विशेष शिक्षा के पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले देशभर के विद्यार्थियों के लिए राहतभरी खबर है। इस साल भी भारतीय पुनर्वास परिषद की ओर से विशेष शिक्षा के डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए पात्रता परीक्षा का आयोजन नहीं होगा। इस संबंध में परिषद की ओर से नए सत्र में प्रवेश के पैटर्न को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। दरअसल, पिछले दो साल से कई राज्यों में सीटें खाली रहने की वजह से पुनर्वास परिषद की ओर से प्रवेश का फॉर्मूला लगातार बदल रहा है। विशेष शिक्षा के बीएड सहित अन्य पाठ्यक्रमों में पढ़ाई के लिए पहले से प्रवेश परीक्षा का प्रावधान नहीं है। इस साल दाखिले की दौड़ में दो लाख से ज्यादा युवा रहेंगे।
देशभर के सभी विशेष शिक्षा महाविद्यालयों में 12 जून से प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो गई है। संस्थाओं को प्रवेश के लिए चार सदस्यों की कमेटी बनानी होगी। इस समिति के अनुमोदन के बाद विद्यार्थियों को दाखिला मिल सकेगा। संस्थाओं का तर्क है कि दाखिला कक्षा 12 वीं के अंकों के आधार पर मेरिट से ही दिया जाएगा। इस साल शैक्षणिक सत्र 21 जुलाई से शुरू होना है।
भारतीय पुनर्वास परिषद की ओर से इस साल डिप्लोमा के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए केन्द्रीयकृत परीक्षा नहीं कराई जाएंगी। प्रवेश का अधिकार सीधे तौर पर महाविद्यालयों को दिया है। इससे विद्यार्थियों को सीधे तौर पर राहत मिल सकेगी। इस नई व्यवस्था से शिक्षा सत्र भी समय पर शुरू हो सकेगा। इसका लाभ प्रदेश के युवाओं को मिलेगा।
बीएल गोदारा, दिव्यांग शिक्षा मामले के एक्सपर्ट
विशेष शिक्षा के पाठ्यक्रमों के प्रति युवाओं में क्रेज की वजह हर शिक्षक भर्ती में पद मिलना है। राजस्थान के अलावा दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश में लगातार विशेष शिक्षकों की भर्ती हुई है। हालांकि नौकरी के लिए बेरोजगारों में टक्कर का ग्राफ भी बढ़ रहा है। वर्ष 2018 तक जहां एक पद के लिए दो से तीन बेरोजगार टक्कर में होते, लेकिन एक पद के लिए औसतन छह से नौ बेरोजगार टक्कर में है।
प्रदेश में विशेष शिक्षा में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के दोनों लेवल व द्वितीय श्रेणी अध्यापकों की भर्ती हो चुकी है। प्रदेश में सीनियर स्कूलों में दिव्यांगों के बढ़ते नामांकन की वजह से प्रथम श्रेणी व्याख्याता में भी भर्ती की आस है। प्रदेश में दिव्यांगों के लिए अलग से कॉलेज खुलने से भी नौकरी के अवसरों में बढ़ोतरी हुई है। विशेष शिक्षा में वरिष्ठ अध्यापक भर्ती भी पांच साल से नहीं हुई है। ऐसे में युवाओं का विशेष शिक्षा पाठ्यक्रमों का क्रेज बढ़ रहा है।
Published on:
20 Jun 2025 01:33 pm