शास्त्रीय संगीतकार फरीद खान ने बच्चों को रागों की बारीकियों के बारे में बताने के साथ साथ विभिन्न रागों की प्रकृति के बारे में भी बताया उन्होंने कहा कि राग मालकोश रात के तीसरे पहर की राग है। इस राग को गंभीर प्रकृति की राग माना जाता है। इसलिए इसे पुरुष राग भी कहते है। वही राग भैरवी प्रातः काल को गाई जाने वाली राग कहलाती है। लेकिन इसकी मधुरता के कारण इसे दिन में कभी भी गाया सुना जाता है।
उन्होंने बताया कि राग दीपक गर्म रागों में आती है। कहते है कि अकबर की जिद्द पर संगीत सम्राट तानसेन ने दीपक राग गाकर दीपक जला दिए थे। कहा जाता है कि इस राग के गाने से तानसेन का शरीर भी अत्यधिक गर्म हो गया था जिसे उसकी बेटियो ने राग मल्हार गा कर ठंडा किया था।कार्यक्रम में विद्यालय की छात्रा गरिमा वर्मा ने भी मंच पर प्रस्तुति दी।
इनके साथ तबले पर संगत विद्यालय मुस्तकीम ने दी। विद्यालय की प्राचार्य अलका ए गायकवाड़ ने संगीत विशेषग्यो का आभार प्रकट किया।