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आदर्श घोटाला: ईडी की बिना अनुमति सोसायटी की सम्पत्तियों के हस्तांतरण, बेचान व पंजीयन पर लगाई रोक

संयुक्त सचिव वित्त ने सिरोही, जोधपुर व उदयपुर कलक्टर को जारी किए आदेश

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Adarsh ​​Co-operative Society scam

पत्रिका में प्रका​शित खबर

संयुक्त सचिव वित्त ने सिरोही, जोधपुर व उदयपुर कलक्टर को जारी किए आदेश

सिरोही. देश के बहुचर्चित आदर्श कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाला मामले में सोसायटी से जुड़े सदस्यों की सम्पत्तियों का लिक्विडेटर के नाम म्यूटेशन खोलने का मामला उजागर होने के बाद राज्य सरकार ने कार्रवाई करते हुए सोसायटी और उससे संबंधित व्यक्तियों की जब्तशुदा अचल सम्पत्तियों की ईडी की अनुमित के बिना किसी भी तरह से हस्तांतरण, बेचान व पंजीयन पर रोक लगा दी है। इस मामले में संयुक्त शासन सचिव वित्त डॉ. खुशाल यादव ने तीन जिलों सिरोही, उदयपुर व जोधपुर के कलक्टर को इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। साथ ही इससे पूर्व में भी यदि ईडी के आदेश व पीएमएलए 2002 के प्रावधानों की अवहेलना की गई तो उस संबंध में भी रिपोर्ट मांगी है।

ईडी की रोक के बाद भी सिरोही में खोला म्यूटेशन

उल्लेखनीय है कि आदर्श कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाला मामले में पीएमएलए 2002 प्रावधान लागू होने व ईडी की रोक के बावजूद पिछले दिनों सिरोही में राजस्व विभाग के अधिकारियों ने सोसायटी से जुड़े सदस्यों की सिरोही में स्थित सम्पत्तियों का लिक्विडेटर के नाम म्यूटेशन खोल दिया। इस मामले में पूर्व विधायक संयम लोढ़ा की ओर से ईडी के डायरेक्टर, मुख्यमंत्री, संयुक्त शासन सचिव सहित अन्य अधिकारियों को शिकायत करने पर संयुक्त शासन सचिव वित्त ने सिरोही कलक्टर से रिपोर्ट भी मांगी थी।

इसके बाद अब 27 मई तो संयुक्त शासन सचिव वित्त ने आदेश जारी कर ईडी की बिना अनुमति के सोसायटी व उससे संबंधित लोगों की अचल सम्पत्तियों के हस्तांतरण, बेचान व पंजीयन पर पूर्णतया रोक लगा दी। पत्र में प्रवर्तन निदेशालय के 2019 व 2024 में जारी आदेश का हवाला दिया है।

पूर्व विधायक लोढा ने मिलीभगत के लगाए थे आरोप

इधर, आदर्श कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी से जुड़ी 22 बीघा भूमि का ईडी की पाबंदी के बावजूद लिक्विडेटर के नाम म्यूटेशन खोलने और आगे लिक्विडेटर की ओर से उसकी औने-पौने दाम में नीलामी करने के मामले में ें पूर्व विधायक संयम लोढा ने जिले के जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों पर मिलीभगत के आरोप लगाए थे।

लोढा ने इस मामले में ईडी के डायरेक्टर और राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त सहित अन्य अधिकारियों को भी पत्र लिखकर मामले में कार्रवाई की मांग उठाई थी। राजस्थान पत्रिका ने भी इस मामले को प्रमुखता से उठाया था।