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शिक्षक दिवस विशेष : छोटी सी ढाणी के स्कूल में बच्चों को वीडियो से कखगघड़ सिखा रहे हैं ये शिक्षक

locationसीकरPublished: Sep 05, 2018 02:12:17 pm

Submitted by:

vishwanath saini

5 सितम्बर को देशभर में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। जगह-जगह गुरुओं का सम्मान होता है। हो भी क्यों नहीं शिष्य को गोविंद दिखाने वाले भी गुरु ही होते हैं।

Teachers Day 2018 Special story Of sikar Rajasthan

Teachers Day 2018 Special story Of sikar Rajasthan

गिरते हैं जब हम, तो उठाते हैं शिक्षक। जीवन की राह दिखाते शिक्षक। अंधेरे ग्रहों पर बनकर दीपक, जीवन को रोशन करते हैं शिक्षक। कभी नन्हीं आंखों में नमी जो होती, तो अच्छे दोस्त बनकर हमें हंसाते हैं शिक्षक। कुछ इसी प्रकार बच्चों व युवाओं के साथ पूरे समाज को आगे ले जाना वाला एक शिक्षक ही होता है। वह किसी पद या सम्मान का मोहताज नहीं होता, बल्कि खुद सम्मान उनके नाम से गरिमामय हो जाता है।

5 सितम्बर को देशभर में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। जगह-जगह गुरुओं का सम्मान होता है। हो भी क्यों नहीं शिष्य को गोविंद दिखाने वाले भी गुरु ही होते हैं। शेखावाटी को आगे बढ़ाने में वीरों, सेठों के अलावा कोई है तो वे शिक्षक ही हैं। आज भी हमारे अनेक शिक्षक हैं जो शिक्षा की अलख जगाने के साथ नवाचार कर समाज को आगे बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं। शिक्षक दिवस कब व क्यों मनाया जाता है? क्या है इसका महत्व? हमारे शिक्षकों के नवाचार व अन्य जानकारियों से रूबरू करवाती शिक्षक दिवस पर राजेश शर्मारविन्द्र सिंह राठौड़ की विशेष रिपोर्ट।

सीकर. अब श्याम पट्ट पर बच्चों को क से कबूतर लिखाने के बजाय ऑडियो वीडियो के माध्यम सिखाया जा रहा है। ए फोर एपल हो, गणित के जटिल सवाल या पहाड़े अब बच्चे आसानी से खीख रहे हैं। उनको यह सब जल्दी तो याद हो ही रहे हैं सीखने में भी आनंद आ रहा है। बच्चों की हाजिरी निजी स्कूलों की तर्ज पर हर अभिभावक के पास प्रतिदिन जा रही है। होमवर्क नहीं किया या बच्चे ने कुछ गलत किया है तो इसकी सूचना भी तुरंत अभिभावक के पास पहुंच रही है। कुछ ऐसा ही सबसे हटकर कार्य हो रहा है राजकीय प्राथमिक विद्यालय जाजम की ढाणी शिश्यूं में।

यहां के प्रधानाध्यापक जयप्रकाश कुमावत जब से स्कूल में आए आए हैं तब से नवाचार कर रहे हैं। यहां सभी बच्चों के आधार कार्ड बनवा दिए गए हैं। स्कूल में कमरे मात्र तीन हैं, लेकिन पौधे करीब पचास लगे हुए हैं। पढ़ाई प्रोजेक्टर के माध्यम से की जा रही है। बच्चों को ऑडियो/ वीडियो के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है। उनको लेपटॉप के माध्यम से नई तकनीक की जानकारी दी जा रही है। स्पोकन इंग्लिश सिखाई जा रही है। यही नतीजा है कि छोटी सी ढाणी के विद्यार्थी भी धड़ल्ले से अंग्रेजी बोल रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने बच्चों को बचत की आदत सिखाने के लिए एक मिनी बैंक भी बना रखा है। इस राशि में शिक्षक भी सहयोग करते हैं। इस राशि पर बच्चों को करीब ब्याज भी दिया जा रहा है।


हर अभिभावक को सूचना
स्कूल के प्रत्येक विद्यार्थी, शिक्षकों व शाला प्रबंध समिति (एसएमसी) सदस्यों का एक वाट्सएप गु्रप बना रखा है। कोई भी विद्यार्थी स्कूल में उपस्थित नहीं होता उसकी सूचना दी जाती है। छुट्टियों की, जयंती, महोत्सव व अन्य कार्यक्रमों के बारे में सूचित किया जा रहा है। किसी विद्यार्थी ने होमवर्क पूरा नहीं किया तो उसकी जानकारी भी परिजन को उसी दिन तुरंत दी जा रही है। लहर कक्ष में हर बच्चे का खुद का श्याम पट्ट भी बना हुआ है। पढाई के बाद बच्चे इस पर अभ्यास करते हैं। अब इसी माह सभी बच्चों के खाते डाक विभाग की ओर से शुरू किए गए पोस्ट पेमेंट बैंक में खुलवाए जाएंगे। साथ ही स्कूल की वेबसाइट भी बनाई जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल बेहतरीन है। अभिभावक निजी की बजाय सरकारी में ज्यादा पढ़ा रहे हैं।

 

इन शिक्षकों को मिल चुका है राष्ट्रपति पुरस्कार


-भंवर सिंह, शारीरिक शिक्षक रामावि सांवलोदा लाडखानी
– बाबूलाल शर्मा, सेवानिवृत्त व्याख्याता
-दीनदयाल शर्मा,सेवानिवृत वरिष्ठ अध्यापक
-डॉ किशनलाल उपाध्याय, प्रधानाचार्य रावउ संस्कृत विद्यालय सीकर
-राकेश कुमार लाटा, जिला साक्षरता अधिकारी
-डॉ पूनम चंद जोशी, सेवानिवृत प्रधानाचार्य
-अर्जुन ङ्क्षसह काछवा, सेवानिवृत, वरिष्ठ शारीरिक शिक्षक
-मघाराम, शारीरिक शिक्षक, हिन्दी विद्या भवन सीकर
-विजय विज, सेवानिवृत शिक्षा अधिकारी
-मेघसिंह दुलड़, सेवानिवृत प्रधानाचार्य
-श्रीचंद, व्याख्याता, राउमावि श्यामपुरा पूर्वी
-महेन्द्र सिंह शेखावत,प्रधानाचार्य, राउमावि कटराथल
-महेन्द्र कुमार पारीक, अध्यापक, राउप्रा संस्कृत विद्यालय पिपराली
-अशोक तिवाड़ी, वरिष्ठ अध्यापक रावउपा संस्कृज विद्यालय श्रीमाधोपुर
-रामगोपाल सामोता, शारीरिक शिक्षक, रामावि चौमूं पुरोहितान
-फूलाराम भादू, वअ भागचंद वउ संस्कृत विद्यालय खाटूश्यामजी
-निर्मला वर्मा, प्रधानाचार्य, बालिका स्कूल छावनी नीमकाथाना
-शिवदयाल ङ्क्षसह बगडिय़ा, सेवानिवृत शारीरिक शिक्षक, बावड़ी रींगस
-मूलचंद, सेवानिवृत प्रधानाध्यापक बलोद छोटी, फतेहपुर
– मोहम्मद हनीफ, शिक्षक, बेसवा
(सूची शिक्षा विभाग व राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित शिक्षक भंवर सिंह के अनुसार। इसमें कुछ नाम और भी हो सकते हैं)

इनका कहना है

बच्चों को ओडियो वीडियो माध्यम से पढ़ाया जा रहा है। इससे बच्चों को जल्द याद हो रहा है वे बोर भी नहीं होते। अब स्कूल की वेबसाइट बनाई जा रही है। हर बच्चे की सूचना तुरंत उसके अभिभावक को दी जा रही है।
जयप्रकाश कुमावत, प्रधानाचार्य राजकीय प्राथमिक विद्यालय जाजम की ढाणी शिश्यूं सीकर

कौन थे डॉ राधाकृष्णन
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर सन् 1888 को जन्म तमिलनाडु के तिरुतनी गांव में हुआ था। राधाकृष्णन के पुरखे पहले कभी सर्वपल्ली नामक ग्राम में रहते थे और 18वीं शताब्दी के मध्य में उन्होंने तिरूतनी ग्राम की ओर निष्क्रमण किया था। लेकिन उनके पुरखे चाहते थे कि उनके नाम के साथ उनके जन्मस्थल के ग्राम का बोध भी सदैव रहना चाहिये।

इसी कारण उनके परिजन अपने नाम के पूर्व सर्वपल्ली धारण करने लगे थे।डॉ. राधाकृष्णन एक गऱीब किन्तु विद्वान ब्राह्मण की सन्तान थे। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी और माता का नाम सीताम्मा था। उनके पिता राजस्व विभाग में काम करते थे।

उन पर बहुत बड़े परिवार के भरण-पोषण का दायित्व था। वीरास्वामी के पाँच पुत्र तथा एक पुत्री थी। राधाकृष्णन का स्थान इन सन्ततियों में दूसरा था। राधाकृष्णन की आरंभिक शिक्षा तिरूवल्लुर के गौड़ी स्कूल और तिरूपति मिशन स्कूल में हुई।

इसके बाद मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से उन्होंने पढाई पूरी की। 1902 में मैट्रिक स्तर की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की और छात्रवृत्ति भी प्राप्त की। डॉ. राधाकृष्णन ने 1916 में दर्शन शास्त्र में एम.ए. किया और मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में इसी विषय के सहायक प्राध्यापक का पद संभाला। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का विवाह 16 वर्ष की आयु में सन् 1903 में शिवाकामू के साथ हुआ।

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