों के संरक्षण, संवर्धन और वैज्ञानिक विधियों से पशुपालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार-2025 की घोषणा की है। पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने 14 अगस्त को इसकी विस्तृत गाइडलाइन जारी कर दी। इस योजना के तहत प्रगतिशील पशुपालकों को प्रथम पुरस्कार स्वरूप 5 लाख रुपये तक का नकद इनाम मिलेगा।
आवेदन प्रक्रिया 15 अगस्त से शुरू हो चुकी है और इच्छुक पशुपालक 15 सितंबर तक ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। विजेताओं की घोषणा 25 नवंबर को होगी तथा 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर प्रधानमंत्री या केंद्रीय पशुपालन मंत्री द्वारा पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार का मुय उद्देश्य देशी दुधारू नस्लों का वैज्ञानिक तरीके से पालन करने वाले प्रगतिशील पशुपालकों को प्रोत्साहन देना है। साथ ही, डेयरी सहकारी समितियों व दुग्ध प्रसंस्करण संस्थानों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना तथा कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम को गति देकर राष्ट्रीय गोकुल मिशन के लक्ष्यों को पूरा करना भी इस योजना का हिस्सा है।
पशुपालक को राष्ट्रीय पशु आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो में पंजीकृत 53 गाय नस्लों व 20 भैंस नस्लों में से किसी एक देशी नस्ल का पालन करना आवश्यक है। पंजीकृत दुग्ध सहकारी समिति/संघ से कम से कम 50 पशुपालक जुड़े हों और प्रतिदिन 100 लीटर दूध एकत्रित होता हो।
कृत्रिम गर्भाधानकर्ता जिन्होंने न्यूनतम 90 दिन का प्रशिक्षण प्राप्त किया हो और किसी राज्य, लाइवस्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड या एनजीओ से जुड़े हों। (वेटरनरी डॉक्टर पात्र नहीं होंगे।)
प्रथम पुरस्कार - 5 लाख रुपए
द्वितीय पुरस्कार - 3 लाख रुपए
तृतीय पुरस्कार - 2 लाख रुपए
विशेष पुरस्कार - 2 लाख रुपए (पूर्वोत्तर व हिमालयी राज्यों के लिए)
प्रत्येक श्रेणी में 4-4 पुरस्कार दिए जाएंगे। हालांकि, सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधानकर्ता को केवल प्रमाणपत्र व मोमेंटो प्रदान किया जाएगा।
प्राप्त आवेदनों की स्क्रीनिंग की जाएगी और आवश्यकता पड़ने पर भौतिक सत्यापन भी होगा। अंतिम चयन नेशनल अवार्ड कमेटी करेगी। पशुपालक https // awards. gov. in वेबसाइट पर 15 सितंबर 2025 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
गौवंश - थारपारकर, कांकरेज, गिर, राठी, साहीवाल, नागौरी, हरयाणवी, मेवाती, नारी व सांचौरी।
भैंसें - मुर्रा, सुरती, जाफराबादी, मेहसाना और नीली-रवी।
एक्सपर्ट व्यू…
राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार देशी नस्लों के संरक्षण व संवर्धन को बढ़ावा देगा। इससे डेयरी उद्योग को मजबूती मिलेगी और पशुपालकों को आर्थिक संबल मिलेगा। देशी नस्लों की गाय-भैंसें सुपाच्य और स्वास्थ्यवर्धक ए-2 दूध देती हैं। राजस्थान के पशुपालक, विशेषकर राठी, गिर, थारपारकर, साहीवाल, नागौरी और मुर्रा-सुरती भैंस पालक इस योजना से बड़ा लाभ उठा सकते हैं।
- डॉ. योगेश आर्य, पशु चिकित्सा विशेषज्ञ, नीमकाथाना
Published on:
25 Aug 2025 05:42 pm
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