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पिता-पुत्र की मौत के बाद मचा हड़कंप, 7 मेडिकल टीमों ने 150 घरों का सर्वे कर 884 जनों की जांच की, 82 के लिए सैंपल

सीएमएचओ ने बताया कि ग्राम वालोरिया में उप स्वास्थ्य केन्द्र है। मृतक व उनके परिजनों ने ना तो उप स्वास्थ्य केन्द्र पर संपर्क किया और ना ही अन्य केन्द्र पर इलाज के लिए संपर्क किया।

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father and son died due to illness

सिरोही के जिला अस्पताल के वार्ड में भर्ती बच्चे। फोटो- पत्रिका

राजस्थान के सिरोही जिले के पिण्डवाड़ा ब्लॉक में वालोरिया की सिलवाफली में बीमारी से पिता-पुत्र की मौत एवं परिवार के चार सदस्यों के बीमार होने के मामले ने जिले के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के दावों की पोल खोल दी है। पिता-पुत्र की मौत के बाद उसी परिवार के तीन जने अभी जिला अस्पताल में भर्ती हैं।

इधर, मामला उजागर होने के बाद हरकत में आए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने गांव में घर-घर जाकर ग्रामीणों की जांच कर स्लाइड्स ली। 7 मेडिकल टीमों ने सिलवाफली व आसपास के 150 घरों में निवासरत 884 व्यक्तियों की स्वास्थ्य जांच की, जिसमें से 36 जने सर्दी, जुकाम व खांसी और 48 फोड़ा-फुंसी से पीड़ित मिले। मेडिकल टीमों ने मरीजों को दवाइयां दी और क्षेत्र में कुल 82 जनों के ब्लड सैंपल लिए।

सीएमएचओ ने दी सफाई

सीएमएचओ ने बताया कि ग्राम वालोरिया में उप स्वास्थ्य केन्द्र है। मृतक व उनके परिजनों ने ना तो उप स्वास्थ्य केन्द्र पर संपर्क किया और ना ही अन्य केन्द्र पर इलाज के लिए संपर्क किया। मृतक अंगरेजाराम दो दिन बीमार होकर घर पर ही रहा। इलाज के लिए अस्पताल नहीं जाने की वजह से उसकी मृत्यु हुई। इसी तरह बेटे की मौत हुई है। दोनों की मृत्यु इलाज के अभाव में नहीं होकर घर पर ही रहने से हुई है। सीएमएचओ ने कहा कि अवैध वसूली की शिकायत झूठी है।

सिरोही जिले में चिकित्सा व्यवस्था बदतर-लोढ़ा

इधर, बीमारी से पिता-पुत्र की मौत के बाद पूर्व विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि जिले में चिकित्सा व्यवस्था के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। मौसमी बीमारियों की रोकथाम की तैयारी मानसून के आने से पहले शुरू होनी चाहिए थी, जिसको लेकर चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने वीसी भी ली थी, सरकार की ओर से बड़े-बड़े दावे भी किए गए, लेकिन सिरोही जिले में हालात बदतर हैं।

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चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों का काम मौसमी बीमारियों की रोकथाम की मॉनिटरिंग करना था, जबकि वो पिछले 6 माह से एफएसओ के साथ रहकर फूड सैम्पल एवं बंगाली अवैध प्रैक्टिस करने वालों पर कार्रवाई के नाम पर अपनी जेब भरने का काम कर रहे हैं। विभाग के पास गत सालों के आंकड़े रहते हैं, जिससे यह पता चलता है कि मौसमी बीमारियां किस क्षेत्र में ज्यादा फैलती है, इसके बावजूद आदिवासी बाहुल्य अंचल पिंडवाड़ा में बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया, जिससे पिता-पुत्र को बीमारी से अपनी जान गंवानी पड़ी।


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