scriptTokyo olympics 2020: हॉकी प्लेयर निशा वारसी के लिए मां ने फैक्ट्री में किया काम, परेशानियों से नहीं मानी हार, अब बेटी ओलंपिक में कर रही दम | Tokyo Olympics 2020- Indian hockey player Nisha warsi Struggle story | Patrika News

Tokyo olympics 2020: हॉकी प्लेयर निशा वारसी के लिए मां ने फैक्ट्री में किया काम, परेशानियों से नहीं मानी हार, अब बेटी ओलंपिक में कर रही दम

locationनई दिल्लीPublished: Aug 04, 2021 02:50:02 pm

Submitted by:

Mahendra Yadav

Tokyo olympics 2020: निशा वारसी हरियाणा के सोनीपत की रहने वाली हैं। निशा को ओलंपिक तक का सफर तय करने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है। उनके लिए ओलंपिक तक का सफर आसान नहीं था।

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tokyo olympics 2020 टोक्यो ओलंपिक में भारत की बेटियां कमाल दिखा रही हैं। पहले वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने देश के लिए सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद भारत की बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु ने कांस्य पदक अपने नाम किया। वहीं भारतीय महिला बॉक्सर लवलीना ने भी मुक्केबाजी में कांस्य पदक हासिल किया। हॉकी में भी भारत की बेटियां कमाल का प्रदर्शन कर रही हैं। भारत की महिला हॉकी टीम सेमीफाइनल में पहुंच गई है। सेमीफाइनल में आज भारत की महिला हॉकी टीम का मुकाबला अर्जेंटीना से होगा। ऐसे में पूरे देश की नजर उन सभी 16 बेटियों पर है, जिन्होंने इतिहास में पहली बार महिला हॉकी टीम को अंतिम-4 में पहुंचाया है। इनमें हॉकी प्लेयर निशा वारसी भी शामिल हैं। निशा अपने जीवन में कई संघर्षों का सामना करते हुए यहां तक पहुंची है।
माता—पिता ने किया बेटी के लिए संघर्ष
निशा वारसी हरियाणा के सोनीपत की रहने वाली हैं। निशा को ओलंपिक तक का सफर तय करने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा है। उनके लिए ओलंपिक तक का सफर आसान नहीं था। निशा के पिता सोहराब अहमद दर्जी थे। वर्ष 2015 में उन्हें लकवा मार गया और उन्हें काम छोड़ना पड़ा। हालांकि वे बेटी को हॉकी खेलने के लिए प्रोत्साहित करते रहे। वहीं निशा की मां महरून ने एक फोम बनाने वाली कंपनी में काम किया, ताकि निशा हॉकी स्टार बन सके।
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सामाजिक बाधाएं
रिपोर्ट के अनुसार, निशा जब पैदा हुई तो पड़ोसियों ने ताने मारे। आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, निशा के पिता सोहराब ने बताया कि जब घर में लड़की (निशा) पैदा हुई तो कई लोगों ने ताने मारे थे। वहीं गांव का माहौल होने के कारण निशा की जिंदगी में कई सामाजिक बाधाएं भी थीं। हालांकि इस दौरान कोच सिवाच ने निशा का साथ दिया। इसके बाद वर्ष 2018 में निशा का चयन भारतीय टीम के कैंप के लिए हुआ। उस वक्त निशा के लिए घर छोड़ने का फैसला आसान नहीं था।
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निशा ने हार नहीं मानी
निशा के जीवन में कई परेशानियां आईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। निशा ने अपना पहला इंटरनेशनल डेब्यू वर्ष 2019 में हिरोशिमा में FIH फाइनल्स में किया। इसके बाद से निशा अब तक नौ बार भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। निशा के पिता ने बेटी के लिए कुछ पैसा अलग से जमा किया था। इसी पैसे से निशा को टूर्नामेंट के लिए यात्रा करने में मदद मिली। अब निशा टोक्यो ओलंपिक में पूरे भारत का नाम रोशन कर रही हैं। सेमीफाइनल मुकाबले में देश को उनसे काफी उम्मीदें हैं।

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