पदमपुर सीडीपीओ ऑफिस के दो बाबुओं और एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तीनों के बीच तकरार और उसके बाद एक-दूसरे के खिलाफ ऑडियो वायरल कर शिकायतों का अंबार इतना लग गया कि जयपुर स्थित महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक के आदेश पर महिला एवं बाल विकास विभाग की उपनिदेशक ने पदमपुर सीडीपीओ की अगुवाई में जांच दल गठित किया। इस जांच दल ने शिकायतों और वायरल ऑडियो क्लिपस को निराधार बताकर क्लीन चिट दे दी है। जांच दल ने पोषाहार के नाम पर कमीशन मांगने के आरोप में जांच की है। जांच रिपोर्ट में यह हवाला नहीं है कि कमीशन का खेल चल भी रहा था या नहीं? लेकिन निराधार और बेबुनियाद तथ्य बताकर जांच की इतिश्री कर
ली गई।
पोषाहार में भी छेड़छाड़
आंगनबाड़ी केंद्रों पर कमीशन के चक्कर में पोषाहार की निर्धारित मात्रा से भी छेड़छाड़ होती थी। पोषाहार बनाते समय जिस तरह के पोषक तत्व उसमें शामिल किए जाने चाहिए, उसमें कमी रखकर केवल वजन पूरा करने पर ही जोर रहता था। ऐसे इसलिए किए जाता था ताकि अधिकारियों की अपेक्षा के अनुरूप कमीशन की मंशा को पूरा किया जा सके।
ऐसे चला पूरा घटनाक्रम
पदमपुर सीडीपीओ दया सोनी की अगुवाई में जांच टीम गठित की गई। इसमें सहायक लेखाधिकारी ग्रेड द्वितीय और महिला पर्यवेक्षक बिमला रानी को शामिल किया गया। जांच कमेटी ने पदमपुर के वार्ड एक की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पुष्पा रानी, ग्राम पंचायत 36 आरबी की साथिन राजेंद्र कौर, एक आरबी के जसवंतसिंह, छह डीडी की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लखविंद्र कौर, पदमपुर थर्ड की महिला पर्यवेक्षक नीलम रानी, कनिष्ठ सहायक गुरजंटसिंह, 32 आरबी की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संतरो और कनिष्ठ सहायक मनिंद्र सिंह के बयान लिए। एक डीडी की कार्यकर्ता सुखप्रीत कौर का आरोप था कि लिपिक मनिंद्रसिंह कार्यकर्ताओं से पोषाहार पर पंद्रह प्रतिशत कमीशन की मांग करता है तथा इसमें से कुछ राशि स्वयं रखकर शेष उच्च अधिकारियों तक पहुंचाने का दावा करता है। इस बाबत सुखप्रीत ने ऑडियो भी प्रस्तुत किए, लेकिन बयानों में गवाहों ने जांच दल के समक्ष ऐसे किसी घटनाक्रम से इनकार कर दिया। ऐसे मं जांच दल ने ऑडियो के तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए आरोप को मनगढ़ंत मानते हुए सभी आरोपियों को क्लीन चिट
दे दी।
आंगनबाड़ी कार्मिकों ने बताया निराधार
इस बीच पूरे घटनाक्रम को शुक्रवार को आंगनबाड़ी कार्मिकों और स्वयं सहायता समूह सदस्यों ने निराधार बताया। उनका कहना था कि वायरल हुए ऑडियो में कोई सच्चाई नहीं है तथा इसके माध्यम से विभाग को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इन दिनों कई ऑडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों पर कमीशन की मांग करने के आरोप लगाए जा रहे हैं।