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UP Tourist Place: लखनऊ से 80 किलोमीटर दूर इस जगह 88 हजार ऋषि-मुनियों ने की थी तपस्या, जानें सीतापुर के नैमिषारण्य की कहानी

UP Tourist Place: लखनऊ से 80 किलोमीटर दूर सीतापुर जिले में स्थित नैमिषारण्य धाम में 88 हजार ऋषि-मुनियों ने तपस्या की थी। यहां यहां ललिता देवी मंदिर, श्री नारद मंदिर हवन कुंड, पंचपुराण मंदिर, व्यास गद्दी, पंच पांडव मंदिर भी हैं।

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Story of UP Tourist Place Naimisharanya in Sitapur

नैमिषारण्य धाम सीतापुर

UP Tourist Place: यूपी प्राचीन तीर्थ स्थलों वाला राज्य है। यहां हर जिले में एक धार्मिक स्थल देखने को मिल जाएंगे। ऐसे ही प्राचीन स्थलों में से एक सीतापुर का नैमिषारण्य है। ये गोमनी नदी के किनारे स्थित है। लखनऊ से करीब 80 किलोमीटर दूर स्थित ये तीर्थ स्थल खास है। नैमिषारण्य का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। अब अगर आप नैमिषारण्य जा रहे हैं तो सीतापुर के बाबा श्मामनाथ मंदिर, ललिता देवी मंदिर, किला राजा महमूदाबाद समेत अन्य स्‍थलों का भी लुत्फ उठा सकते हैं। आइए बताते हैं सीतापुर के नैमिषारण्य की कहानी...

नैमिषारण्य भगवान विष्णु के प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। यहां ललिता देवी मंदिर, श्री नारद मंदिर हवन कुंड, पंचपुराण मंदिर, हनुमान गढ़ी, पंचप्रयाग, व्यास गद्दी, पंच पांडव मंदिर समेत अन्य कई स्थल देखने को मिल जाते हैं। यहां देखने में सामान्य तरह का एक सरोवर भी स्थित है। जिसमें श्रद्धालु स्नान करते हैं।

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लोगों का ऐसा मानना है कि डूबकी लगाने से पुण्य की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक इस चंद्र कुंड का निर्माण भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से बना है।

हजारों ऋषि-मुनियों का तपस्या स्थली है नैमिषारण्य
नैमिषारण्य को नीमसार और नैमिष के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक नैमिषारण्य में महर्षि दधीचि ने देवताओं की मदद करने के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया था। जिससे उनकी हड्डियों से ताकतवर हथियार बन सके। एक अन्य कथा के अनुसार जब साधु-संत कलयुग के प्रारंब को लेकर चिंतित थे तो उन्होंने भगवान ब्रह्मा से मदद मांगी। इस पर ब्रह्मा ने एक चक्र निकालकर पृथ्वी की तरफ फेंका और कहा कि ये चक्र जहां जाकर रुकेगा वह स्थान कलियुग के प्रभाव से मुक्त रहेगा। तब से ये स्थान तपोस्थली बन गई। यहां 88 हजार ऋषि-मुनियों ने तपस्या की।

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