script

Chaitra Navratri 2023: सच्चे भक्त को यहां बादल के रूप में दर्शन देती हैं पहाड़ा वाली मां, जानें किन पहाड़ों पर विराजी हैं शेरा वाली मां

Published: Mar 21, 2023 12:50:29 pm

Submitted by:

Sanjana Kumar

Chaitra Navratri 2023: Durga Maa famous Temple on Mountains in India: ऐसे तो मां आदि शक्ति को समर्पित देशभर में कई मंदिर और 51 शक्तिपीठ हैं, लेकिन पत्रिका.कॉम के इस लेख में हम आपको बता रहे हैं पहाड़ों पर बसे उन 10 अलौकिक मंदिरों के बारे में जहां पहुंचकर श्रद्धालुओं को सुख भी अलौकिक ही मिलता है। तो आइए चलते हैं मां शेरा वाली, पहाड़ा वाली के दरबार…जय अम्बे…

chaitra_navratri_me_pahada_wali_maan_ke_darshan_karne_kahan_ja_rahe_hain_aap.jpg

Chaitra Navratri 2023: Durga Maa famous Temple on Mountains in India: नवरात्रि के दिन माता रानी को समर्पित दिन माने गए हैं। इन नौ दिनों में श्रद्धालु बड़े ही भक्ति भाव से मां की सेवा में लीन रहते हैं। देशभर में मनाए जाने वाले इस पर्व पर नौ दिनों तक मां के मंदिरों में उत्सव का माहौल बना रहता है। ऐसे तो मां आदि शक्ति को समर्पित देशभर में कई मंदिर और 51 शक्तिपीठ हैं, लेकिन पत्रिका.कॉम के इस लेख में हम आपको बता रहे हैं पहाड़ों पर बसे उन 10 अलौकिक मंदिरों के बारे में जहां पहुंचकर श्रद्धालुओं को सुख भी अलौकिक ही मिलता है। तो आइए चलते हैं मां शेरा वाली, पहाड़ा वाली के दरबार…जय अम्बे…

तारा देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश
सबसे पहले चलते हैं हिमाचल प्रदेश के तारा देवी मंदिर में। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में स्थित है। लगभग 13 किमी की दूरी पर तारा देवी पर्वत के नाम से प्रसिद्ध पर्वत शृंखला पर स्थित है। शहर के इस सबसे प्रसिद्ध मंदिर की तिब्बति बौद्ध धर्म के लोगों में ज्यादा मान्यता है। दरअसल बौद्ध धर्म के लोग देवी तारा का काफी महत्व माना गया है। इन्हें मां दुर्गा की नौ बहनों में से नौवां स्थान प्राप्त है। चारों ओर से हरियाली से घिरा यह मंदिर लगभग 250 साल पहले बनाया गया था। माना जाता है कि यहां स्थापित तारा देवी की प्रतिमा पश्चिम बंगाल से लाई गई थी। इसी तरह यहां हिमाचल प्रदेश में चामुंडा देवी और ज्वाला जी मंदिर की भी काफी मान्यता मानी जाती है।

ये भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि में व्रत रख रहे हैं डायबिटिक पेशेंट, तो रखें इन बातों का ध्यान, सामान्य लोग भी फॉलो करें ये हेल्दी टिप्स

अधर देवी मंदिर, राजस्थान
राजस्थान के इकलौते हिल स्टेशन माउंट आबू से 3 किमी की दूरी पर स्थित पहाड़ी पर अधर देवी मां का मंदिर है। यह मंदिर चारों ओर से हरियाली से घिरा हुआ है। वहीं यह मंदिर एक गुफा में स्थित है। मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग 365 सीढिय़ां चढ़कर मंदिर तक पहुंचना होता है। माना जाता है कि यदि कोई भक्त पूरी श्रद्धा से देवी मां की पूजा-अर्चना करता है, तो यहां उसे बादलों में देवी की छवि दिखाई देती है। इसके अलावा राजस्थान में करणी माता का मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है।

मनसा देवी मंदिर, उत्तराखंड
उत्तराखंड में मनसा देवी मंदिर काफी प्रसिद्ध है। यहां हर रोज श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। वहीं नवरात्रि में भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ता है। माता मनसा को समर्पित यह मंदिर हरिद्वार से सिर्फ 3 किमी की दूरी पर शिवालिक की पहाडिय़ों के बिल्वा पर्वत पर स्थित है। यह शक्तिपीठ हरिद्वार में स्थित अन्य पीठ-चंदा देवी मंदिर और माया देवी मंदिर की ही भांति काफी लोकप्रिय मंदिर है। मान्यता है कि मनसा देवी की उत्पत्ति ऋषि कश्यप के मन से हुई थी। वहीं माना जाता है कि यहां के पेड़ पर धागा बांधकर मन्नत मांगी जाए तो वह जरूर पूरी होती है। मन्नत पूरी होने के बाद श्रद्धालु उस धागे को खोलने भी यहां आते हैं।

ये भी पढ़ें: Astro Tips For Money: आपके हाथ में भी नहीं टिकता पैसा, बैंक बैलेंस तक हो जाता है निल, तो जरूर ट्राय करें गरुड़ पुराण के ये उपाय

वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू-कश्मीर
भारत में माता के मंदिरों में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध मंदिर है वैष्णो देवी मंदिर। यह तीर्थ स्थल के रूप में भी जाना जाता है। त्रिकूट पर्वत पर 5300 फीट की ऊंचाई पर बना यह मंदिर माता रानी के सबसे पूजनीय पवित्र स्थलों में से एक है। इसकी दूरी जम्मू-कश्मीर स्थित कटरा से लगभग 12 किलोमीटर है। मंदिर के गर्भ गृह तक जाने के लिए एक प्राचीन गुफा थी, जिसे अब बंद कर दिया गया है। मंदिर में जाने के लिए दूसरा रास्ता बनाया गया है। माना जाता है कि माता ने इसी प्राचीन गुफा में भैरव को अपने त्रिशूल से मारा था। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं।

 

शारदा माता मंदिर (मैहर), मध्यप्रदेश
मैहर, मध्य प्रदेश के सतना जिले में एक छोटा सा नगर है। यहां त्रिकूट पर्वत पर मैहर वाली माता का प्रसिद्ध तीर्थस्थल माना गया है। यहां माता रानी शारदा के रूप में विराजी हैं। इसे देवी के 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। माना जाता है कि यहां देवी सती का हार गिरा था। मंदिर तक जाने के लिए यहां आपको 1063 सीढिय़ों से गुजरना होता है। हजारों की संख्या में हर साल श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं। इसके साथ ही यहां रतनगढ़ वाली माता, तुलजा भवानी देवास और सल्कनपुर के अन्य देवी मंदिर भी प्रसिद्ध देवी मंदिर हैं।

 

ये भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि में इन 4 राशियों को मिलेगा मां दुर्गा का आशीर्वाद, सालभर मिलती रहेंगी खुशियां

बम्लेश्वरी देवी मंदिर, छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ पर्वत पर 1600 फीट की ऊंचाई पर बसा है मां बम्लेश्वरी का मंदिर। यहां के समस्त समुदाय इसे तीर्थ मानते हैं। पर्यटकों में भी यह मंदिर खासा लोकप्रिय है। इस पहाड़ी पर स्थित मंदिर पर जाने के लिए 1100 सीढिय़ों पर चढ़कर जाने के अलावा रोप वे की भी सुविधा उपलब्ध है। माता बम्लेश्वरी मंदिर को बड़ी बम्लेश्वरी और यहां से आधा किलोमीटर नीचे बने मंदिर को छोटी बम्लेश्वरी माता का मंदिर के नाम से पुकारा जाता है। ऐसे इस जगह का नाम डोंग और गढ़ शब्दों को मिलाकर बना है। डोंग का अर्थ पर्वत और गढ़ का मतलब क्षेत्र होता है। इसके अलावा इस राज्य का दंत्तेश्वरी मंदिर की भी काफी प्रसिद्ध देवी मंदिर है।

 

सप्तशृंगी देवी मंदिर, महाराष्ट्र
सप्तशृंगी देवी मंदिर नासिक से करीब 65 किमी की दूरी पर स्थित है। माता रानी यहां से 4800 फुट ऊंचे सप्तशृंग पर्वत पर विराजित हैं। इस मंदिर को भी मां के 51 शक्ति पीठों में से एक मंदिर माना गया है। इस मंदिर में देवी मां की मूरत लगभग 10 फीट ऊंची है। इनके 18 हाथ हैं। जिनमें वे अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र पकड़े हुए हैं। यह मंदिर छोटे-बड़े सात पर्वतों से घिरा हुआ है। इसलिए यहां की देवी को सप्तशृंगी यानी सात पर्वतों की देवी कहा जाता है। इनके महाराष्ट्र के रेणुका देवी मंदिर, एकवीरा देवी और तुलजा भवानी मंदिर के साथ ही अन्य कई दुर्गा मंदिर प्रसिद्ध हैं।

ये भी पढ़ें: Nav Samvatsar 2080: नव संवत्सर 2080 इनके लिए रहेगा भाग्यशाली, पूरे साल बुलंदियों पर रहेंगे इन राशियों की किस्मत के सितारे

तारा तारिणी मंदिर, उड़ीसा
उड़ीसा के बरहामपुर शहर के पास तारा तारिणी पहाड़ी पर स्थित माता के मंदिर की गिनती प्राचीन मंदिरों में की जाती है। यह आदि देवी शक्ति पीठ अपने आप में बहुत खास है क्योंकि, यहां दो जुड़वां देवियों तारा और तारिणी को समर्पित मंदिर बने हुए हैं। यह प्राचीन मंदिर देवी सती के 4 शक्ति पीठों के बीच में स्थित हैं, यानि इस मंदिर की चारों दिशाओं में एक-एक शक्ति पीठ हैं।

कनक दुर्गा मंदिर, आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा स्थित ‘इंद्राकीलाद्री’ नामक पर्वत, जिसके बीच से कृष्णा नदी बहती है, वहां माता कनक दुर्गेश्वरी का मंदिर बना है। यह राज्य के मुख्य मंदिरों में दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। यहां जाने पर आपको पहाड़ी की चोटी पर बसे मंदिर में श्रद्धालुओं के जयघोष से परिपूर्ण पूरा आध्यात्मिक माहौल मिलता है। माना जाता है कि अर्जुन ने यहीं पर भगवान शिव की तपस्या की थी और उनसे अचूक शस्त्र प्राप्त किए थे। वहीं यह भी मान्यता है कि यहां देवी मां की प्रतिमा स्वयंभू है, इसीलिए इसे काफी महत्वपूर्ण और शक्तिशाली माना जाता है।

ट्रेंडिंग वीडियो