VIDEO: प्रवासियों पर नहीं दिखा ‘अकालÓ का असर
सिरोहीPublished: Jan 21, 2019 02:09:16 pm
– कम पानी में प्रवासियों की बढ़ी संख्य- जिले के ११ जलाशयों पर दिखे दो हजार जलचर
आबूरोड. जिले में इस वर्ष वन विभाग की ओर से की गई वेटलैंड और प्रवासी पक्षियों की गणना खुशखबरी लेकर आई है। गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष प्रवासी पक्षी की संख्या अधिक रही हैं। हाल ही में वन विभाग की ओर से दस दिन में की गई गणना में यहा सामने आया है। हालांकि गत वर्ष जहां ५ जलाशयों पर प्रवासी पक्षियों की गणना की गई थी। वहीं इस वर्ष ११ जलाशयों पर गणना की गई है। आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष जिले में १५ से १९ सौ तक का आंकड़ा सामने आया था।वहीं इस वर्ष यह आंकड़ा २ हजार ३९१ तक पहुंच गया है।
दस दिन तक की ११ बांधों पर गणना
वन विभाग की ओर से प्रवासी पंक्षियों पर नजर रखने तथा उनकी संख्या बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है। विभाग की ओर से पंक्षियों के संरक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसको लेकर विभाग की ओर से अबकी बार ५ जनवरी से दस जनवरी तक जिले के ११ बांधों पर गणना की गई थी। विभाग ने अब वन्यजीवों की तरह प्रवासी पक्षियों की भी गणना कर प्रति वर्ष इनका रिकॉर्ड संधारण करना भी शुरु कर दिया है।
इन जलाशयों पर इतने आए पंक्षी
वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जिले के ११ जलाशयों पर गणना की गई। जिसमें वेस्ट बनास ४९२, सेलवाड़ा ४१५, ओड़ा २३२, अणगोर २५५, कुई ६२, भैसासिंह ७२, दुधिया २८३, बढ़ेची ८५, सरुपसागर ३०२, मोरस २८, कमेरी १६५ पर सवेरे आठ बजे से ११ बजे तक प्रवासी पक्षियों के आंकड़े संग्रहित किए गए। जिसमें २,३९१ प्रक्षियों की संख्या सामने आई।
इन प्रजातियों के पक्षी दिखे
जिले में की गणना में इस वर्ष करीब ३१ प्रजातियों के पक्षी दिखाई दिए है। इनमें कॉमन क्रेन, कॉमन कूट, बार हैडेड गीससे, गेट व्हाइट पैलिकन, लीटल कॉरमोरेट, ग्रे हैरोन, पैटेंंट स्टॉर्क, ब्रह्माणी सेलडॅक, ग्रेटर फलेमिंगो, सुर्खाब, कॉमन पोचार्ड, रडी शेल्डक, इंडियन पांड हेरोन, लिटिल इग्रेट, कॉम्बडक समेत कई पक्षी गणना में शामिल किए गए है। अबकी बार
इस कारण चार माह का होता है प्रवास
उत्तरी भारत के तराई वाले व पहाड़ों पर बर्फ जमने लगती है। जिससे वहां पेड़ पौध, जलश्रोत बर्फ से ढंक जाते है। ऐसे में यहां के पंक्षियों को समय पर भोजन पानी नहीं मिलने के कारण परेशानी बढ़ जाती है, ऐसे में यह पंक्षियों भोजन की तलाश में सात संमदर पार यहा आते है। यहां करीब तीन से चार माह का प्रवास होता है, जैसे ही गर्मी का मौसम आता है, पंक्षी अपने वतन को लौट जाते है।
पंक्षियों की बढ़ी संख्या
विभाग की ओर से अबकी बार चयनित बांधों पर विशेष टीम लगाकर पंक्षियों की गणना की गई। अबकी जिले के सभी बांधों में कम पानी होने के बावजूद पंक्षियों की संख्या बढ़ी है।
– संग्रामसिंह कटिया, उपवन संरक्षक सिरोही।