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Ram Mandir: कारसेवकों का जत्था हो गया था बारात में तब्दील, सोनी बने थे ‘दूल्हा’, जानिए पूरी कहानी

Ram Mandir: श्रीगंगानगर से 21 अक्टूबर 1990 को ट्रेन से अयोध्या के लिए 70 कारसेवकों का जत्था रवाना हुआ था। जब कारसेवक दिल्ली पहुंचे, तब पता चला कि उत्तरप्रदेश सरकार ने सख्ती कर रखी है।

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Ram Mandir श्रीगंगानगर से 21 अक्टूबर 1990 को ट्रेन से अयोध्या के लिए 70 कारसेवकों का जत्था रवाना हुआ था। जब कारसेवक दिल्ली पहुंचे, तब पता चला कि उत्तरप्रदेश सरकार ने सख्ती कर रखी है। ऐसे में कारसेवकों के जत्थे को बारात के रूप में तब्दील कर दिया गया। भारतीय जनता युवा मोर्चा एवं भाजपा ओबीसी मोर्चा के पूर्व जिलाध्यक्ष राजकुमार सोनी को नकली दूल्हा बनाया गया। मथुरा की चैकिंग से तो यह बारात किसी तरह गच्चा देकर निकल गई, लेकिन आगरा में पकड़ी गई। सभी 70 कारसेवकों को जीआरपी थाना आगरा ले जाया गया। वहां से सोनी सहित 15 कारसेवक किसी तरह भागकर आगरा फोर्ट पहुंचे तथा स्थानीय भाजपा नेताओं से जेल में बंद साथियों की जमानत का आग्रह किया। इसके बाद ये लोग अयोध्या के लिए निकल गए। आगे की कहानी राजकुमार सोनी की जुबानी...

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कोठारी बंधुओं को गोली मेरे सामने लगी थी
बीकानेर के मूल निवासी कोलकाता से आए शरद और राम कोठारी बंधु भी बामन जी के मंदिर हमारे साथ ठहरे हुए थे। उन पर गोली भी मेरी आंखों के सामने 2 नवंबर 1990 को ही चली थी। उसी दिन मणिराम छावनी (वाल्मीकि आश्रम) में महंत नृत्य गोपाल दास ने बताया कि बाबरी मस्जिद के गुंबद पर भगवा झंडा लहरा दिया गया है। अपनी जीत हो गई है, जो कारसेवक लौटना चाहें, लौट जाएं। करीब 2 साल बाद 1992 को फिर कारसेवा का आह्वान किया गया। उस कारसेवा में मैं भी 4 दिसंबर 1992 को अयोध्या पहुंचा। इसके बाद 6 दिसंबर को ढांचा ध्वस्त करने में मेरा 5चावल के दाने जितना योगदान रहा है।

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पैदल चले, पैरों में छाले पड़ गए फिर भी हम रुके नहीं
आगरा फोर्ट से निकलकर हम टूंडला, कानपुर होते हुए लखनऊ पहुंचे। लखनऊ से मल्हौर, गोंडा होते हुए झिलाई स्टेशन पर चेन खींचकर हम ट्रेन से उतरे। इसके बाद झिलाई से पैदल 2 रात और 3 दिन चलते रहे। पैरों में छाले और उनमें खून बह रहा था। मैले-कुचैले कपड़ों में हमने अकमा, चाचचपारा, दलपतपुरा, तकिया, कुटैना और काज़ीदेवर गांव पार किए। फिर बड़ की खतरी, सहरिया, खीरिया, हल्लापुर, मिहियां की नदी पार कर भीटिया, मोहनपुरा, कोठा, परविती, कल्याणपुर से हल्लाकापुर होकर हमने घाघरा नदी को पार किया। यहां से नगवा, माझा पार कर सरयू नदी के इस पार तट पर पहुंचे। सरयू नदी का पुल पार कर राम घाट, लक्ष्मण घाट, भरत घाट, दशरथ घाट, कैकई घाट आदि पार कर काले राम मंदिर पहुंचे। वहां से हम स्वर्ग द्वार टेढ़ी बाजार स्थित बामन जी के मंदिर वैदेही वल्लभ कुंज में जाकर ठहरे थे।