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सरकार चाहे लाठी चलाए या गोली, पर लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे: मीणा

विधायक डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने पिछड़े वर्ग का जागरूक होने का आह्वान करते हुए कहा कि वे अगले माह जालोर के आहोर गांव में 10 हजार लोगों के साथ उस मंदिर...

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kirodi lal meena in sirohi

kirodi lal meena

आबूरोड (सिरोही)। पूर्व मंत्री व विधायक डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने पिछड़े वर्ग का जागरूक होने का आह्वान करते हुए कहा कि वे अगले माह जालोर के आहोर गांव में 10 हजार लोगों के साथ उस मंदिर में प्रवेश करेंगे, जहां दलितों को रोका जाता है। इसके बाद सरकार लाठी-गोली चलाए या जेल में डाले, लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे।

डॉ. अम्बेडकर सेवा समिति की ओर से रविवार को तलहटी स्थित मनमोहिनी कॉम्पलेक्स में हुए संविधान दिवस समारोह में उन्होंने मारवाड़ क्षेत्र में दलित वर्ग का शिक्षा से जुडऩे व संघर्ष करने का आह्वान किया। प्रदेश व केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में वर्ग विशेष को मंदिर में नहीं जाने दिया जाए, सामंतवाद चले, अत्याचार व शोषण हो और दूसरी तरफ अयोध्या में राम मंदिर बनाने की बात कही जाए, यह दोहरा चरित्र ठीक नहीं है।

उन्होंने कहा कि मारवाड़ में अन्य इलाकों की तुलना में अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग पर अत्याचार व शोषण अधिक होता रहा है। उन्होंने दलित वर्ग पर अत्याचार व शोषण अधिक होता रहा है। उन्होंने दलित वर्ग पर हुए अत्याचार व शोषण अधिक होता रहा है। उन्होंने दलित वर्ग पर हुए अत्याचार की तीन घटनाओं का जिक्र करते हुए इन्हें संविधान निर्माता के लोकतंत्र की हत्या करार दिया।

उन्होंने कहा कि मंदिर तो व्यक्ति के दिल में होना चाहिए। पावन मन के साथ शांति के लिए कोई भी मंदिर में जा सकता है, पर आहोर के मंदिर में एक वर्ग विशेष को पूजा करना तो दूर प्रवेश से ही रोका जा रहा है। डॉ. अम्बेडकर से प्रेरित होकर उन्होंने दलित वर्ग के लिए 368 आंदोलन किए हैं। इस दौरान कई बार उन पर मुकदमे हुए और जेल भी जाना पड़ा पर उन्होंने संघर्ष करना नहीं छोड़ा।


मुख्यधारा से जुड़ने का आहृान
उन्होंने ग्रामीण अंचल तक के पिछड़े वर्ग के लोगों को शिक्षित बनाने व मुख्यधारा से जुड़ने का आहृान करते हुए कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने देश का संविधान नही बनाया होता तो वे डॉक्टर की बजाय किसी सामंती कुचक्र का शिकार बन जाते। राज्य सरकार आदिवासी इलाकों में शिक्ष की बेहतर व्यवस्था की पहल करने की बजाय लोगों की भ्रमित कर रही है। उन्होंने न्यायपालिका में महिलाओं व एसटी—एससी के कम प्रतिनिधित्व कर कहा कि प्रधानमंत्री व राज्य सरकारें से इस मुद्दे को गम्भीरता से लेना होगा।


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