
स्कूलों में अब मातृभाषा में होगी पढ़ाई, फोटो एआइ
डॉ. सचिन माथुर
New Education Policy: राजस्थान के स्कूलों में अब नई शिक्षा नीति के तहत मातृभाषा में पढ़ाई होगी। सीकर में शेखावाटी के प्राथमिक स्कूलों के विद्यार्थी अब औरत को लुगाई, आग को बासते और इंसान को मिनख पढ़ते नजर आएंगे। नई शिक्षा नीति के तहत प्राथमिक कक्षाओं में मातृ भाषा में शिक्षा देने की नीति लागू होने से ऐसा होगा। इसके तहत आरएससीईआरटी (राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान) ने प्रदेश में संभागवार भाषाई सर्वेक्षण करवाकर स्थानीय भाषा के शब्द कोष तैयार करवाए हैं।
इसी के तहत सीकर डाइट की सीएमडीई (पाठ्यक्रम सामग्री निर्माण एवं मूल्यांकन प्रभाग) ने शेखावाटी के लिए अलग शब्द कोष बनाया है। अंग्रेजी व हिंदी के साथ 524 स्थानीय शब्दों वाले इस कोष का उपयोग अब प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों को आसान भाषा में विषय समझाने के लिए होगा।
भारतीय भाषा सर्वेक्षण के तहत राजस्थान में 30 भाषाओं को लेकर सर्वेक्षण किया गया है। इनमें शेखावाटी के अलावा मारवाड़ी, थली, सांसी, बंजारा, गवारिया, मोटवाड़ी, देवड़ावाटी, खेराड़ी, हाडौती, वागड़ी आदि शामिल रही।
विश्व के कई देश मातृभाषा में शिक्षा दे रहे हैं। इनमें जापान, जर्मनी, इटली, इजरायल, चीन, रूस सहित कई देश शामिल हैं। यूनेस्को भी मातृभाषा में पढ़ाई की पैरवी कर चुका है। कई राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय शोध भी पढ़ऩे- समझने के लिहाज से मातृभाषा में शिक्षा की वकालत कर चुके हैं, जिसके बाद से कई देश इस पर काम कर रहे हैं।
शेखावाटी के शब्दकोश में शोर को रोला, आदत को बाण, इधर को अठीने, इंतजार को उडीकणो, इकट्ठा को भेळो व सांवठो, अध्ययन को पढ़णो, आवास को ठिकाणो, इतना को अतरो, इनकार को नटणो, इसके लिए को इकैताई व अधिक बोलने को लपर-लपर सरीखे 524 शब्द शामिल किए गए हैं।
प्राथमिक शिक्षा में स्थानीय भाषा का प्रयोग नई शिक्षा नीति 2020 की वजह से किया जा रहा है। 34 वर्षों बाद बनी इस नीति में माना गया कि बच्चा स्थानीय भाषा में विषयों को आसानी से व जल्दी सीख सकता है। इसी नीति को ध्यान में रखते हुए स्थानीय भाषा को महत्व दिया जा रहा है।
Published on:
22 Jul 2025 07:30 am
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