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विकास करने मिली राशि विभाग कर रहे वापस, कैसे मिटेगा पिछड़ेपन का दाग ?

स्वास्थ्य विभाग ने भी लौटा दी 75 फीसदी से ज्यादा की राशि, कृषि विभाग ने लौटा दिए एक करोड़ से ज्यादा की राशि

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niti aayog report singrauli Backward

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सिंगरौली. वह क्षेत्र जो आर्थिक रूप से मजबूत हो वहां भी लोगों का विकास न हो पाए तो इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात और क्या हो सकती है? जी हां सिंगरौली जिले के साथ ऐसा ही हो रहा है। आर्थिक रूप से मजबूत होने के बाद भी जिले के लोगों का विकास नहीं हो पा रहा। नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट इस पर मुहर लगाती है।

जब से जिला खनिज प्रतिष्ठान (डीएमएफ ) मद बना तब से अक्टूबर 2017 तक करीब दो वर्षों में जिले को 883.71 करोड़ रुपए मिल चुके हैं। फिलहाल जिले में करीब 483.71 करोड़ के विकास कार्य चल रहे हैं। इस राशि से जिले के विकास के लिए कई काम हो रहे हैं। ज्यादातर राशि सड़क, पानी, बिजली, स्कूल एवं स्वास्थ्य के लिए जारी की गई। लेकिन काम तेजी से नहीं हो पा रहा है।

कुछ विभाग ऐसे भी हैं जो विकास के लिए दी गई राशि वापस कर रहे हैं।

वापस कर दी राशि
जिले में अधिकारियों के पास कोई स्पष्ट नीति नहीं है। रुपया कहां खर्च किया जाए जिससे लोगों को ज्यादा से ज्यादा लाभ हो यह अधिकारियों को समझ नहीं आ रहा है। राशि मिलने के बाद वे वापस कर रहे हैं। महत्वपूर्ण विभागों में से एक स्वास्थ्य विभाग ने डीएमएफ मद से मिली उपकरण खरीदी की करीब 74 फीसदी राशि वापस कर दी।

सीएमएचओ डॉ. आर के श्रीवास्तव कहते हैं कि 75 फीसदी राशि वापस कर दी गई है। उपकरण खरीदने के लिए स्वास्थ्य विभाग को करीब 15 करोड़ की राशि जारी की गई थी जिसमें से उसने करीब 11 करोड़ रुपए वापस कर दिए। यही कृषि विभाग में भी हुआ। कृषि विभाग के अधिकारी आशीष पाण्डेय ने भी एक करोड़ से ज्यादा की राशि वापस कर दी। इसी प्रकार प्रदूषण विभाग ने भी राशि वापस कर दी।

स्कूल मरम्मत एवं ड्यूल डेस्क
स्कूलों की मरम्मत एवं ड्यूल डेस्क के लिए करीब 20 करोड़ की राशि खर्च की गई। ड्यूल डेस्क तो खरीदे गए लेकिन स्कूलों की मम्मत में लीपापोती कर दी गई। सवाल उठे तो जिला प्रशासन ने जांच शुरू कराई। स्कूलों से रिपोर्ट मांगी गई लेकिन बाद में फाइल को बंद कर दिया गया। स्कूलों के मरम्मत के नाम पर महज कोरम पूर्ति हुई।

रेनोवेशन एवं रिपेयर 48 लाख
जिला अस्पातल में यदि सामान्य प्रसव न हो तो फिर सर्जरी कर प्रसव करा पाना मुश्किल है। ऐसा इसलिए की यहां ऑपरेशन थियेटर नहीं है। रेनोवेशन एवं रिपेयर के लिए 48 लाख रुपए जारी किए गए। इसके बावजूद यह सुविधा यहां नहीं मिल पाई। जिले में शिशुओं की मौत का ग्राफ अन्य जिलों की अपेक्षा ज्यादा है।

विद्युतीकरण में 30 करोड़
यदि किसी गांव को सांसद गोद ले तो उस गांव के लोगों की यही अपेक्षा रहती है कि उनकी समस्या जल्द दूर हो जाएगी। सांसद रीति पाठक ने डगा गांव को गोद लिया। गांव की सबसे बड़ी समस्या वहां विद्युतीकरण न होना है। 30 करोड़ से ज्यादा की राशि विद्युतीकरण कार्य के लिए जारी की गई। लेकिन इसकेे बाद भी डगा गांव का विद्युतीकरण नहीं हो पाया।

चितरंगी एवं अन्य क्षेत्रों में सड़क
प्रभारी मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने पिछले वर्ष चितरंगी में सड़क निर्माण का भूमि पूजन किया। इसके लिए करीब 77 करोड़ राशि स्वीकृति की गई। हालत यह है कि सभी जगह सड़क का निर्माण शुरू तक नहीं हो पाया है। इसके अलावा अन्य स्थानों पर भी सड़क के लिए राशि स्वीकृति की गई लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया।

दो हजार हैंडपंप खनन को मंजूरी
पानी की समस्या को देखते हुए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं जंगल विभाग को हैंडपंप खनन की मंजूरी दी गई। हालत यह रही कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने हैडपंप खनन के लिए सर्वे नहीं कराया और नहीं इसकी कोई सूची तैयार की। मनमानी जो जनप्रतिनिधियों से प्रस्ताव मिले उसी के आधार पर खनन शुरू कर दिया। ऐसे में जहां पानी का संकट है वहां काम न होकर जहां पानी की सुविधा है वहीं फिर हैंडपंप खनन हो रहा है।

शहर में पानी की सप्लाई नहीं
बैढ़न नगर निगम क्षेत्र में पानी की सप्लाई नहीं है। पानी की भीषण समस्या के बाद भी घर तक मीठा पानी नहीं पहुंच पा रहा है। पिछले तीन वर्षों से काम चल रहा है। लेकिन आज तक काम पूरा नहीं हुआ। इस गर्मी भी लोगों के घर तक मीठा पानी नहीं पहुंच पाएगा।