photo story:अब स्कूल संचालकों को खरीदनी होगी दाल
- पिछली सरकार की दाल योजना पर लगाया ब्रेक

आबूरोड. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद सरकार ने पूरानी सरकार की ओर से चलाए नियमों में काफी बदलाव किया है, शिक्षा विभाग में भी मर्ज स्कूलों को फिर से शुरु करने के बाद अब जिले की स्कूलों में पोषाहार में पकने वाली दाल के खरीदारी के नियमों में भी बदलाव कर दिया है। पूर्व सरकार ने मिड-डे- मील योजना के तहत सरकारी स्कूलों में नैफेड से दाल खरीदने की शुरूआत की थी, लेकिन अब नैफेड की दाल की खरीद पर ब्रेक लग गया है। नैफेड ने गेहूं और चावल के साथ स्कूलों में केन्द्रीकृत व्यवस्था के तहत दाल वितरण करने का जिम्मा उठाया था। लेकिन नैफेड से दाल शुरू होने के बाद मात्र जनवरी माह का राश स्कूलों तक पहुंचा। इसके चलते अब स्कूलों को दाल अपने स्तर पर खरीदनी पड़ र ही है।
सप्ताह में चार दिन दाल
स्कूलों में बच्चों को सप्ताह में दाल दी जाती है। मंगलवार को चावल के साथ दाल, बुधवार को रोटी-दाल, गुरुवार को खिचड़ी में दाल और शुक्रवार को राटी-दाल दी जाती है। कक्षा एक से पांच के विद्यार्थियों को २० ग्राम दाल प्रति विद्यार्थी और कक्षा ६ से ८ तक के प्रति छात्र को ३० ग्राम दाल प्रतिदिन दी जा रही है। दाल की सप्लाई भी पांच तथा दस किलो के पैकेट में हो रही थी।
बजट कर रहा परेशान
जिले के प्राथमिक, उच्च प्राथमिक व मदरसों में कक्षा एक से आठ तक के 1 लाख १४ हजार २६ विद्यार्थी अध्ययनरत है। इसमें कक्षा एक से पांच तक ७५ हजार ३४२ तथा छठीं से आठवीं तक ३८ हजार ६८४ विद्यार्थियों के लिए स्कूलों में पोषाहार पकता है। लेकिन पोषाहार के बदले मिलने वाला बजट संस्था प्रधानों को परेशान कर रहा है। पोषाहार में अग्रिम बजट डालने का प्रावधान होने के बावजूद इसका भूगतान विलंग से होता है।
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