28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

हज़ारों नाकामयाबी के बाद मिली एक कामयाबी, मंद बुद्धि वो बच्चा बना सदी का महानायक

सदीं के इस महान वैज्ञानिक को उनके स्कूल से ये कहकर निकाल दिया गया था कि वो मंदबुद्धि है

2 min read
Google source verification

image

Arijita Sen

Feb 21, 2018

Edison

नई दिल्ली। इंसान की जिंदगी में उसके भविष्य का निर्धारण दो चीज़ें करती है एक तो मेहनत और दूसरी चीज़ उसकी किस्मत। किस्मत हमारे हाथ में तो नहीं होती है लेकिन मेहनत हम कर सकते हैं और कभी-कभार हमारी मेहनत के आगे किस्मत को भी घुटना टेकना पड़ता है। आज एक ऐसे ही कहानी के बारे में हम आपको बताने जा रहे है जिसे जानने के बाद आपके मन से असफलता नामक नकारात्मक शब्द अवश्य रूप से निकल जाएगा। थॉमस अल्वा एडिसन का नाम हम सभी ने सूना है और सुने भी क्यों न?

दुनिया के महान वैज्ञानिकों में से वो एक थे। एडिसन का जन्म 11 फरवरी साल1847 को हुआ था और उनकी मृत्यु 18 अक्टूबर साल 1931 को हुई थी। क्या आपको पता है कि सदीं के इस महान वैज्ञानिक को उनके स्कूल से ये कहकर निकाल दिया गया था कि वो मंदबुद्धि है और सामान्य बच्चों के साथ पढऩे लायक नहीं है लेकिन एडिसन ने अपनी मेहनत से इस बात को गलत सिद्ध किया और दुनिया को अपना लोहा मनवाया। एडिसन ने अपने जीवनकाल में कई सारी चीज़ों का आविष्कार किया जैसे कि कार्बन माइक्रोफोन,फोनोग्राफ,मूवी कै मरा,इलेक्ट्रिक पावर डिस्ट्रिबिउशन, बल्ब इत्यादि।

बिजली के बल्ब क ा आविष्कार एडिसन ने ही किया था जिससे आज हमें रोशनी मिलती है लेकिन क्या आपको पता है इस एक सफल आविष्कार के पीछे हज़ारो असफलता है। कई सौ बार असफल प्रयोग के बाद उन्हें अपने इस काम में सफलता मिलीं।

इन असफलताओं को लेकर जब उनसे किसी ने ये पूछा कि क्या आपको इन नाकामयाबियों से हताशा नहीं होती, दुख नहीं होता? तो इस सवाल पर एडिसन का कहना था कि मैं सोचता हूं कि मेरे एक हजार प्रयोग असफल हुए है।

मेरी मेहनत बेकार नहीं गई, क्योंकि मैंने एक हजार प्रयोग करके इस बात का पता लगाया कि इन एक हजार तरीकों से बल्ब नहीं बनाया जा सकता। मेरा हर प्रयोग, बल्ब बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा है और मैं अपनी हर कोशिश के साथ एक कदम आगे बढ़ता हूं।

जिस एडिसन को मंदबुद्धि करार देकर स्कूल से निकाला गया उसने अपनी मेहनत और लगन से वो कर दिखाया जिससे आज पूरी दुनिया जगमगा रही है और आज भी उनक ा नाम लिया जा रहा है और जब तक दुनिया में रोशनी रहेगी तब तक उनका नाम हम सबके जेहन में रहेगा। एडिसन ने साबित कर दिखाया कि मेहनत और ईच्छाशक्ति प्रबल हो तो दुनिया की कोइ्र ताकत आपको आगे बढऩे से नहीं रोक सकती। क्या पता कब किसकी मेहनत रंग ला जाएं और वो सदीं का महानायक बन जाएं।