
जेडीए रीजन को दोगुना करने में मनमानी, पत्रिका फोटो
जयपुर. जेडीए रीजन को दोगुना करने के फैसले में अधिकारियों की मनमानी और नेताओं की मौन स्वीकृति सामने आई है। नगरीय विकास विभाग ने जिस तरह से इस विस्तार योजना को मंजूरी दी, उस पर भारतीय नगर नियोजक संस्थान (आइटीपीआइ) ने पहले ही गंभीर सवाल उठाए थे। संस्थान ने विभाग के आला अधिकारियों को पत्र लिखकर इसके दुष्परिणाम भी बताए थे, लेकिन किसी भी सुझाव पर अमल नहीं किया गया। संस्थान ने अपने पत्र में लिखा था कि यदि इस अनियोजित विकास को नियंत्रित करने के उद्देश्य से जेडीए रीजन का दायरा बढ़ाया गया तो यह बेतरतीब विकास की मौजूदा समस्या को और बढ़ा देगा। जेडीए क्षेत्र के उचित सीमा से परे प्रस्तावित विस्तार के प्रतिकूल प्रभाव होंगे।
संस्थान के अध्यक्ष प्रदीप कपूर, सेवानिवृत्त मुख्य नगर नियोजक ए.के. गुप्ता, सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक सी.एस. पाराशर और एमएनआइटी के प्रोफेसर डॉ. तरुष चंद्रा सहित अन्य सदस्य इस कमेटी में शामिल थे।
विकास न केवल बहुत बिखरा हुआ होगा बल्कि घटिया भी होगा। यह विश्लेषण मौजूदा जमीन पर हुए विकास के आधार पर किया गया है। मास्टरप्लान-2025 के अनुसार विकास के लिए उपलब्ध भूमि पर विचार करें तो वर्तमान में भी दो करोड़ की आबादी को समायोजित किया जा सकता है, जबकि अभी जनसंख्या केवल 60 लाख के आसपास है। मास्टरप्लान-2025 में शामिल भूमि अगले 25 से 30 वर्ष के लिए पर्याप्त है।
आने वाले समय में जेडीए जमीन का अधिग्रहण शुरू करेगा। स्थानीय लोगों को विकास के सपने दिखाए जाएंगे। चहेतों को फायदा ही मिलेगा। कुछ माह बाद भूमाफिया अवैध रूप से कॉलोनी काटना शुरू कर देंगे। ऐसे में जयपुर के आस-पास खेती के लिए जमीन नहीं रहेगी और हरियाली की जगह कंक्रीट के जंगल खड़े हो जाएंगे।
Published on:
07 Oct 2025 08:44 am
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