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Rajasthan Assembly Election: दो मार्ग पर दो सौ इंस्टीट्यूट, दर्द भी दो…नवलगढ़ पुलिया और कोल्ड स्टोरेज

खंडेला और दांतारामगढ़ के बाद अगले दिन हम पहुंचे शिक्षानगरी सीकर की नवलगढ़ पुलिया। दोनों तरफ वाहनों की रेलमपेल। सीकर में नवलगढ़ और पिपराली रोड पर 200 से ज्यादा एजुकेशनल इंस्टीट्यूट हैं। इन्हीं दोनों सडक़ों के आस-पास करीब डेढ़ लाख छात्र रहते हैं।

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सीकर

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arun Kumar

Jun 24, 2023

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अरुण कुमार

सीकर.Rajasthan Assembly Election 2023: खंडेला और दांतारामगढ़ के बाद अगले दिन हम पहुंचे शिक्षानगरी सीकर की नवलगढ़ पुलिया। दोनों तरफ वाहनों की रेलमपेल। सीकर में नवलगढ़ और पिपराली रोड पर 200 से ज्यादा एजुकेशनल इंस्टीट्यूट हैं। इन्हीं दोनों सडक़ों के आस-पास करीब डेढ़ लाख छात्र रहते हैं। शहर की करीब 60 फीसदी अर्थव्यवस्था यहीं से चलती है। ऐसे में दोनों सडक़ों को शहर से नवलगढ़ पुलिया ही जोड़ती है। पूरे दिन ट्रैफिक का दबाव इतना होता है कि पुलिया पर जाम के हालात रहते हैं। बारिश के दिनों में तो पुलिया पर नदी-तालाब में बदल जाती है। चौबीसों घंटे पंप चलते हैं, तब कहीं आने-जाने की स्थिति बनती है।

पुलिया पर चलते-चलते हमारी बात शहर के फल कारोबारी मुश्ताक भाई से हुई। कुछ बोलने से पहले ही गुस्सा उनकी आंखों में साफ दिखने लगता है। बोले, दो दशक से तो हम झेल रहे हैं। भाजपा हो या कांग्रेस सब एक से हैं। हर बार हम वोट देकर ठगे जाते हैं। इस बार बजट में गहलोत ने घोषणा तो की है, मगर डीपीआर अभी तक अटकी है। पुलिया के लिए अक्सर शहर के लोग अनशन करते रहते हैं। पुलिया पारकर हम एक चाय की थड़ी पर रुकते हैं और युवाओं से मिनी सचिवालय के बारे में पूछते हैं। दो लोग एक साथ ही बोल पड़ते हैं... इस बार बजट में गहलोत ने घोषणा की है। अगर सब ठीक रहता है तो सभी सरकारी कार्यालय एक जगह हो जाएंगे। इससे लोगों को शहर में नहीं आना पड़ेगा। शहर का ट्रैफिक भी कम होगा।
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पुलिया के बाजू में ही ई-मित्र पर अपना खसरा-खेतौनी निकलवाने आए किसान भोलाराम से जब पूछा कि कुंभाराम जल परियोजना से किसानों की जिंदगी कुछ बदलेगी भी या नहीं! बोले, हमारी तो बदल गई... बच्चों की जिंदगी बदल जाए तो समझो बड़ी बात है। डीपीआर तो अभी तक तैयार नहीं हुई। भोलाराम से जब योजनाओं के बारे में पूछा तो बोले कांग्रेस सरकार की फ्र ी बिजली, सस्ता गैस सिलेंडर, बजुर्गों को पेंशन, दुर्घटना बीमा व अन्य योजनाओं से लोग खुश हैं।
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सीकर से 15 किलोमीटर चलकर हम धोद से करीब पांच किलोमीटर पहले एक ढाबे पर रुकते हैं। वहां बारिश में चाय-पकौड़ी का आनंद ले रहे कुछ लोगों से यहां के मुद्दों पर बात हुई। इनमें शामिल त्रिलोक शास्त्री ने बताया कि यहां कॉलेज तो खूब खुल गए मगर न भवन है न ही स्टाफ। दूसरे राज्यों के लोग पैसे देकर डिग्रियां लेते हैं। तभी लोकेश शर्मा बोले, कर्जमाफी न होने से यहां के किसान नाराज हैं। हर्ष पर्वत पर रोपवे का सपना पूरा न होने से लोगों में नाराजगी है। इस क्षेत्र में किसान प्याज की खेती करते हैं, मगर कोल्ड स्टोरेज न होने से औने-पौने दाम में उन्हें फसल बेचनी पड़ती है। मार्च के बाद यहां प्याज मंडी में नासिक का प्याज मजे करता है। सरकारी योजनाओं पर लोग बोले, हमारे लिए कुछ खास नहीं कर रही सरकार। जो योजनाएं सबके लिए हैं, वही हमारे लिए भी हैं।