अन्न छोडऩे के पीछे की कहानी
जैसा कि सोमाराम भगत बताते हैं कि अन्न छोडऩे का निर्णय ऐसे ही नहीं किया। ‘मेरी मां ने मौत से एक दिन पहले कहा था कि अब अनाज नहीं मिलेगा। यानी किसान को उपज का उचित मूल्य नहीं मिलेगा। बस फिर क्या था। मैंने मां की मौत के बारहवें दिन ही अन्न ग्रहण करना बंद कर दिया और पिछले 35 साल से बिना अन्न खाए आपके सामने हूं। जिस दिन किसान को सही दाम मिलेगा, उस दिन हो सकता है अन्न ग्रहण कर लूं। पता नहीं वह दिन कब आएगा।’
जैसा कि सोमाराम भगत बताते हैं कि अन्न छोडऩे का निर्णय ऐसे ही नहीं किया। ‘मेरी मां ने मौत से एक दिन पहले कहा था कि अब अनाज नहीं मिलेगा। यानी किसान को उपज का उचित मूल्य नहीं मिलेगा। बस फिर क्या था। मैंने मां की मौत के बारहवें दिन ही अन्न ग्रहण करना बंद कर दिया और पिछले 35 साल से बिना अन्न खाए आपके सामने हूं। जिस दिन किसान को सही दाम मिलेगा, उस दिन हो सकता है अन्न ग्रहण कर लूं। पता नहीं वह दिन कब आएगा।’
परिवार की जिम्मेदारी
भगत की जिन्दगी सब्जी और फल के इर्द-गिर्द ही सिमटी हुई है। ये लौकी, ककड़ी समेत तमाम तरह की मौसमी सब्जी और फल खाते हैं। सोमाराम के कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी भी है। इनके परिवार में पत्नी नवूदेवी व तीन बेटे हैं। बेटे और पत्नी अन्न ग्रहण करते हैं। इनकी आठ बीघा जमीन है जहां बुवाई करते हैं और उससे मिलने वाली आमदनी से परिवार का पालन करते हंै। आजकल इन्होंने खेत में नींबू के पौधे लगाए हैं। ये जीरा-गेहूं, सरसों और अरण्डी की खेती भी करते हंै।
भगत की जिन्दगी सब्जी और फल के इर्द-गिर्द ही सिमटी हुई है। ये लौकी, ककड़ी समेत तमाम तरह की मौसमी सब्जी और फल खाते हैं। सोमाराम के कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी भी है। इनके परिवार में पत्नी नवूदेवी व तीन बेटे हैं। बेटे और पत्नी अन्न ग्रहण करते हैं। इनकी आठ बीघा जमीन है जहां बुवाई करते हैं और उससे मिलने वाली आमदनी से परिवार का पालन करते हंै। आजकल इन्होंने खेत में नींबू के पौधे लगाए हैं। ये जीरा-गेहूं, सरसों और अरण्डी की खेती भी करते हंै।
कभी बाल-दाढ़ी नहीं बनाई
बकौल सोमाराम- इन वर्षों में कभी बाल-दाढ़ी तक नहीं बनाई। चप्पल तक नहीं पहनते हैं। यानी नंगे पांव ही रहते हंै। इन्होंने अपने गुरु महाराज की समाधि स्थल पर बगीचा तैयार किया है जो यहां आने जाने वाले लोगों को सुकून देता है।
बकौल सोमाराम- इन वर्षों में कभी बाल-दाढ़ी तक नहीं बनाई। चप्पल तक नहीं पहनते हैं। यानी नंगे पांव ही रहते हंै। इन्होंने अपने गुरु महाराज की समाधि स्थल पर बगीचा तैयार किया है जो यहां आने जाने वाले लोगों को सुकून देता है।
चिकित्सक कहिन…
फलाहार और सब्जी से अनाज की पूर्ति हो जाती है। यह सबसे अच्छा आहार माना जाता है। इससे व्यक्ति स्वस्थ्य रहता है।
– डॉ. दिनेशकुमार राठौड़, राजकीय चिकित्सालय, सिरोही
फलाहार और सब्जी से अनाज की पूर्ति हो जाती है। यह सबसे अच्छा आहार माना जाता है। इससे व्यक्ति स्वस्थ्य रहता है।
– डॉ. दिनेशकुमार राठौड़, राजकीय चिकित्सालय, सिरोही