scriptVIDEO सिरोही की एक ऐसी स्कूल जहां पर चट्टानों पर खेलते हैं बच्चे, चोटिल होने का डर, जानिए कैसे…. | No facilities in the primary school Waseela pulse, sirohi school | Patrika News

VIDEO सिरोही की एक ऐसी स्कूल जहां पर चट्टानों पर खेलते हैं बच्चे, चोटिल होने का डर, जानिए कैसे….

locationसिरोहीPublished: Feb 13, 2019 11:06:07 am

प्राथमिक विद्यालय वासेला नाड़ी में नहीं सुविधाएं, एक शिक्षक के भरोसे 57 विद्यार्थी

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भरत कुमार प्रजापत

नया सानवाड़ा (सिरोही). ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों का कोई धणी-धोरी नहीं है। पिण्डवाड़ा तहसील के राजकीय प्राथमिक विद्यालय वासेला नाड़ी (वीरवाड़ा) में व्यवस्थाएं देखने से तो ऐसा ही लगता है। बच्चे नंगे पांव चट्टानों पर खेलते हैं और हमेशा चोटिल होने का डर रहता है। न बिजली है और न ही पर्याप्त पेयजल। छात्र हैंडपम्प पर निर्भर हैं। उबड़-खाबड़ मैदान होने से बारिश में पहाडिय़ों का सारा पानी परिसर में भरा रहता है। विद्यार्थियों व शिक्षक को परेशानी झेलनी पड़ रही है। वीरवाड़ा से तीन किलोमीटर दूर इस स्कूल में बिजली नहीं होने से शिक्षक को छोटे से कार्य के लिए गांव में जाना पड़ता है। एक ही शिक्षक होने से कोई काम आने पर संबंधित पीईईओ को सूचना देनी पड़ती है। स्कूल तक उबड़-खाबड़ रास्ता है।
स्कूल जाने वाले मार्ग पर ही एक बड़ा नाला है। बारिश के दिनों में नाला तेज गति से बहने के कारण स्कूल बंद रहता है। रपट के लिए पंचायत को अवगत करवा दिया लेकिन अब तक नहीं बनी। स्कूल परिसर में चट्टानें होने से कोई खेल भी आयोजित नहीं किया जा सकता। विद्यार्थी इन चट्टानों पर खेलते हैं। पहली से पांचवीं तक कक्षाएं संचालित हैं लेकिन विद्यार्थियों के बैठने के लिए केवल एक कमरा ही है। ऐसे में सभी कक्षाओं को शामिल बैठाना पड़ता है। स्कूल का नामांकन 57 है पर मंगलवार को केवल 35 विद्यार्थी ही उपस्थित थे। एक तरफ की चार दीवारी नहीं होने से पशु परिसर में विचरण करते हैं। इस कारण गंदगी पड़ी रहती है। चट्टानों के बीच बने शौचालय व मूत्रालय भी बदहाल हैं।

स्कूल के मार्ग की रपट व ग्रेवल सड़क बनाने के लिए ग्राम पंचायत ने प्रस्ताव बनाकर पंचायत समिति पिण्डवाड़ा में जमा करवा दिया लेकिन अब तक पास नहीं हो पाया है। स्वीकृत होते ही शीघ्र काम करवा दिया जाएगा।
– मीठालाल रावल, उप सरपंच, वीरवाड़ा
स्कूल में पर्याप्त सुविधा नहीं होने के कारण विद्यार्थियों को परेशानी तो होती ही है लेकिन जैसे-तैसे गतिविधियां संचालित करने का प्रयास करते हैं। परिसर में चट्टानें अधिक होने से खेलने में भी परेशानी होती है। बारिश के दिनों में परिसर में पानी भरा रहता है।
– महावीरसिंह, संस्था प्रधान, प्राथमिक विद्यालय वासेला नाड़ी (वीरवाड़ा)
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