
सिंगरौली. विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर शनिवार को दो दिवसीय दौरे पर सिंगरौली आ रहे हैं। मकसद, नीति आयोग की ओर से निर्धारित किए गये बिन्दुओं की समीक्षा करेंगे। वजह, केन्द्र सरकार की ओर से देश के सर्वाधिक 116 पिछड़े जिलों में सिंगरौली का नाम भी शुमार है। इसलिए जिले के माथे पर लगे इस कलंक को मिटाने के लिए विदेश राज्यमंत्री यहां आ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, जिला प्रशासन के अलावा कंपनी प्रतिनिधियों के साथ भी वार्ता करेंगे।
बता दें सिंगरौली जिले को देश की ऊर्जाधानी के नाम से जाना जाता है। विकास के नाम पर उद्योग स्थापित किए गये। किसानों की जमीनें अधिगृहीत की गईं और किसान मजदूर बन गये। रोगजार के लिए यहां के आदिवासी पलायन करने को मजबूर हैं। खासकर सिंगरौली जिले में ही 10 हजार मेगावॉट बिजली प्रतिदिन पैदा की जा रही है। यहां की बिजली से देश में उजाला फैल रहा है। मगर, यहां के लोग विकास की किरणों से मौजूदा वक्त में भी कोसों दूर हैं।
कहने को तो यहां देश की सबसे बड़ी तापीय परियोजना विंध्यनगर एनटीपीसी है। जहां रोजाना 4760 मेगवॉट बिजली का उत्पादन किया जाता है, साथ ही सासन मेगा अल्ट्रा पॉवर, हिण्डाल्को, एस्सार पॉवर, जेपी पॉवर जैसी तापीय परियोजनाएं हैं। एनसीएल की दस कोलमाइंस भी इसी जिले में स्थित हैं।
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के बाद भी इस जिले का विकास नहीं हो सका। स्थानीय लोगों की स्थिति जस की तस रह गई। मौजूदा वक्त में भी आदिवासियों का जीवन जंगली उत्पादों पर आश्रित है। हैरत की बात यह कि नगर निगम के गठन के 15 साल बाद भी घर-घर पेयजल सप्लाई की व्यवस्था नहीं हो सकी। सीवरलाइन का सपना तो अभी कोसों दूर है।
केन्द्रीय राज्य मंत्री एमजे अकबर शनिवार को दोपहर तीन बजे वाराणसी से सड़क मार्ग से जिले में विन्ध्यनगर के सूर्या भवन में पहुंचेंगे। वे शाम चार से छह बजे तक नीति आयोग के सर्वे के संबंध में जिला अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। वे रविवार को सुबह नौ से 10 बजे तक एनसीएल, एनटीपीसी व प्राइवेट कंपनियोंं के अधिकारियों के साथ एनसीएल मुख्यालय के सभाकक्ष में बैठक करेंगे। 12 बजे यहां से वाराणसी सड़क मार्ग से प्रस्थान करेगें।
नवोदय विद्यालय: करीब 232 करोड़ की लागत से यहां नवोदय विद्यालय खोले जाने की योजना है। यह मामला बीते तीन साल से चल रहा है। मगर, शासनस्तर से अब तक जमीन का आवंटन नहीं किया गया। जबकि रीवा कमिश्रर ने बीते साल ही प्रमुख सचिव राजस्व को फाइल भेज दी थी। यह विद्यालय रंपा में खुलना है।
माइनिंग कॉलेज: माइनिंग कॉलेज खोले जाने पर भी ग्रहण मंडरा रहा है। करीब चार सौ करोड़ की लागत की यह योजना बजट का इंतजार कर रही है। जानकारी के अनुसार, सोसाइटी एक्ट में कॉलेज का रजिस्ट्रेशन ही नहीं हुआ। भवन निर्माण का नक्शा अभी तक लोक निर्माण विभाग नहीं तैयार कर सका।
कृषि विज्ञान केंद्र : करीब 450 करोड़ की लागत से बनने वाला कृषि विज्ञान केन्द्र की फाइल अभी जिला प्रशासन और जिले के प्रभारी मंत्री के बीच झूल रही है। इसी के साथ जेनरिक दवाओं के केन्द्र अब तक नहीं खोले जा सके।
मेडिकल कॉलेज खोले जाने का सपना भी अधूरा : पूर्व केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को इस बारे में पत्र लिख चुके थे।
प्रदूषण की चपेट में क्षेत्र : एनजीटी के आदेश के बाद भी सड़क मार्गों से कोल परिवहन बदस्तूर जारी है। जिससे लोग आए दिन भारी वाहनों से कुचलकर दम तोड़ रहे हैं। साथ ही समूचा क्षेत्र प्रदूषण की चपेट में है।
नहीं बनी फोरलेन: करीब नौ साल से प्रस्तावित सीधी-सिंगरौली फोरलेन अब तक नहीं बन सकी है। इस तरह से यहां के लोग आज भी संभागीय कार्यालय रीवा से कटे महसूस कर रहे हैं।
Updated on:
07 Apr 2018 03:19 pm
Published on:
07 Apr 2018 03:08 pm
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