अखिल भारतीय वाल्मिकी नवयुवक मंडल संघ के जिलाध्यक्ष विक्रम कुमार लखन का कहना है कि शांति देवी के कुछ परिजन व बस्ती के लोग इनकी देखरेख अपनी क्षमता के तहत कर रहे हैं। उसके ससुराल वालों ने भी मदद की है। लेकिन, अब दोनों मां-बेटों की हालत खराब होती जा रही है। समाज के अलावा प्रशासन को भी इनकी मदद की सुध लेनी चाहिए।
शंकर के अनुसार उसकी मां देख नहीं पाती है। लेकिन, दिलासा हमेशा ठीक होने का देती है। हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि नियमित इलाज नहीं मिलने पर कुछ भी हो सकता है। सरकारी अस्पताल में उपचार के लिए पांच-छह दिन इंतजार का समय दिया जा रहा है। इससे कुछ सालों पहले वह साफ-सफाई कर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहा था। किडनी का उपचार कराने के लिए डेढ़ दो लाख रु. का कर्जा भी भोग चुके हंै।