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Sports Certificate: 3 से 90 हजार में ‘अनाड़ी’ को बना रहे ‘खिलाड़ी’, सीकर से दिल्ली तक ठगी का खेल

दूसरे राज्यों से भी बन रहे फर्जी खेल प्रमाण पत्र : कई खेल संघों को मान्यता नहीं, फिर भी युवाओं को दिखा रहे सपने - प्रदेश में कई गिरोह के दूसरे राज्यों से जुड़े कनेक्शन, कई खिलाड़़ी भी हुए ठगी के शिकार

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सीकर

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Ajay Sharma

Mar 12, 2022

Sports Certificate: 3 से 90 हजार में 'अनाड़ी’ को बना रहे 'खिलाड़ी’, सीकर से दिल्ली तक ठगी का खेल

Sports Certificate: 3 से 90 हजार में 'अनाड़ी’ को बना रहे 'खिलाड़ी’, सीकर से दिल्ली तक ठगी का खेल

अजय शर्मा

Sports Certificate सीकर. यदि आप भी खेल प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल करने का सपना देख रहे हैं तो सावधान हो जाए...!प्रदेश में सरकारी नौकरियों में दो फीसदी कोटा तय होने के बाद जाली खेल प्रमाण पत्रों का खेल भी शुरू हो गया है। पत्रिका टीम ने दिल्ली, उत्तरप्रदेश, नीमकाथाना, सीकर सहित कई स्थानों पर सर्टिफिकेट बांटे जाने वाले सेंटरों पर जाकर व फोन से पड़ताल की तो बेहद चौंकाने वाला सच सामने आया। रीट, कम्प्यूटर व ग्रामसेवक सहित अन्य दस भर्तियों में कई बेरोजगार इस तरह के गिरोह की ठगी के शिकार हो चुके हैं। पत्रिका स्टिंग में सामने आया कि तीन हजार से 90 हजार रुपए तक अनाड़ी युवाओं को भी खेल प्रमाण पत्र बांटने का गोरखधंधा चल रहा है। जाली प्रमाण पत्रों का खेल शुरू होने से अब प्रदेश में खेल कोटे के पदों के मुकाबले कई गुणा तक आवेदन आ रहे हैं। इसके बाद भी जिम्मेदारों की ओर से इस तरह के फर्जी प्रमाण पत्र बांटने वालों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की जा रही है।

पत्रिका टीम ने अलग-अलग जगह जानी हकीकत

1. जिला और राज्य स्तर से पहले सीधे नेशनल में खिलाने का दावा भी...

पत्रिका: खेल प्रमाण पत्र चाहिए था कम्प्यूटर शिक्षक भर्ती के लिए।

खेल पदाधिकारी: हां मिल जाएगा, लेकिन आपको नंबर किसने दिए यह बताओ।

पत्रिका: सीकर से सुरेन्द्र कुमार आपके यहां से खेल चुके हैं, उन्होंने ही नंबर दिए हैं।

खेल पदाधिकारी: हां अगले कुछ दिनों में जूनियर, सीनियर सहित अन्य प्रतियोगिता होनी है। इसमें खिलवा देंगे।

पत्रिका: प्रमाण पत्र तो चल जाएगा...।

खेल पदाधिकारी:सेना सहित अन्य भर्तियों में खूब चल रहा है। राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त संगठन है।

पत्रिका: पंजीयन के लिए रुपए पैसे देने होंगे।

खेल पदाधिकारी: पंजीयन के लिए तीन हजार रुपए लगेंगे। इसमें आपको ड्रेस भी मिलेगी। बाकी आप आकर मिल लो बातचीत कर लेंगे।

2. पांच दिन में आ जाएगा प्रमाण पत्र, 90 हजार दो

एक एजेंट के जरिए दिल्ली के एक फैडरेशन संचालक के नंबर मिले। उन्होंने बरेली के एक व्यक्ति से मिलवा दिया। दलाल गौतमपाल ने बताया कि आप जिस भी गेम्स का प्रमाण पत्र चाहे उसका ला देंगे। इसके लिए 90 हजार देने होंगे। एडवांस के तौर पर उन्होंने 20 हजार रुपए ले लिए। इसके बाद नेपाल की किसी फैडरेशन का प्रमाण पत्र दे दिया। लेकिन जांच में सामने आया कि प्रमाण पत्र को ओलम्पिक संघ से मान्यता ही नहीं है।

3. सरकारी पीटीआइ बन युवाओं को दिखा रहे सपना

सीकर में भी एक सेंटर संचालित है। यहां टीम पहुंची तो उन्होंने अपने आप को सरकारी शारीरिक शिक्षक बताया। जब शिक्षा विभाग के अधिकारियों से पता किया तो सामने आया कि शिक्षा विभाग में कहीं भी कार्यरत नहीं है। इनकी ओर से भी कई खेल प्रतियोगिताओं में खिलाने का दावा किया गया। इनके विजिटिंग कार्ड पर कई संस्थाओं के लोगो लगे हुए हैं। इनका कहना है कि नई मान्यता मिलती रहती है और कई बार पुरानी मान्यता हट जाती है। इसलिए इस विजिटिंग कार्ड पर गौर मत करो...।

21 संगठनों को लेकर जारी हुआ था अलर्ट

भारतीय ओलम्पिक संघ की ओर से पिछले दिनों फर्जी खेल संगठनों को लेकर युवा एवं खेल मामलात मंत्री अनुराग ठाकुर को पत्र लिखा था। इसमें 21 संगठनों के नाम भी दिए गए। इसमें बताया कि इन संगठनों की ओर से अपने स्तर पर प्रतियोगिताओं का आयोजन कराया जा रहा है। इसकी लगातार शिकायत भी आ रही है।

खिलाड़ी भ्रमजाल में नहीं आए, खेल विभाग से ले सकते हैं जानकारी

फर्जी खेल संगठनों पर लगाम कसने के लिए खेल विभाग लगातार कार्रवाई कर रहा है। शिक्षा विभाग सहित अन्य संस्थाओं को इस तरह के खेल संगठनों की गतिविधियों से दूर रहने का अलर्ट जारी किया हुआ है। खिलाडि़यों को इस तरह के भ्रमजाल में नहीं आना चाहिए। यदि आपको कोई भी व्यक्ति पैसे देकर खिलाने का लालच देता है तो उसकी पुलिस, प्रशासन व खेल विभाग को शिकायत दे सकते हैं। कौनसे खेल संगठनों को नौकरी में मान्यता है, कौनसे प्रमाण पत्र से आप नौकरी की दौड़ से बाहर होंगे। इसकी जानकारी खेल विभाग से ले सकते हैं।

अशोक कुमार, जिला खेल अधिकारी, सीकर

ये फर्जीवाड़े आ चुके सामने

केस एक: कांस्टेबल भर्ती में 100 से ज्यादा फर्जी प्रमाण पत्र

पिछली कांस्टेबल भर्ती में खुद पुलिस विभाग के सामने खेल प्रमाण पत्रों के फर्जीवाड़े का सच सामने आ चुका है। अभी तक इस तरह के प्रमाण पत्र बांटने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। एसआइ भर्ती में दूसरे राज्य के खेल प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी देने का मामला भी अभी विवादों में है।

केस दो: रीट में भी सामने आ चुका फर्जीवाड़ा, कई को ठहराया अयोग्य

रीट शिक्षक भर्ती 2018 में भी फर्जी खेल प्रमाण पत्रों के जरिए नौकरी हासिल करने का मामला सामने आ चुका है। विभाग ने पहले नौकरी दे दी, बाद में शिकायत हुई तो दुबारा सत्यापन कराया। इस दौरान कई अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र फर्जी निकले। निदेशालय ने भी जिला परिषदों को एेसे अभ्यर्थियों को अयोग्य घोषित करने के निर्देश दिए।

एक मैच के बांट दिए 500 मेडल

कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें एक ही प्रतियोगिता के एक ही मैच में 500-500 खिलाडि़यों को मेडल के प्रमाण पत्र दिए गए। दस-बीस हजार रुपए में प्रदेश के युवाओं को ठगने का खेल शुरू हो गया है।

अरुण सारस्वत, महासचिव, राजस्थान राज्य ओलम्पिक संघ (गहलोत)

एक्सपर्ट व्यू: फर्जी खेल संगठनों पर हो कानूनी कार्रवाई

सरकार को फर्जी खेल संगठनों पर लगाम लगाने के लिए सख्त कानून लाना चाहिए। कई संगठन एेसे भी संचालित हैं जिन्होंने मूल संगठन के नाम से मिलते-जुलते नाम रख लिए। बेरोजगार युवा इनके झांसे में आ जाते हैं। भर्ती एजेन्सियों को भी इस तरह के जाली प्रमाण देने वाली संस्थाओं की सूची हर भर्ती के बाद जारी करनी चाहिए। जिससे युवा ठगी से बच सके। सरकार को एेसे संगठनों की जांच कराकर कानूनी कार्रवाई भी करनी चाहिए।

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महेन्द्र पंवार, सचिव, जिला ओलम्पिक संघ

पड़ताल : ऐसे समझें फर्जीवाड़े को, कैसे हो रहा खेल

दरअसल, कई लोगों ने अपने हिसाब से सामाजिक संस्था बना ली है। इसके उद्देश्य में खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने का जिक्र है। इसके आधार पर वे विभिन्न स्थानों पर प्रतियोगिता कराते हैं। अधिकारियों को गुमराह कर आयोजन की अनुमति ले लेते हैं। इसके बाद विभिन्न राज्यों से खिलाड़ी बुला लिए जाते हैं। इसमें एक खिलाड़ी से तीन से दस हजार रुपए वसूले जाते हैं। प्रतियोगिता के बाद अपने संस्थान के प्रमाण पत्र भी बांट दिए जाते हैं। जबकि सरकारी नौकरियों में इन प्रमाण पत्रों की कोई उपयोगिता नहीं है।

पत्रिका नॉलेज: मान्यता और सम्बद्धता देखें

कोई भी सरकारी भर्ती आने पर उसमें खेल कोटे के नियमों की जानकारी दी जाती है। इसमें साफ लिखा होता है कि आप का खेल भारतीय ओलम्पिक संघ, खेल मंत्रालय, राजस्थान ओलम्पिक आदि से सम्बद्ध होना चाहिए। इसी तरह की तीन श्रेणी के भी अलग नियम है। खिलाडि़यों को इन नियमों की जानकारी नहीं होती है। इसका फायदा उठाकर खिलाडि़यों को ठगा जा रहा है।

'खेल' का पर्दाफाश

पत्रिका टीम का मकसद हमेशा खेलों को प्रोत्साहित करना है। लेकिन बेरोजगारों के साथ ठगी करने वालों की हकीकत समाज के सामने लाने के लिए यह स्टिंग किया गया। यदि आपके साथ भी इस तरह की जालसाजी हुई हो तो हमें बताएं...।

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