सीकर. किसान हितैषी होने का दंभ भरने वाले जिम्मेदारों की अनदेखी का नतीजा है कि प्रदेश के लाखों किसान एक साल से फसल बीमा के मुआवजे को तरस रहे हैं। वजह केंद्र और राज्य सरकार के बीच अनुदान राशि के आवंटन और भुगतान में समन्वय की कमी के कारण मुआवजा वितरण प्रक्रिया का अधर में लटका जाना है। इससे खेतों में मेहनत करने वाले किसानों को प्रीमियम चुकाने के बाद भी फसल के नुकसान के साथ मुआवजे के रूप में मिलने वाली राहत नहीं मिल पा रही है।
किसान संगठनों ने केंद्र और राज्य सरकारों के बीच की इस प्रशासनिक खींचतान को लेकर नाराजगी जता रहे हैं। इस संबंध में किसान संगठनों ने भी आंदोलन करने की चेतावनी दी है।किसान नेताओं के अनुसार केन्द्र हो राज्य सभी सरकार केवल घोषणाएं करती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर किसानों की हालत खराब होती जा रही है। गौरतलब है कि सीकर जिले में खरीफ 2024 के दौरान प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों की फसलों में नुकसान हुआ था।
पोर्टल पर सूची लेकिन मुआवजा नहीं
प्रदेश के कई जिलों में खरीफ 2024 के दौरान बैमौसम बारिश ओर सूखे के कारण फसलों को नुकसान हुआ था। जिला स्तर से प्रभावित किसानों की सूची और नुकसान का आंकलन पोर्टल पर अपडेट भी हो चुका है लेकिन प्रदेश और केन्द्र सरकार की मंजूरी और फंड रिलीज प्रक्रिया में देरी हो रही है। वहीं प्रशासनिक औपचारिकताएं और फंड ट्रांसफर कार्य में ढिलाई के कारण किसानों को राहत नहीं मिल रही है। नुकसान के बाद भी मुआवजा नही मिलने से किसानों में रोष बढ़ता जा रहा है।
फैक्ट फाइल
तहसील- किसानों की संख्या- बीमित क्षेत्र हेक्टैयर में
दांतारामगढ़-21502-31815
रामगढ़ शेखावाटी-8131--18117
लक्ष्मणगढ़-11042-17908
फतेहपुर-7548--15087
नेछवा-8012-14041
श्रीमाधोपुर-12949--9870
सीकर ग्रामीण-7249--9602
धोद-6311--9055
खंडेला-8640-8653
रींगस-7807--7940
सीकर-6036--6763
पाटन-2583--1524
Updated on:
22 Jun 2025 01:44 pm
Published on:
22 Jun 2025 01:23 pm