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जानवरों में फ़ैल रहा रोग… श्वान और बंदरों के उड़ रहे बाल

इस बीमारी की वजह से इन जीवों के बाल उड़ रहे हैं और चमड़ी से खून निकलने लगा है। इससे इंसानों को भी खतरा है। यह संक्रमण इन जीवों से मनुष्य में भी फैल सकता है।

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ग्रहों की उल्टी चाल को सीधा करने के लिए लोग दान-पुण्य करते हैं और जीवों को भोजन कराता है। उसका यही भोजन जीवों की बीमारी का कारण बन रहा है। बिस्किट, मिश्री, लड्डू, चूरमा, मीठा दूध, मिठाइयां खाने से बंदर और श्वान हाइपरकेराटोसिस बीमारी के शिकार हो रहे हैं। इस बीमारी की वजह से इन जीवों के बाल उड़ रहे हैं और चमड़ी से खून निकलने लगा है। इससे इंसानों को भी खतरा है। यह संक्रमण इन जीवों से मनुष्य में भी फैल सकता है। पशु चिकित्सालय की ओपीडी में प्रतिदिन 10 से ज्यादा मामले इस बीमारी के आ रहे हैं।

बीमारी एक दूसरे में फैल रही

शहर के किशनकुंड, प्रतापबंध, आड़ा-पाड़ा, भूरासिद्ध, सिलीसेढ़, अकबरपुर आदि तीर्थ के आस-पास कई बंदर और कुत्ते इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं। ये सही तरीके से चल भी नहीं पा रहे हैं। खुजली होने की वजह से इनके बाल झड़ गए और चमड़ी उतरने से शरीर से खून तक रिसता दिखाई दे रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बंदरों और कुत्तों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है। खुजली इतनी अधिक होती है कि खुजाते-खुजाते ही मर जाते हैं। यह बीमारी एक दूसरे में फैल रही है।

फूड हैबिट बदलने से बढ़ रहे हैं मामले

बंदरों का मूल भोजन कंद, मूल, फल, गाजर, मूली, सब्जियां ही हैं, लेकिन धर्मार्थ की भावना से उन्हें बिस्किट, मिश्री, लड्डू, चूरमा, मखाने इत्यादि मीठा खिला देते हैं। इस वजह से यह बीमारी फैल रही है। उन्हें मीठा नहीं खिलाना चाहिए, जिससे की बीमारी से बच सके।

वन्यजीवों में कम, लावारिस पशुओं में अधिक

मीठा खाने और शुगर लेवल बढ़ने की वजह से हाइपरकेराटोसिस बीमारी फैल रही है। पशु चिकित्सालय की ओपीडी सौ की है इसमें से प्रतिदिन 10 से 15 मामले इस बीमारी के आ रहे हैं। फिलहाल लावारिस श्वान में यह ज्यादा आ रहे हैं। कुछ मामलों में बारहसिंगा में भी लक्षण मिल रहे हैं। - डॉ.सरबजीत सिंह, उपनिदेशक, बहुउद्धेशीय पशु चिकित्सालय, अलवर