6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

निजी स्कूलों में बदला दाखिले का पैटर्न, अभिभावक-छात्र खुश, पर सरकारी स्कूल है पुरानी लीक पर

Rajasthan News : निजी स्कूलों में दाखिले के बदले पैटर्न को लेकर अभिभावक और छात्र दोनों खुश नजर आ रहे हैं। पर राजस्थान में सरकारी स्कूल अब भी पुरानी लीक पर है। सरकारी स्कूलों में कम हो रहे नामांकन, लेकिन सरकार चुप है। जानें पूरा मामला।

2 min read
Google source verification
Rajasthan Private Schools Changed Admission Pattern Parents and Students Happy but Government Schools Old Track

अजय शर्मा
Rajasthan News : राजस्थान में बदलते दौर में विद्यार्थियों के दाखिले का पैटर्न भी पूरी तरह बदल गया है। पहले जहां स्कूलों में दाखिले जून-जुलाई में होते थे, अब शिक्षानगरी सीकर के अलावा जयपुर, उदयपुर, कोटा सहित कई जिलों के स्कूलों में दाखिले की दौड़ नवम्बर से फरवरी के बीच होने लगे हैं। मार्च तक करीब करीब सभी शिक्षण संस्थाओं में सीटें फुल हो जाती है। निजी स्कूलों में दाखिले के बदले पैटर्न को अभिभावकों और छात्र दोनों खुश नजर आ रहे हैं।

सरकारी स्कूलों को भुगतना पड़ रहा है खमियाजा

निजी स्कूलों में दाखिले के बदले पैटर्न का खमियाजा सरकारी स्कूलों को भुगतना पड़ रहा है। सरकारी स्कूलों में नामांकन कैसे बढ़ेगा। क्योंकि जब तक सरकारी स्कूलों में नामांकन अभियान शुरू होता है तो तब तक ज्यादातर बच्चे दूसरे स्कूलों में दाखिला ले चुके होते हैं। समय के साथ सरकारी स्कूल भी यदि दाखिले का पैटर्न बदलते है तो नामांकन में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है।

यह भी पढ़ें :महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय पर मदन दिलावर का बड़ा बयान, जानें क्या कहा?

ऐसे समझें विद्यार्थियों का उत्साह

केस-1
कक्षा दसवीं के छात्र आयुष ने बताया कि भविष्य में सपना इंजीनियर बनने का है। इसलिए 11 व 12वीं कक्षा के साथ जेईई की तैयारी कराने वाले संस्थान के हिसाब से पिछले दिनों दूसरे स्कूल में दाखिला ले लिया। इससे अप्रेल महीने से ही 11वीं की पढ़ाई का मौका मिल सकेगा। वहीं, गर्मियों की छुट्टियों का भी सही उपयोग हो सकेगा।

केस-2
कक्षा आठवीं में अध्ययनरत छात्र सुरेन्द्र ने बताया कि अब तक कॉलोनी के एक निजी स्कूल में पढ़ाई की। पहले आठवीं का परिणाम आने के बाद ही दाखिला लेने का प्लान था। पता लगा कि ज्यादातर टॉप स्कूलों में जून तक तो सीट ही नहीं मिलेगी तो पिछले दिनों दाखिला ले लिया। अब पढ़ाई भी मिस नहीं होगी।

यह भी पढ़ें :Food Security Scheme : गिव अप अभियान के सिर्फ 4 दिन बाकी, स्वेच्छा से नहीं हटाया नाम तो 1 मार्च से होगी भारी वसूली

समय पर दाखिले होने से यह फायदे

पहले ज्यादातर स्कूलों में दाखिले अप्रेल से जुलाई तक होते थे। इस कारण सिलेबस भी जनवरी-फरवरी में पूरा होता था और मार्च में सालाना परीक्षाएं हो जाती थीं। ऐसे में रिविजन के लिए कम समय मिलता था। अब बदले पैटर्न में अप्रेल तक दाखिले पूरे होने पर स्कूलों में कक्षाएं अप्रेल से शुरू हो जाती हैं। इसके चलते सिलेबस नवम्बर-दिसम्बर तक पूरा हो जाता है और विद्यार्थियों को रिविजन के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।

यह भी पढ़ें :राजस्थान में आरटीई के 30 हजार बच्चों की शिक्षा पर संकट, फीस कब देगी भजनलाल सरकार?

अब अप्रेल महीने में ही शुरू होती है पढ़ाई

पहले जून-जुलाई में दाखिले और अगस्त-सितम्बर में जाकर पढ़ाई को रफ्तार मिलती। इससे विद्यार्थियों को सिलेबस के रिविजन में काफी परेशानी आती। ऐसे में हर युवा अब नई कक्षा के पहले ही दिन से पढ़ाई में जुट जाता है। ज्यादातर स्कूलों की ओर से अप्रेल महीने में ही पढ़ाई शुरू कर दी जाती है।
डॉ. पीयूष सुण्डा, कॅरियर काउंसलर