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ये बाबा पलक झपकते ही लगा देते थे जान की बाजी, दिल्ली पुलिस भी करती है इन्हें सैल्यूट

सत्ता बाबा राजस्थान के सीकर जिले के नीमकाथाना उपखण्ड के गांव हसामपुर के रहने वाले थे। रविवार को इस दुनिया से विदा हो गए।

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Baba News Sikar

पाटन (सीकर). कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो उम्र कोई मायने नहीं रखती। फिर चाहे चढ़ती जवानी हो या उम्र का अंतिम पड़ाव। कुछ ऐसी ही जिंदगी सत्यनारायण शर्मा ने जी है। इन्हें सत्ता बाबा के नाम से भी जाना जाता है। सत्ता बाबा राजस्थान के सीकर जिले के नीमकाथाना उपखण्ड के गांव हसामपुर के रहने वाले थे। रविवार को इस दुनिया से विदा हो गए।

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सत्यनारायण शर्मा उर्फ सत्ता बाबा को लोग कभी नहीं भूल पाएंगे। वजह ये है कि इन्होंने कुएं, बावडिय़ों, बांध व तालाब में डूबते अनेक लोगों को सकुशल बाहर निकालकर जिंदगी लौटाई है। सत्ता बाबा लोगों को बचाने के लिए खुद की जान की बाजी लगाने से जरा भी नहीं चूकते थे। उनकी इसी बात की तो दिल्ली पुलिस भी कायल है।

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सत्ता बाबा लोगों के दिलों में किस कदर बसे हुए थे। इस बात का अंदाजा रविवार को उनकी शवयात्रा देखकर लगाया जा सकता है। आस-पास के गांवों से ही नहीं बल्कि पूरे शेखावाटी से हजारों लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए।

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बदन पर सिर्फ धोती पहने, नंगे पैर व साधुवेश में रहने वाले सत्ता बाबा सही मायने में समाजसेवी थे। इलाके में कहीं भी आगजनी या पानी में डूबने की सूचना मिलने पर प्रशासन व पुलिस द्वारा सबसे पहले सत्ता बाबा को ही याद किया जाता था।

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सत्ता बाबा के सेवाकार्य के चलते उनका कई मंचों पर सम्मान हुआ। नीमकाथाना उपखण्ड अधिकारी ने भी सत्ता बाबा को गणतंत्र दिवस पर सम्मानित किया था। हसामपुर सरपंच विजेन्द्र सिंह तंवर व शिक्षक नीलकमल स्वामी ने बताया कि बाबा को गांव में संकटमोचक कहा जाता था।

हसामुपर नृसिंह मंदिर में पुजारी
सत्ता बाबा गांव नृसिंह मंदिर में पुजारी थे। इनके एक बेटा है। पिछले कई सालों से ये सांसारिक मोह-माया से दूर भगवान की भक्ति और आमजन की सेवा में लीन थे।


चार जनों के शव निकाले
यूं तो सत्ता बाबा वर्षों से कुओं से शव निकालते रहे थे, मगर अंतिम बार तीन-चार साल पहले गांव पाटन के एक कुएं से महिला व उसके तीन बच्चों के शव निकाले थे। इसके अलावा करीब 15 साल पहले गांव हसामपुर के तालाब में डूबते लोगों को भी सत्ता बाबा ने ही बचाया था।

दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने किया सम्मानित
वर्ष 2005 में दिल्ली के व्यवसायी के पास कैंटर था। जिसका चालक अलवर के मेवात और परिचालक नीमकाथाना इलाके के गांव जिलो का रहने वाला था। चालक व परिचालक ने व्यावसायी का मर्डर करके उसका शव हसामपुर के कुएं में डाल दिया। करीब दस दिन तक किसी को भनक भी नहीं लगी।

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बाद में दिल्ली पुलिस मामले की जांच करते हुए गांव जिलो पहुंची और परिचालक से पूछताछ की तो उसने शव हसामपुर के कुएं में डालना बताया। कुएं में दस पुराना शव संड़ाध मारने व कुआं काफी गहरा होने के कारण किसी ने कुएं में उतरने की हिम्मत नहीं की तब करीब 80 वर्षीय सत्ता बाबा कुएं में उतरे व शव को बाहर निकाला। इसके बाद दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने सत्ता बाबा को दिल्ली बुलाकर सम्मानित किया।