एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के बाद दलित वर्ग में भाजपा के प्रति दिखाई दे रहे गुस्से को ध्यान में रखकर विधायक ने अपना पूरा भाषण सरकार के विरोध पर केन्द्रित रखा। इसके चलते डॉ.अंबेडकर का स्मरण वह ज्यादा नहीं कर पाई। विधायक ने सरकारी स्तर पर नगर पालिका की ओर से आयोजित कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया परन्तु वहां पर वह सरकार और सरकारी तंत्र के खिलाफ एक शब्द नहीं बोली।
विधायक ने कहा भाजपा के राज में दलित बेटियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। उनमें अधिकांश मामले दबा दिए जाते हैं। उन्होने स्थानीय राजनीतिक और सरकारी तंत्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि दलित विधायक होने के कारण उनकी राय को प्राथमिकता नहीं दी जा रही। वे जिन कामों की अनुशंसा करती हैं, उनमें रोड़े अटकाए जा रहे हैं।
चार-चार बार अनुशंसा, फिर भी स्वीकृति नहीं
विधायक ने कहा कि रायसिंहनगर में शहीद बीरबल स्मारक के लिए उन्होंने विधायक कोष से पांच लाख रुपए देने की घोषणा की। इसके लिए चार बार अनुशंसा जारी करने पर भी स्वीकृति जारी नहीं हुई। गोशाला, श्रीराम नाटक क्लब और मिनी सचिवालय में वकीलों के शैड निर्माण की अनुशंसाएं भी अटकी पड़ी हैं।
समिति पर उठाए सवाल
विधायक ने विधानसभा में दलितों के कल्याण के लिए बनी समिति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि विधानसभा की पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति के नौ सदस्यों में उन्हें भी शामिल किया गया। लेकिन बैठकों में केवल औपचारिकता हो रही है। विधायक ने कहा तबादलों के लिए उनकी अनुशंसा को भी दरकिनार किया जा रहा है।