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छत्तीसगढ़ की इस विधानसभा के 5 गांव के लोगों ने नहीं की वोटिंग, कहा- आज हम भी किसी की नहीं सुनेंगे

एकजुटता के साथ मतदान का कर दिया बहिष्कार, सड़क, बिजली, पानी की सुविधा नहीं मिलने से थे नाराज

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Villagers boycotted election

Villagers boycotted election

सूरजपुर. जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से नाराज पांच गांव के लोगों ने पूरी एकजुटता के साथ मतदान का बहिष्कार कर दिया। ग्रामीणों के इस मतदान बहिष्कार से चला संगी वोट देहे जैसे जागरूकता अभियान पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। जिले के ओडग़ी ब्लॉक के पांच पंचायतों से ऐसी खबरें आ रही है कि वहां के एक भी लोगों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया है।

गांव में पहुंचे मतदानकर्मी पूरे दिन उन्हें मतदान करने के लिए मनाते रहे, लेकिन वे एक बात पर अड़े रहे कि जब उनकी कोई पांच साल नहीं सुनता तो वे भी आज किसी की नहीं सुनेंगे।


मिली खबरों के मुताबिक ओडग़ी ब्लॉक के पालकेंवरा, घुईडीह, छतरंग, बांकी, बेलामी, बनगंवा आदि के ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव में मतदान नहीं किया है। पूरे तरीके से वे बहिष्कार कर अपनी नाराजगी का एहसास प्रशासन व क्षेत्र के उन जनप्रतिनिधियों को कराया है जो विकास के बड़े-बड़े दावे करते हैं।

ग्रामीणों के मुताबिक उनके गांव में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। न तो बिजली है न पानी की सुविधा है। यहां तक कि पहुंच मार्ग भी नहीं है।

सबसे बड़ी समस्या तो इस डिजीटल इंडिया के दौर में उन्हें पेंशन जैसे जरूरत के लिए भी 65 किलोमीटर का सफर तय करते हैं। वहां भी उन्हें बैंक कर्मचारी आसानी से पेंशन की राशि एक दिन में उपलब्ध नहीं करा पाते। इसके लिए उन्हें कई-कई दिनों का चक्कर लगाना पड़ता है।


पहुंचविहीन हैं ये 5 गांव
पालकेंवरा, घुईडीह, छतरंग, बांकी, बेलामी, बनगंवा आदि ऐसे गांव है जिनका ब्लॉक मुख्यालय ओडग़ी है और वह पहुंचविहीन है। जबकि वे कोरिया जिले के सोनहत से सीधे रूप में जुड़े हुए हैं। ग्रामीण कई बार खुद को कोरिया जिले से जोडऩे की मांग करते रहे हैं। व्यवहारिक रूप से उन्हें ओडग़ी आने-जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

यहां तक सीधी सड़क नहीं है। जान जोखिम में डालकर पहाड़ पार कर वे ओडग़ी पहुंचते हैं। वहां भी उनकी समस्याओं का निराकरण उतना आसानी से नहीं हो पाता, जितना जनप्रतिनिधि व प्रशासन दावा करता रहा है। इन तमाम मसलों को लेकर ग्रामीणों में भारी नाराजगी है।


बैठक में बहिष्कार का लिया था निर्णय
खबर है कि पिछले दिनों ग्रामीणों ने एक बैठक की थी और मतदान में हिस्सा नहीं लेने निर्णय लिया था। हालांकि इसकी सूचना उन्होंने प्रशासन या किसी जनप्रतिनिधि को नहीं दी थी।

लेकिन इस मामले में प्रशासन के उस अभियान की भी पोल खुल गई। इसमें 'चला संगी वोट देहे' जैसा अभियान पिछले एक महीने से चलता रहा है, जिसमें वोट देने के लिए लोगों को जागरूक करने की बात कही जाती रही।