
फोटो- एक्स हैंडल
Rajasthan Monsoon withdrawal: सीकर जिले के रींगस क्षेत्र में इस साल भारी बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। ग्वार, बाजरा और मूंग की फसलों को भारी नुकसान हुआ, जिसके चलते किसानों को लाखों रुपये का आर्थिक झटका लगा है। बारिश के कारण ग्वार की फसलें सड़ गईं और जो बचीं उनमें दाना नहीं पड़ा। बाजरे की फसलें आड़ी हो गईं, सिट्टे काले पड़ गए और फसलों में कालापन व गोंद की समस्या ने नुकसान को और बढ़ा दिया।
बता दें, हताशा में डूबे किसान अब खड़ी फसलों पर ट्रैक्टर चलाकर खेतों की जुताई करने को मजबूर हैं। इस दोहरे नुकसान ने किसानों को गहरे आर्थिक संकट में धकेल दिया है।
रींगस के एक किसान बताते हैं कि इस बार बारिश किसानों के लिए मुसीबत बनकर आई। उनके पास 7 बीघा जमीन है, जिसमें 3 बीघा में ग्वार और 2 बीघा में बाजरा बोया था। बारिश ने ग्वार की फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया, जिसके बाद उन्होंने मजबूरी में खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया। फसल बोते समय जुताई, बुवाई, बीज और खाद पर प्रति बीघा 3,000 से 4,000 रुपये का खर्च आता है।
इसके अलावा निराई-गुड़ाई और मजदूरी का खर्च अलग है। फसल खराब होने से न केवल उनकी मेहनत बेकार गई, बल्कि लागत भी वापस नहीं मिली। अब खेतों की दोबारा जुताई के लिए ट्रैक्टर चलाने का अतिरिक्त खर्च भी किसानों पर भारी पड़ रहा है।
किसानों का कहना है कि इस संकट से उबरने के लिए मुआवजा और बीमा राशि का त्वरित भुगतान जरूरी है। किसानों का कहना है कि इस साल अच्छी फसल की उम्मीद थी, लेकिन अतिवृष्टि ने सब कुछ तबाह कर दिया। अब उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है और कर्ज का बोझ बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है। किसानों का कहना है कि अगर सरकार और बीमा कंपनियां समय पर मदद नहीं करेंगी, तो उनकी आर्थिक स्थिति और बिगड़ जाएगी।
गौरतलब है कि 7 सितंबर को राजस्थान के वन मंत्री संजय शर्मा ने सीकर जिले के खंडेला क्षेत्र के माच्छा वाली ढाणी (कोटड़ी धायलान), भवानीपुरा, धीरजपुरा, दांतारामगढ़, सुजावास भुवाला और नेतड़वास गांवों का दौरा किया था। उन्होंने अतिवृष्टि से हुए फसल नुकसान का जायजा लिया और प्रभावित किसानों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने क्षतिग्रस्त मकानों, फसलों और पशुधन के नुकसान का आकलन किया।
मंत्री ने संबंधित अधिकारियों को तत्काल राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। साथ ही, प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा।
रींगस के किसानों का कहना है कि इस साल फसल की अच्छी पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन प्रकृति के प्रकोप ने उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। अब उनकी नजरें सरकार और बीमा कंपनियों की ओर टिकी हैं। किसानों को उम्मीद है कि मुआवजा और बीमा राशि से उनकी कुछ हानि की भरपाई हो सकेगी। अगर समय पर सहायता नहीं मिली, तो किसानों के सामने कर्ज और आर्थिक तंगी का संकट और गहरा सकता है।
Published on:
15 Sept 2025 11:50 am
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