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सिलीसेढ़ झील को मिलने वाला है खास दर्जा, यह है वजह

अगर सब ठीक रहा तो अलवर की सिलीसेढ़ रामसर झील की श्रेणी में शामिल हो जाएगी। यहां 150 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां देश-दुनिया से आती हैं। मछलियां भी सर्वाधिक हैं।

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सिलीसेढ़ झील (फाइल फोटो – पत्रिका)

अगर सब ठीक रहा तो अलवर की सिलीसेढ़ रामसर झील की श्रेणी में शामिल हो जाएगी। यहां 150 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां देश-दुनिया से आती हैं। मछलियां भी सर्वाधिक हैं। पैरामीटर पूरे होने पर यह प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। प्रशासन, यूआईटी, जल संसाधन खंड और वन विभाग की ओर से यहां काम होगा।

191 झीलें होंगी शामिल 

केंद्र सरकार देश की 191 झीलों को रामसर साइट में शामिल करेगी। वर्तमान में 85 स्थल इसमें जोड़ी जा चुकी हैं, जिसमें केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान और सांभर झील शामिल हैं। ये दोनों स्थल 1981 व 1990 में शामिल हुए थे। केंद्र सरकार समय की मांग व मौजूदा साइटों की स्थिति के आधार पर नए नाम जोड़ती है और कुछ हटाती भी है। इसी कड़ी में नए नामों में सिलीसेढ़ झील शामिल करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। यह प्रस्ताव प्रशासन के जरिए सरकार को भेजा गया है।

वन विभाग ने भेजी रिपोर्ट 

सरिस्का टाइगर रिजर्व के डीएफओ अभिमन्यु सहारण का कहना है कि सिलीसेढ़ के आसपास नमीयुक्त भूमि में कई पक्षियों की प्रजातियां हर साल आती हैं। यहां पक्षी प्रजनन करते हैं। साथ ही मछलियों की संख्या से लेकर अन्य जलीय जीवों की स्थिति की रिपोर्ट प्रशासन को भेज दी है। मानकों की पूर्ति झील करती है। ऐसे में यह साइट रामसर में आ सकती है।

मंत्री भूपेंद्र ने भी की घोषणा

हाल ही एमआईए के एक कार्यक्रम में केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि केंद्र सरकार ने देश की 191 झीलों को रामसर साइट का दर्जा दिया है। ऐसे में हमारा प्रयास रहेगा कि जल्द ही सिलीसेढ़ झील को भी रामसर साइट में शामिल किया जाए।

ऐसी झील, जहां देश-दुनिया से पक्षी आते हैं और अपना प्रजनन करते हैं। वहां भूमि नमीयुक्त होती है, जहां पक्षी अंडे देते हैं। चारागाह क्षेत्र भी इसमें शामिल होता है। साथ ही जलीय जीवों की संख्या व उनके संरक्षण के लिए भी विशेष कार्य होते हैं। सिलीसेढ़ में भी साइबेरिया, अफगानिस्तान, मंगोलिया से लेकर कई देशों से पक्षी आते हैं और निवास बनाते हैं।

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