
संदीप हुड्डा सीकर. गुजरात की राजनीति के रण में सीकर के महारथी फेल साबित हो गए। जिला कांग्रेस के दिग्गज नेता गुजरात के चुनाव में उन सीटों पर कोई करिश्मा नहीं कर सके जहां उनको जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जिलाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को छोड़ दिया जाए तो एक भी कांग्रेसी नेता ने जीत का आंकड़ा ज्यादा नहीं बढ़ाया।
डोटासरा दो सीटों पर प्रभारी थे और दोनों ही सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं। इसके अलावा परसराम मोरदिया, सुभाष महरिया, दीपेंद्र सिंह शेखावत चार-चार सीटों के प्रभारी थे और वहां एक एक सीट ही पार्टी के खाते में गई। सूरत में ताकत झोंकने वाले राजेंद्र पारीक के इलाके में भी पार्टी जीत हासिल नहीं कर पाई।
गोविंद सिंह डोटासरा
नर्मदा जिले की दो सीटों नंदोड़ व दडिय़ापाड़ा का प्रभारी बनाया गया था। यह दोनों सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं। नंदोड़ से का्रगेस व दडिय़ापाड़ा से कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार को 21 हजार वोटों से जीत मिली।
इनका कहना है: मुझे पार्टी ने दो जगहों की जिम्मेदारी सौंपी थी और दोनों जगह जीत मिली है। कांग्रेस के हर कार्यकर्ता को और ज्यादा मेहनत करने की जरुरत है। गुजरात चुनाव में जनता ने कांग्रेस में विश्वास बढाया है। पार्टी का वोटिंग प्रतिशत भी बढ़ा है। राजस्थान के नेताओं की मेहनत कारगर रही है।
सुभाष महरिया
असरवा, दरियापुर, नारायणपुर व नरोड़ा का प्रभारी बनाया गया था। इनमें से केवल एक दरियापुर सीट कांग्रेस के खाते में गई है। वह सीट भी मुस्लिम बाहुल्य थी। तीन सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों को जीत मिली है।
इनका कहना है: मुझे जिन सीटों की जिम्मेदारी मिली थी वहां कांग्रेस बहुत कमजोर थी। एक सीट हमने जीती है। अन्य सीटों पर भी वोट काफी बढ़े लेकिन हम जीत का आंकड़ा नहीं छू सके। पिछले चुनाव में यहां हार का अंतर काफी ज्यादा था। कांग्रेस के हर कार्यकर्ता ने कड़ी मेहनत की।
राजेंद्र पारीक
सूरत इलाके में पार्टी ने विशेष जिम्मेदारी दी थी। पूरे सूरत में रहकर करीब एक महीने तक पार्टी का प्रचार किया, लेकिन पूरे जिले में केवल एक ही सीट कांग्रेस के खाते में गई। 16 में से 15 सीटों पर भाजपा को जीत मिली।
इनका कहना है: व्यापारियों में भाजपा का बहुत भय था। उन लोगों को धमकाया गया जिनसे हम बात करते थे। व्यापारियों को धंधे चौपट करने की धमकी दी गई।
परसराम मोरदिया
अहमदाबाद इलाके की चार सीटोंं फैजलपुर, साबरमती, जमालपुर की जिम्मेदारी पार्टी ने सौंपी थी। इनमें से एक ही सीट जीत पाए हैं। यह सीट भी मुस्लिम बाहुल्य थी।
इनका कहना है: गुजरात का वोटर बहुत साइलेंट था। हमारे कार्यकर्ताओं ने अच्छी मेहनत की। मुझे जो चार सीटें मिली थी उनमें से एक हम जीते हैं। हार के कारणों का विश्लेषण करेंगे।
शेखावाटी में लगा था करोड़ों का सट्टा
गुजरात चुनाव 2017 में शेखावाटी की खास नजर थी। यहां के अनेक लोग व्यापार के सिलसिले में गुजरात के सूरत, बड़ौदा व अहमदाबाद समेत विभिन्न इलाकों में रह रहे हैं। ऐसे में मारवाड़ी व्यापारियों में पैठ रखने वाले नेताओं को वहां के विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारियां सौपी गई थी। वहीं शेखावाटी में गुजरात चुनाव पर करोड़ों रुपए का सट्टा भी लगाया गया था।
जीत पर भाजपा ने मनाया जश्न
सीकर. गुजरात व हिमाचल की जीत पर भाजपाईयों ने आतिशबाजी कर जमकर जश्न मनाया। जिलाध्यक्ष मनोज सिंघानिया की अगुवाई में हुए कार्यक्रम में मिठाई बांटी गई। इस मौके पर प्रभारी मंत्री राजकुमार रिणवा, विधायक रतनलाल जलधारी, विधायक गोवर्धन वर्मा, पूर्व जिलाध्यक्ष महेश शर्मा, पलसाना मंडी अध्यक्ष प्रभु सिंह गोगावास, जिला परिषद सदस्य सुरेश शर्मा, बलदेव सिंह खंडेला, नटवर बिंदल, भंवर लाल शर्मा, जितेंद्र कारंगा सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे। इधर, भाजपा नेता प्रमोद सिंघानिया ने कहा कि गुजरात में जातिवाद संघर्ष पैदा करने के बाद भी भाजपा ने जीत हासिल की है। हिमाचल में भाजपा के विकास मॉडल पर जनता ने मुहर लगाई।
Updated on:
19 Dec 2017 12:25 pm
Published on:
19 Dec 2017 11:14 am
बड़ी खबरें
View Allसीकर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
