चुनावी चर्चाओं से दूर फसल समेटने में जुटे मतदाताओं का मानस टटोलने, मैं सबसे पहले निकल पड़ता हूं भारत-पाक सीमा से सटे केसरीसिंहपुर कस्बे की ओर। केसरीसिंहपुर और श्रीकरणपुर इलाका सरसब्ज है। यहां गन्ना सर्वाधिक होता है। केसरीसिंहपुर के पास कमीनपुरा गांव स्थित शुगर मिल में गन्ना पिराई का दौर हाल ही थमा है, हालांकि उत्तरप्रदेश के मुज्जफरपुर से यहां गुड़ बनाकर बेचने के लिए हर साल आने वाले कारीगर अभी भी गुड़ तैयार करने में जुटे हैं। केसरीसिंहपुर में कहीं कोई चुनावी चर्चा या रंगत नजर नहीं आई। कड़ी धूप के चलते केसरीसिंहपुर की गलियों में जहां सन्नाटा पसरा था, वहीं खेतों में कहीं ट्रैक्टरों की घरघराहट तो कहीं थ्रेसर की आवाज सुनाई दे रही थी। यहां से मैं श्रीकरणपुर की तरफ बढ़ता हूं, जहां की कृषि मंडी में सर्वाधिक चहल-पहल है। यहां बड़ी संख्या में श्रमिक जौ को बोरियों में भरकर ट्रकों में लदान करने के काम में जुटे थे। चुनावी चर्चा के सवाल पर सभी बोल पड़े, ‘अभी चुनाव के लिए किसको फुर्सत है, जिस दिन मतदान होगा वोट डाल देंगे। अभी तो काम का सीजन है।Ó श्रीकरणपुर विधानसभा सिख बाहुल्य मानी जाती है। श्रीकरणपुर से गजसिंहपुर से होते हुए मैं रायसिंहनगर पहुंचता हूं। रायसिंहनगर भाजपा प्रत्याशी तथा मौजूदा सांसद निहालचंद का शहर है, जहां के बाजार में सन्नाटा पसरा है। रविवार की वजह से अधिकतर दुकानें बंद हैं।
रायसिंहनगर से आगे श्रीबिजयनगर की तरफ बढ़ता हूं। दोपहर का डेढ़ बजा है, फिर भी यहां के एक चौक पर हाइमास्ट लाइट जलती मिली। रेलवे स्टेशन पर खड़ी मालगाड़ी में जौ की बोरियां लादी जा रही थी। श्रीबिजयनगर से मैं सीधा सूरतगढ़ पहुंचता हूं। रेलवे स्टेशन के पास गन्ने के ज्यूस की रेहड़ी पर मैं एक शख्स भानीराम मांझू से रूबरू होता हूं। 55 वर्षीय मांझू हनुमानगढ़ जिले के प्रेमपुरा के रहने वाले हैं। इनका विधानसभा क्षेत्र हनुमानगढ़ ही है। चुनाव की बात पर तपाक से बोलते हैं, स्थानीय प्रत्याशी कोई भी हो, कैसा भी हो, हमारे लिए यह मायने नहीं रखता है। हम तो मोदी को वोट देंगे। मेरा हाथ पकड़कर मांझू मुझसे ही सवाल पूछते हैं, आप ही बताएं क्या काम नहीं हुआ? मैं उनके सवाल पर मुस्कुरा कर आगे बढ़ जाता हूं। सूरतगढ़ से पीलीबंगा होते हुए मैं सीधा रावतसर पहुंचता हूं। कांग्रेस प्रत्याशी भरतराम मेघवाल इसी कस्बे से आते हैं। यहां एक दुकान पर बैठे तीन जनों से मेरी बात शुरू होती है। जैसे-जैसे बात बढ़ती है और लोग भी आते हैं। रामजस बुरड़क कहते हैं, दोनों ही पार्टियों ने भला नहीं किया। रावतसर को रेल लाइन से जोडऩे तथा सेना के जमीन अधिग्रहण का मामला लंबित है। पूर्व सांसद बीरबलराम ने जरूर बस स्टैंड बनवाया, बाकी किसी ने यहां कुछ काम नहीं किया। बुरड़क कहते हैं, निहालचंद ने संसद में 93 फीसदी उपस्थिति दी। 153 सवाल पूछे, लेकिन हमारे इलाके से संंबंधित एक भी सवाल नहीं पूछा। वो चुटकी लेते हैं, भाजपा प्रत्याशी के पास कोई उपलब्धि नहीं है, इसलिए वो मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं, जबकि भरतराम मेघवाल मतदाताओं के समक्ष मौजूदा सांसद को निशाना बनाते हैं। सांसद से इतनी पीड़ा होने के बावजूद बुरड़क कहते हैं, निहालचंद को वोट देने का मन तो नहीं है, लेकिन मजबूरी जरूर है। उनकी बात का समर्थन दुकानदार हेतराम मोठसरा करते हुए कहते हैं वो उम्मीदवार को नहीं केन्द्र के नेता को देखकर ही वोट देंगे। पास बैठे पत्रकार ओम पारीक कहते हैं विधानसभा में हमने कस्बे का विधायक जिताया, वही भावना लोकसभा चुनाव में रहने वाली है। इन सब के बीच संघ विचारधारा से प्रभावित पुरुषोत्तम शर्मा कहते हैं, अगर मोदी जी देशभक्त हैं तो भारत को मजबूत बनाने पर जोर देना चाहिए। अद्र्ध सैनिक बलों की पेंशन शुरू करनी चाहिए थी। वो कहते हैं बीएसफ के जवान तेजपाल यादव के खाने संबंधी उस वीडियो को याद करते हुए कहते हैं, उसके साथ क्या हुआ। उसकी बात पर गौर करने की बजाय, उसे सेवा से ही हटा दिया गया। ऐसा नहीं होना चाहिए। जो कमी है, उसमें सुधार करना चाहिए। रोजगार के साधन खत्म हो रहे हैं। नहरों में प्रदूषित पानी, जेसीटी व स्पिनिंग मिल बंद होना, थर्मल के निजीकरण के प्रयास से रोजगार कम हुए हैं। पुरुषोत्तम आरोप लगाते हैं कि सांसद निधि से रावतसर में कोई काम नहीं हुआ।
रावतसर से सीधा हनुमानगढ़ आता हूं, जहां मेरी मुलाकात किराना एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक व्यास, जनरल मर्चेन्ट एसोसिएशन के विजय बलाडिय़ा व खुदरा मार्केट एसोसिशन के अध्यक्ष सुभाष नारंग से होती है। तीनों की सभी पार्टियों से एक ही शिकायत है कि सांसद बनने वाले हनुमानगढ़ नहीं आते। हनुमानगढ़ को जिला बने 25 साल हो गए, लेकिन आज भी गांव जैसा ही दिखाई देता है। विकास नहीं हुआ है। तीनों व्यापारी प्रतिनिधियों ने कहा कि नहरी तंत्र को मजबूत करने तथा रेल सेवाओं में विस्तार करने से ही हनुमानगढ़ का विकास संभव है। हनुमानगढ़ के बाद मेरा अगला पड़ाव हरियाणा की सरहद से सटी शिक्षा नगरी संगरिया था। यहां मेरी मुलाकात भाजपा व कांग्रेस पदाधिकारियों से होती है। पूर्व पालिकाध्यक्ष व किसान नेता अशोक चौधरी कहते हैं, चुनाव के प्रति
कोई उत्साह ही नहीं है। नहरों में इतना गंदा पानी आ रहा है, लेकिन प्रदूषित पानी की चिंता किसी को नहीं है। कांग्रेस नगर अध्यक्ष राजेश डोडा व शिवकुमार बारूपाल भी अशोक चौधरी की बात पर सहमति जताते हैं। साथ ही मौजूदा सांसद पर आरोप लगाते हैं कि उनकी क्षेत्र में सक्रियता कम ही रही है। इस आरोप पर भाजपा जिला उपाध्यक्ष पूर्ण मिड्ढा कहते हैं, सांसद ने सक्रियता दिखाई है और काम भी किए हैं। संगरिया से मैं सादुलशहर आता हूं, जहां समाजसेवी तुलसीराम सारस्वत मिलते हैं। वो कहते हैं जिले में निराश्रित गोवंश की बढ़ती संख्या बड़ी चुनौती है। इसका समाधान करना होगा। कस्बे के प्रमुख चिकित्सक डॉ बी.बी. गुप्ता कहते हैं, भाजपा ने भ्रष्टाचार व बेरोजगारी खत्म करने पर पिछला चुनाव लड़ा था, लेकिन भ्रष्टाचार खत्म हुआ न बेरोजगारी। एडवोकेट रवीन्द्र मोदी कहते हैं, आर्थिक आधार पर दस प्रतिशत आरक्षण देना तथा लोकपाल की नियुक्ति करना केन्द्र सरकार के बड़े फैसले रहे हैं।
यह है गंगानगर लोकसभा का गणित
गंगानगर लोकसभा क्षेत्र ( ganganagar Lok Sabha constituency ) श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिले की आठ विधानसभाओं को लेकर बना है। इनमें श्रीगंगानगर जिले की पांच विधानसभा, गंगानगर, सादुलशहर, श्रीकरणपुर, रायसिंहनगर, सूरतगढ़ तथा हनुमानगढ़ जिले की हनुमानगढ़, संगरिया व पीलीबंगा विधानसभा सीट शामिल हैं। इन आठ सीटों पर हाल ही में हुए विधानसभा में चुनाव में भाजपा के चार, कांग्रेस के तीन तथा एक कांग्रेस के बागी जो अब कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं, ने जीत हासिल की थी। इस प्रकार विधानसभा सीटों के मामले में भाजपा-कांग्रेस के खाते में चार-चार सीटें हैं।
गंगानगर लोकसभा क्षेत्र ( ganganagar Lok Sabha constituency ) श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिले की आठ विधानसभाओं को लेकर बना है। इनमें श्रीगंगानगर जिले की पांच विधानसभा, गंगानगर, सादुलशहर, श्रीकरणपुर, रायसिंहनगर, सूरतगढ़ तथा हनुमानगढ़ जिले की हनुमानगढ़, संगरिया व पीलीबंगा विधानसभा सीट शामिल हैं। इन आठ सीटों पर हाल ही में हुए विधानसभा में चुनाव में भाजपा के चार, कांग्रेस के तीन तथा एक कांग्रेस के बागी जो अब कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं, ने जीत हासिल की थी। इस प्रकार विधानसभा सीटों के मामले में भाजपा-कांग्रेस के खाते में चार-चार सीटें हैं।
कुल मतदाता-19,28,990 पुरुष मतदाता-10,10,078
महिला मतदाता-9,18,912 पिछले तीन चुनाव
2014 भाजपा के निहालचंद को वोट – 658130
कांग्रेस के मास्टर भंवरलाल को वोट- 366389 जीत का अंतर- 291741 2009
कांग्रेस के मास्टर भरतराम मेघवाल को वोट – 476554
महिला मतदाता-9,18,912 पिछले तीन चुनाव
2014 भाजपा के निहालचंद को वोट – 658130
कांग्रेस के मास्टर भंवरलाल को वोट- 366389 जीत का अंतर- 291741 2009
कांग्रेस के मास्टर भरतराम मेघवाल को वोट – 476554
भाजपा के निहालचंद को वोट – 335866
जीत का अंतर- 140688 2004 भाजपा के निहालचंद को वोट – 331475
कांग्रेस के मास्टर भरतराम मेघवाल को वोट – 324082 जीत का अंतर- 7393 खास बातें
भाजपा ने निहालचंद को लगातार सातवीं बार टिकट दिया है। निहालचंद को पहली बार 1996 में टिकट मिला था, तब से लगातार मिल रहा है। वो 1998 व 2009 का लोकसभा चुनाव हारे हैं, जबकि 1996, 1999, 2004, व 2014 में चुनाव जीते। इस तरह से निहालचंद चार बार जीते हैं और दो बार हारे हैं। भरतराम मेघवाल को कांग्रेस ने तीसरी बार टिकट दिया है। वो 2009 में जीते थे, जबकि 2014 के चुनाव में मामूली अंतर से हार गए थे। इस तरह से निहालचंद व भरतराम मेघवाल तीसरी बार आमने-सामने है। अभी तक दोनों के बीच मुकाबला एक-एक की बराबरी पर रहा है।
जीत का अंतर- 140688 2004 भाजपा के निहालचंद को वोट – 331475
कांग्रेस के मास्टर भरतराम मेघवाल को वोट – 324082 जीत का अंतर- 7393 खास बातें
भाजपा ने निहालचंद को लगातार सातवीं बार टिकट दिया है। निहालचंद को पहली बार 1996 में टिकट मिला था, तब से लगातार मिल रहा है। वो 1998 व 2009 का लोकसभा चुनाव हारे हैं, जबकि 1996, 1999, 2004, व 2014 में चुनाव जीते। इस तरह से निहालचंद चार बार जीते हैं और दो बार हारे हैं। भरतराम मेघवाल को कांग्रेस ने तीसरी बार टिकट दिया है। वो 2009 में जीते थे, जबकि 2014 के चुनाव में मामूली अंतर से हार गए थे। इस तरह से निहालचंद व भरतराम मेघवाल तीसरी बार आमने-सामने है। अभी तक दोनों के बीच मुकाबला एक-एक की बराबरी पर रहा है।