परिवार ने 6 भैंसे हैं ऐसे में हरजिंदर खुद पशुओं के लिए चारा काटने की टोका मशीन चलाती रही हैं। यही वजह है कि उनके हाथ इतने मजबूत हैं। हरजिंदर ने बर्मिंघम से फोन पर बात करते हुए मीडिया को बताया, ‘मैं अपने पिता के साथ घर और खेतों में काम करती थी और इसलिए मेरे हाथ मजबूत हैं।’ वेटलिफ्टर मानती हैं कि मशीन पर चारा काटने के कारण उनके बाजू मजबूत बने और आज वह इसी वजह से कॉमनवेल्थ गेम्स में सफलता हासिल करके देश का नाम रोशन कर सकी हैं।
हरजिंदर के बड़े भाई प्रीतपाल सिंह ने कहा कि वह अपने किसान पिता की खेतों में मदद करती थी और इससे भी वह मजबूत बनी। हरजिंदर कौर ने दूसरे पंजाबियों की तरह कबड्डी से खेल जीवन की शुरूआत की। जब उन्होंने कॉलेज जॉइन किया तो वहां उन्हें कॉलेज की कबड्डी टीम में शामिल कर लिया गया। एक साल बाद हरजिंदर ने पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला में स्पोर्ट्स विंग जॉइन कर लिया। यहीं पर कोच परमजीत शर्मा ने हरजिंदर के टेलेंट को पहचाना। उनकी मजबूत बांह देख उन्हें रस्साकस्सी टीम में शामिल कर लिया। इसके बाद उन्होंने हरजिंदर को वेटलिफ्टिंग करने को प्रेरित किया।
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पटियाला के नाभा इलाके के गांव मेहसा की रहने वाली हरजिंदर ने कहा कि मेरे दिमाग में यह कभी नहीं आया कि मैं पदक नहीं जीतूंगी।’ उन्होंने कहा, ‘जब रजत पदक विजेता ने अपना प्रयास सफलतापूर्वक पूरा किया तो मेरा दिल टूट गया। मैंने पदक की सारी उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन उस वक्त हैरानी हुई जब नाइजीरिया की खिलाड़ी का तीनों प्रयास विफल रहे।’ उन्होंने स्नैच में 93 और क्लीन एंड जर्क में 119 किलो का वेट उठाया। वे कुल 212 किलो के साथ तीसरे स्थान पर रहीं।
इस मौके पर गांव में वेटलिफ्टर के घर पर जश्न का माहौल था। घर पर बधाई देने के लिए आने वालों का तांता लगा था। ढोल की थाप पर सभी नाच-गा रहे थे और एक-दूसरे का मुंह मीठा करा रहे थे। हरजिंदर के पिता साहिब सिंह ने बताया कि जब से बेटी के कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीतने की खबर मिली है, तब से जमीन पर पैर नहीं पड़ रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि सारा जीवन गरीबी में काटा। अब खुशी है कि बेटी ने उनके सारे दुख दर्द मिटा दिए। पिता ने नम आंखों से बताया कि वह हरजिंदर कौर को टोका मशीन से चारा काटने से रोकते थे, लेकिन वह कहती है कि पिता जी आपकी मदद करनी है। डांटने पर भी नहीं मानती थी।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरजिंदर कौर को 40 लाख रुपये के नकद पुरस्कार देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने यहां जारी एक बयान में कौर को बधाई देते हुए कहा कि नाभा के पास मेहस गांव की इस खिलाड़ी ने अपने पराक्रम से देश को गौरवान्वित किया है। राज्य सरकार उन्हें पंजाब की खेल नीति के अनुसार 40 लाख रुपये का नकद पुरस्कार देगी। सीएम ने आशा व्यक्त की है कि कौर की उपलब्धि अन्य खिलाड़ियों, विशेषकर लड़कियों को भी खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने और देश का नाम रौशन करने के लिए प्रेरित करेगी।