
Tendupatta Bonus Scam: तेंदूपत्ता बोनस मामले में एसीबी और ईओडब्ल्यू की कार्रवाई के विरोध में बस्तरिया राज मोर्चा और कांग्रेस ने सोमवार को सुकमा बंद का आह्वान किया। इस बंद को व्यापारी संघ और आम नागरिकों का भी व्यापक समर्थन मिला, जिससे जिले का मुख्यालय लगभग पूरी तरह बंद रहा। सुबह से ही सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा, दुकानों के शटर गिरे रहे और बाजार सूने दिखे।
बंद को लेकर कार्यकर्ता सुबह से ही सड़कों पर उतरे और शांतिपूर्वक व्यापारियों से समर्थन की अपील की। छोटे-बड़े सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। हालांकि कुछ स्थानों पर गाड़ियों की आवाजाही जरूर बनी रही, लेकिन आम जनजीवन पूरी तरह प्रभावित रहा। बंद शांतिपूर्ण रहा और कहीं किसी अप्रिय स्थिति की खबर नहीं मिली।
पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने तेंदूपत्ता बोनस घोटाले को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि उन्होंने ही इस घोटाले की पहली शिकायत की थी, लेकिन अब उन्हें ही आरोपित बनाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ एसीबी और ईओडब्ल्यू की कार्रवाई राजनीतिक साजिश है, जिससे उन्हें आदिवासियों के अधिकारों के संघर्ष से दूर किया जा सके। उन्होंने कहा कि तेंदूपत्ता बोनस में 6 करोड़ 54 लाख 71 हजार 902 रुपए का घोटाला हुआ है और उन्हें एक पाई भी नहीं मिली है।
छापेमारी के दौरान उनके घर से सिर्फ दो मोबाइल और एक डेली डायरी बरामद की गई, लेकिन मोबाइल जब्ती के बाद हैश वैल्यू नहीं दी गई, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। मनीष कुंजाम ने यह भी आरोप लगाया कि बस्तर और बैलाडीला की जमीनों को निजी कंपनियों को सौंपने के विरोध के चलते उन्हें दबाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि हम डरने वाले नहीं हैं, यह आदिवासियों की लड़ाई है और हम इसे जारी रखेंगे।
Tendupatta Bonus Scam: बस्तरिया राज मोर्चा के नेता रामा सोढ़ी ने कहा कि यह पूरी कार्रवाई मनीष कुंजाम की छवि खराब करने की साजिश है। सोढ़ी ने बताया कि सुकमा बंद को हर वर्ग का समर्थन मिला, और इससे यह स्पष्ट हो गया है कि जनता इस अन्याय के खिलाफ एकजुट है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि आगे भी ऐसी कार्रवाई जारी रही, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
कुकानार में भी बंद का व्यापक असर देखने को मिला। बंद के दौरान कार्यकर्ताओं ने पूरे नगर में विरोध रैली निकालकर प्रदेश और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन में प्रमुख रूप से रामधर बधेल, देवाराम मांडवी, गोविंद नाग, बाल सिंह, बुधराम नाग, राजकुमार, महादेव हूंगा, राम मरकाम, हीरालाल बुदेश, इंद्रबघेल समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए।
Updated on:
16 Apr 2025 10:25 am
Published on:
16 Apr 2025 10:24 am
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