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विश्रामपुर. RTE: गरीब तबके के बच्चों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शिक्षा के अधिकार योजना का शुभारंभ किया गया। इसके तहत गरीब तबके के बच्चों को निशुल्क शिक्षा, गणवेश एवं पुस्तकों की उपलब्धता करवाए जाने के सख्त नियम पारित किए गए। लेकिन क्षेत्र के चुनिंदा प्राइवेट स्कूलों (Private schools) द्वारा शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्रवेश लिए गए बच्चों से पुस्तकों के लिए शुल्क भी लिया जा रहा है। साथ ही गणवेश की कोई व्यवस्था न होने के कारण अभिभावक बाध्य होकर दुकानों से ऊंची दामों पर अपने बच्चों के लिए ड्रेस भी खरीद रहे हैं। इससे जहां एक तरफ अभिभावकों की जेब कट रही है तो वहीं खुलेआम शिक्षा के अधिकार के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। इस पर अभी तक न ही जिला प्रशासन और न ही शिक्षा विभाग का ध्यान गया है। इस कारण उक्त प्राइवेट विद्यालयों का मनोबल चरम सीमा पर है।
गौरतलब है कि गणवेश एवं पुस्तकों के मसले को लेकर उच्च न्यायालय द्वारा भी यह सख्त आदेश पारित किया गया है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत भर्ती प्रवेश लिए विद्यार्थियों को प्राइवेट स्कूलों द्वारा भी गणवेश एवं पुस्तकें उपलब्ध करानी है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि प्राइवेट स्कूल खुली मनमानी पर उतर आए हैं।
बहरहाल इस मसले को लेकर प्राइवेट स्कूलों द्वारा अपने-अपने बोर्ड का हवाला देकर अभिभावकों को चूना लगाया जाता है। विद्यालयों द्वारा स्पष्ट कहा जाता है कि हमारी संस्था सीबीएसई बोर्ड है अथवा आईसीएसई बोर्ड है,
जहां गणवेश और पुस्तकें उपलब्ध कराने का कोई नियम नहीं है। इसलिए अभिभावकों को पुस्तक एवं गणवेश स्वयं खरीदने होंगे, जबकि आरटीई (RTE) भारत सरकार का है और सभी संस्थान, सभी बोर्ड, भारत सरकार एवं न्यायपालिका के अधीन हंै।
डीएव्ही जैसे बड़े स्कूल भी कर रहे नियमों का उल्लंघन
जो विद्यालय इस बात को नजरअंदाज करते हैं या यूं कहें कि नियमों की धज्जियां उड़ाने पर उतारू हो चुके हैं। वहीं छोटे स्कूलों की दिक्कतें समझ में आतीं हैं, परंतु मद का हवाला देकर क्षेत्र का बड़ा शैक्षणिक संस्थान डीएवी पब्लिक स्कूल भी नियमों का उल्लंघन कर रहा है। इस संबंध में डीएवी के प्राचार्य एचएससी पाठक ने कहा कि इसकी मुझे जानकारी नहीं है, मैं एक बार मामले को दिखवा लेता हूं।
प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने लिखा पत्र
अभी हाल ही में दो दिवस पूर्व लोक शिक्षण संचालनालय छत्तीसगढ़ एवं कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जिले के समस्त गैर शासकीय विद्यालयों को पत्र जारी कर शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत दाखिल विद्यार्थियों को नि:शुल्क गणवेश एवं पुस्तकें दिए जाने का आदेश पारित किया जा चुका है।
बावजूद इसके विद्यालयों द्वारा इसका पालन नहीं किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने शिक्षण संचालनालय को पत्र जारी करते हुए कहा है कि पुस्तकें एवं गणवेश आखिर किस मद से उपलब्ध कराया जाए जो दुविधा का विषय है।
साथ ही प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने आपत्ति भी दर्ज कराई है कि गत 3 वर्षों से आरटीई के तहत अध्ययनरत विद्यार्थियों का भुगतान शासन द्वारा नहीं किया गया है। इस वजह से गैर शासकीय छोटे स्कूलों को काफी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है।
किया गया है पत्राचार
पुस्तकें और गणवेश उपलब्ध कराना अनिवार्य है। इसके लिए पत्राचार किया जा चुका है। यदि कोई पैसा ले रहा है पुस्तकों के लिए अथवा गणवेश की व्यवस्था नहीं की गई है तो ऐसे संस्थानों को या तो अभिभावकों को राशि वापस करनी पड़ेगी अथवा कार्यवाही से गुजरना पड़ेगा।
विनोद राय, डीईओ, सूरजपुर
Published on:
09 Jul 2022 04:08 pm
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