सोनभद्र सिर्फ वनाें, पहाड़ों, औद्योगिक इकाइयों के लिए प्रसिद्ध नहीं है। यहां विश्व की सबसे जहरीले सांप रसेल वाइपर भी पाए जाते हैं। सोनभद्र के बभनी, म्याेरपुर और राबर्ट्सगंज में इसे कई बार देखा गया है। इसके अलावा और जगहों पर भी कभी-कभी यह दिख जाता है। इसके डंसने से लोगों की तुरंत मौत हो जाती है।
हर वर्ष रसेल वाइपर के डंसने से करीब 15 से 20 लोगों की मौत हो जाती है। यह घटना सिर्फ मानसून के दौरान होती है। 80% मौत समय पर अस्पताल न पहुंचने के कारण होना होती है। सोनभद्र के कई ऐसे गांव और जगह हैं, जहां से किसी नगर तक पहुंचना बहुत मुश्किल भरा होता है।
सोनभद्र के जंगल क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की सूचना पर वन विभाग अपनी टीम भेजकर जहरीले सांप को पकड़ने का काम करते हैं। पकड़े गए सांपों को सूनसान जगहों पर छोड़ दिया जाता है। जो फिर टहलते हुए शहर की ओर चला आता है। रसेल वाईपर ज्यादातर खेतों में रहता है।
यह धान के खेतों में ज्यादा पाया जाता है। इस वजह से कई बार किसान इसके शिकार हो जाते हैं। उत्तर प्रदेश में इसको चित्ती या चितकौड़िया सांप के नाम से जानते है। इस सांप की लंबाई 4 फीट तक होती है। इसके मुंह की बनावट तिकोना होती है। इसके सिर का भाग पतले गर्दन से जुड़ा होता है। इसके शरीर के बीच का भाग करीब 2 से 3 इंच तक मोटा होता है।
रसेल वाईपर सामान्यता चूहे और अन्य छोटे जंतुओं को खाता है। ये रात को ही शिकार पर निकलता है। दिन में यह किसी ऐसे स्थान पर आराम करता है। जहां किसी व्यक्ति का आना जाना नहीं होता है। जैसे किसी पत्थर के के नीचे, किसी ईंट के ढेर में ये सांप घास के बीच में चुपचाप लेटा रहता है।
Adarsh Shivam
आदर्श शिवम् मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट हैं। दो साल से ज्यादा डिजिटल कंटेंट बिजनेस पर काम। हाईपरलोकल कंटेंट, सिनेमा से अधिक लगाव। पत्रिका समूह में एंटरटेनमेंट बीट पर कार्यरत।