
Manju Lohia (Patrika Photo)
सीकर: जब व्यक्ति के जीवन में चुनौतियां आती हैं तो वह पूरी तरह टूट जाता है। लेकिन जो चुनौतियों का मजबूती से सामना करते हैं, उसे मंजिल जरूर मिलती है। यह कहना है कि सीकर निवासी मंजू लोहिया का। हुनर के दम पर सीकर, चूरू और झुंझुनूं के साथ जयपुर जिले में पहचान बनाने वाली मंजू की कहानी संघर्ष भरी है।
मंजू ने बताया कि वे शादी के बाद कर्ज आदि पारिवारिक समस्याओं से घिर गई। एक बार तो सोचा कि इन परेशानियों से जीत पाना मुश्किल है, इसलिए जिदंगी को ही हार जाते हैं। लेकिन अगले ही पल ख्याल आया कि यदि भगवान ने जिदंगी हारने के लिए नहीं दी है।
इसलिए मैंने जीवन का मूल मंत्र बनाया कि हार के आगे जीत भी है। परिवार की आर्थिक मजबूती के लिए सबसे पहले ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। गर्मी में ऑफ सीजन को देखते हुए फिर सोचा कि कुछ ऐसा किया जाए कि खुद के साथ दूसरों को भी रोजगार दे सके।
लोहिया ने बताया कि हर महिला आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बने। इसके लिए वे अब तक 1200 से अधिक महिलाओं को रोजगार भी दिला चुकी हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में राज्य और केंद्र सरकार की ओर से महिलाओं को सस्ता लोन भी दिया जा रहा है। यदि आपके पास अच्छा प्रोजेक्ट हो तो खुद आर्थिक तरक्की की राहें आसानी से खोल सकती हैं।
मंजू ने बताया कि ट्यूशन छोड़कर पहले खुद सिलाई का काम सीखा। इसके बाद सीकर में प्रशिक्षण केंद्र शुरू कर दिया। 1990 से लेकर 1995 तक पांच से सात बैच रोजाना चलते थे। इसके बाद राखी, भगवान की पोषाक, पूजा की थाली, सजावटी घर सामग्री और गिफ्ट आइटम बनाना शुरू किया। इन उत्पादों के जरिये पूरे राजस्थान में पहचान मिली। जब खुद को सफलता मिली तो दूसरी महिलाओं को भी यह हुनर सिखाया।
हुनर के दम पर परिवार की आर्थिक स्थिति को संबल देने वाली लोहिया ने बताया कि जीवन में कोई भी काम कठिन नहीं होता है। इसलिए पहले खुद सीखते जाओ और दूसरे लोगों को भी सिखाते जाओ। उन्होंने बताया कि यदि उस समय हिम्मत नहीं करती तो शायद पूरा परिवार टूट चुका होता था।
Published on:
31 Aug 2025 12:07 pm
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