गोपीचंद ने वेबिनार में उम्मीद व्यक्त करते हुए कहा कि यह ओलंपिक भारत के लिए यादगार रहेगा और एथलीट बड़ी संख्या में पदकों के साथ वापसी करेंगे। साथ ही उन्होंने शीर्ष पदक विजेता देशों में से एक बनने के लिए, महत्वाकांक्षी एथलीटों के लिए जमीनी स्तर पर कोचिंग और प्रशिक्षण में सुधार के महत्व पर भी जोर दिया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय के कुलपति आरसी मिश्रा, आईएएस (सेवानिवृत्त) ने की।
कुलपति आरसी मिश्रा ने कहा कि युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा पीएम मोदी के खेल को राष्ट्रीय एकता, वास्तविकता के एक महान साधन के रूप में उपयोग करने और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी ही कम है। खिलाड़ी खेलों में उपलब्धि, राष्ट्रीय गौरव और देशभक्ति की भावना को बढ़ाते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय एथलीट 2020 टोक्यो ओलंपिक में एक नया रिकॉर्ड स्थापित करेंगे।
विकसित देशों में विश्व स्तरीय एथलीटों को योगदान में तैयार करने में उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा निभाई गई भूमिका के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय स्कूलों के लिए पाठ्यक्रम विकसित करने या हमारे कोचों को उच्च गुणवत्ता वाले शोध प्रदान करने में संयुक्त प्रयासों का नेतृत्व कर सकता है। इस वेबिनार में एथलीट, खेल वैज्ञानिक, प्रशासक, 1980 ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के कप्तान वी. भास्करन, विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता और पूर्व ओलंपियन लंबी जम्पर अंजू बॉबी जॉर्ज, राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार विजेता एन. कुंजारानी देवी और राष्ट्रीय कोचिंग अकादमी, मलेशिया के उपाध्यक्ष डॉ. लिम बून हूई ने भी अपने विचार साझा किये।